गणना 14 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

गणना 14:1-45

इस्राएल का विद्रोह

1तब सारा समुदाय ऊंची आवाज में रोने लगा. उस रात वे सभी रोते रहे. 2हर एक इस्राएली मोशेह तथा अहरोन के विरुद्ध बड़बड़ा रहा था. एक स्वर में उन्होंने मोशेह तथा अहरोन से कहा, “अच्छा होता हमारी मृत्यु मिस्र देश में ही हो गई होती, यदि वहां नहीं तो इस निर्जन प्रदेश में! 3याहवेह हमें क्यों इस देश में ले जाने पर उतारू हैं, क्या तलवार से मरवाने के लिए? हमारी पत्नियां एवं हमारे बच्‍चे वहां उनकी लूट सामग्री होकर रह जाएंगे. क्या भला न होगा कि हम मिस्र देश ही लौट जाएं?” 4उन्होंने आपस में यह विचार-विमर्श किया, “चलो, हम अपने लिए एक प्रधान को नियुक्त करें और लौट जाएं, मिस्र देश को.”

5यह सुन मोशेह एवं अहरोन सारी इस्राएली मण्डली के सामने मुंह के बल गिर पड़े. 6नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब ने, जो इस देश में भेद लेने के लिए गए थे, अपने वस्त्र फाड़ दिए. 7सारे इस्राएल के घराने को संबोधित कर उन्होंने कहा, “वह देश, जिसकी सारी भूमि का हमने भेद लिया है, बहुत ही उपजाऊ भूमि है. 8यदि याहवेह की हम पर कृपादृष्टि बनी रहती है, तो वह हमें इस देश में ले जाएंगे तथा यह हमें दे देंगे; ऐसा देश जिसमें दूध एवं मधु का भण्ड़ार है. 9बस याहवेह के प्रति विद्रोह न करो. उस देश के निवासियों से भयभीत न हो जाओ, क्योंकि उन्हें तो हमारा शिकार होना ही है. उन पर से उनकी सुरक्षा हटाई जा चुकी है, तथा याहवेह हमारे साथ हैं. मत डरो उनसे.”

10किंतु सारी मण्डली उन पर पथराव करने पर उतारू हो गई. तब मिलनवाले तंबू पर सारे इस्राएल के घराने पर याहवेह की ज्योति प्रकाशमान हुई. 11याहवेह ने मोशेह से प्रश्न किया, “और कब तक ये लोग मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? कब तक वे मुझमें विश्वास न करेंगे, जबकि मैं उनके बीच में ये सारे चिन्ह दिखा चुका हूं? 12मैं उन पर महामारी डालकर उनको बाहर निकाल दूंगा. इसके बाद मैं तुमसे एक ऐसे राष्ट्र को उत्पन्‍न करूंगा, जो इनसे अधिक संख्या में और बलवान होगा.”

13किंतु मोशेह ने निवेदन करते हुए याहवेह से कहा, “तब तो मिस्रवासी इस विषय में सुन ही लेंगे, क्योंकि आपने अपने भुजबल के द्वारा इन लोगों को उनके बीच में से निकाला है. 14वे इसका वर्णन यहां के निवासियों से करेंगे. उन्हें यह मालूम है कि आप याहवेह, हम लोगों के बीच में ही हैं. याहवेह, जब आपका बादल उन पर छाया करता था, यह उनके द्वारा आमने-सामने देखा जा चुका है, तथा यह भी कि आप दिन के समय बादल का खंभा तथा रात में आग का खंभा बनकर इनके आगे-आगे चल रहे हैं. 15यदि आप इस राष्ट्र को इस रीति से खत्म कर देंगे, मानो यह जनता एक ही व्यक्ति है, तब जिन राष्ट्रों ने आपकी कीर्ति के विषय में सुन रखा है, यही कहेंगे, 16‘यह इसलिये हुआ है कि याहवेह इस राष्ट्र को अपनी शपथ के साथ की गई प्रतिज्ञा के अनुसार उस देश में ले जाने में सफल नहीं रह पाए हैं, इसलिये उन्होंने इस राष्ट्र को निर्जन प्रदेश में ही मार डाला.’

17“किंतु अब, मेरे प्रभु, आपसे मेरी यह विनती है, आपकी सामर्थ्य की महिमा आपके कहने के अनुसार हो: 18‘याहवेह क्रोध करने में धीरजवंत तथा अति करुणामय, वह अधर्म एवं अपराध के लिए क्षमा करनेवाले हैं, किंतु वह किसी भी स्थिति में दोषी को बिना दंड दिए नहीं छोड़ते. वह पूर्वजों के अधर्म का दंड उनके बेटों, पोतों और परपोतों तक को देते हैं.’ 19याहवेह, आपके कभी न बदलनेवाले प्रेम की बहुतायत के अनुसार, मेरी विनती है, अपनी प्रजा के अपराध को क्षमा कर दीजिए, ठीक जिस प्रकार आप मिस्र से निकालने से लेकर अब तक अपनी प्रजा को क्षमा करते रहे हैं.”

20फिर याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हारी विनती के अनुसार मैं उन्हें क्षमा कर चुका हूं. 21किंतु याद रहे, शपथ मेरे जीवन की, सारी धरती याहवेह की महिमा से भर जाएगी, 22उन सभी व्यक्तियों ने, जिन्होंने मेरी महिमा और मेरे द्वारा दिखाए गए चिन्हों को देख लिया है, जो मैंने मिस्र देश में तथा यहां निर्जन प्रदेश में दिखाए हैं, फिर भी दस अवसरों पर मेरे आदेशों की उपेक्षा की और मेरी परीक्षा की है, 23वे किसी भी रीति से उस देश को देख न पाएंगे, जिसकी शपथ मैंने उनके पूर्वजों से की थी, वैसे ही वे भी इस देश को न देख पाएंगे, जिन्होंने मेरा इनकार किया है. 24किंतु मेरे सेवक कालेब में, एक अलग आत्मा है और जिसने पूरी-पूरी रीति से मेरा अनुसरण किया है, उसे ही मैं उस देश में ले जाऊंगा, जिसका वह भेद ले चुका है, उसके वंशज उस देश पर अधिकार कर लेंगे. 25इस समय उन घाटियों में अमालेकियों तथा कनानियों का निवास है. कल तुम लाल सागर के मार्ग से निर्जन प्रदेश की ओर कूच करना.”

26याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को संबोधित किया: 27“बताओ, मैं कब तक इस कुटिल सभा के प्रति सहानुभूति दिखाता रहूं, जो मेरे विरुद्ध बड़बड़ा रहे हैं? इस्राएल के घराने के अपशब्द मेरे कानों तक पहुंच चुके हैं, वे अपशब्द, जो वे मेरे विरुद्ध कह रहे हैं. 28तुम उनसे यह कहो, ‘मेरे जीवन की शपथ,’ यह याहवेह का वचन है, ‘ठीक जैसा जैसा तुमने मेरे सुनने में बातें की हैं,’ निश्चित ही तुम्हारे लिए मैं ठीक वैसा ही कर दूंगा. 29तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में धराशाई पड़े रहेंगे; उन सब की जिनकी गिनती की जा चुकी है. बीस वर्ष से ऊपर की आयु के सभी व्यक्ति, जिन्होंने मेरे विरुद्ध आवाज उठाकर बड़बड़ की है. 30निश्चित ही तुम सब उस देश में प्रवेश नहीं करोगे, जिसमें तुम्हें बसा देने की शपथ मैंने तुमसे की थी; सिर्फ येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब तथा नून के पुत्र यहोशू के अलावा. 31हां, तुम्हारी संतान, जिनके विषय में तुमने कहा था कि वे उनके भोजन हो जाएंगे, उन्हें मैं उस देश में ले जाऊंगा. वे ही उस देश पर अधिकार करेंगे, जिसे तुमने ठुकरा दिया है. 32किंतु तुम्हारे लिए तो यही तय हो चुका है तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में पड़े रहेंगे. 33तुम्हारे वंशज चालीस वर्ष इस निर्जन प्रदेश में चरवाहे होंगे तथा वे तुम्हारे द्वारा किए गए इस विश्वासघात के लिए कष्ट भोगेंगे और तुम्हारे शव निर्जन प्रदेश में पड़े पाए जाएंगे. 34यह उसी अनुपात में होगा, जितने दिन तुमने उस देश का भेद लिया था; चालीस दिन-भेद लेने के, एक दिन के लिए इस निर्जन प्रदेश में एक वर्ष, कुल चालीस वर्ष. तब तुम अपने पाप के कारण कष्ट भोगोगे और मुझसे विरोध का परिणाम समझ जाओगे. 35मैं, याहवेह ने, यह घोषणा कर दी है, मैं इस पूरी बुरी सभा के साथ निश्चित ही यह करूंगा, जो मेरे विरुद्ध एकजुट हो गए हैं. इसी निर्जन प्रदेश में नष्ट हो जाएंगे; यहीं उनकी मृत्यु हो जाएगी.”

36वैसे उन लोगों की नियति, जिन्हें मोशेह ने उस देश का भेद लेने के उद्देश्य से भेजा था और जिन्होंने लौटने पर उस देश का उलटा चित्रण किया था, जिन्होंने सारी सभा को बड़बड़ाने के लिए उभार दिया था, 37ये वे ही थे, जिन्होंने उस देश का अत्यंत भयानक चित्र प्रस्तुत किया था, याहवेह ही के सामने महामारी से उनकी मृत्यु हो गई. 38किंतु नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब ही उनमें से जीवित रहे, जो उस देश का भेद लेने के लिए गए हुए थे.

39जब मोशेह ने सभी इस्राएलियों के सामने यह बातें दोहराई, वे घोर विलाप करने लगे. 40फिर भी, वे बड़े तड़के उठे और इस विचार से, “निश्चयतः हमने पाप किया है. अब हम यहां तक पहुंच चुके हैं, हम याहवेह के प्रतिज्ञा किए हुए देश को चले जाएंगे!”

41किंतु मोशेह ने आपत्ति की, “तुम लोग याहवेह के आदेश का उल्लंघन करने पर उतारू क्यों हो? यह कार्य हो ही नहीं सकता! 42मत जाओ वहां, नहीं तो तुम शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे, क्योंकि अब तुम पर याहवेह का आश्रय नहीं रहा, 43वहां तुम स्वयं को अमालेकियों एवं कनानियों के सामने पाओगे और तुम तलवार से मार दिए जाओगे, क्योंकि तुमने याहवेह का अनुसरण करने को तुच्छ जाना है. यहां याहवेह तुम्हारे साथ न रहेंगे.”

44किंतु वे मोशेह की चेतावनी को न मानते हुए उस पर्वतीय क्षेत्र के टीले पर चढ़ गए. न तो मोशेह ने छावनी छोड़ी थी और न ही वाचा के संदूक को छावनी के बाहर लाया गया था. 45तब उस पर्वतीय क्षेत्र के निवासी अमालेकी तथा कनानी उन पर टूट पड़े और होरमाह नामक स्थान तक उनका पीछा करते हुए उनको मारते चले गए.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

民數記 14:1-45

以色列人發怨言

1當晚,全體會眾放聲大哭。 2全體以色列會眾埋怨摩西亞倫說:「我們還不如死在埃及或曠野! 3耶和華為什麼把我們領到這裡來,讓我們死於刀下?我們的妻兒必被擄去。我們還不如返回埃及。」 4他們彼此議論說:「我們選一位首領帶我們回埃及吧!」

5摩西亞倫俯伏在以色列全體會眾面前。 6打探迦南的人中,的兒子約書亞耶孚尼的兒子迦勒撕裂衣服, 7以色列全體會眾說:「我們去打探的地方極其美好。 8如果耶和華喜悅我們,祂必把我們帶到那片土地,將那奶蜜之鄉賜給我們。 9你們不要背叛耶和華,也不要害怕那裡的人,他們不過是我們的獵物,他們已失去庇護。耶和華與我們同在,不要怕他們。」 10但全體會眾威脅要用石頭打死他們二人。這時耶和華的榮光在會幕中向全體以色列人顯現。

11耶和華對摩西說:「這些人藐視我要到何時呢?我在他們中間行了這麼多神蹟,他們還要不信我到何時呢? 12我要用瘟疫毀滅他們,不讓他們承受那片土地。但我要使你成為大國,比他們更強盛。」 13摩西對耶和華說:「你曾經用大能把以色列人從埃及領出來,埃及人聽說這事後, 14一定會告訴迦南的居民。那裡的居民早已聽說你耶和華與以色列人同在,你面對面向他們顯現,你的雲彩停留在他們上面,你白天用雲柱、黑夜用火柱引導他們。 15如果你把他們全部消滅,那些聽過你威名的列國就會議論說, 16『耶和華無法把以色列人領到祂起誓要賜給他們的地方,所以在曠野把他們殺了。』 17因此,求主彰顯偉大的權能,正如你所宣告的, 18『耶和華不輕易發怒,充滿慈愛;祂赦免罪惡和過犯,但決不免除罪責,必向子孫追討父輩的罪債,直到三四代。』 19從他們離開埃及直到現在,你一直在饒恕他們,求你以偉大的慈愛再次赦免這些人的罪。」

20耶和華說:「我聽你的祈求,赦免他們。 21但我憑我的永恆起誓,正如大地充滿我的榮耀一樣確實, 22-23他們絕對一個也看不到我起誓要賜給他們祖先的土地,藐視我的人都看不到那片土地。這些人見過我的榮耀,見過我在埃及和曠野所行的神蹟,卻仍然不聽我的話,試探我十次之多。 24但我的僕人迦勒力排眾議,全心跟從我,所以我必帶他進入那片他去過的土地,讓他的子孫擁有那片產業。 25由於亞瑪力人和迦南人住在山谷中,明天你們要轉回,沿紅海的路前往曠野。」

26耶和華對摩西亞倫說: 27「這邪惡的會眾向我發怨言要到何時呢?我已聽見以色列人對我的埋怨。 28你們去把我的話告訴他們,『以色列人啊,我憑我的永恆起誓,我必照你們所說的對待你們。 29你們當中凡登記在冊、二十歲以上向我發怨言的人,必倒斃在這曠野中, 30耶孚尼的兒子迦勒的兒子約書亞之外,你們無人能進入我向你們起誓應許之地。 31你們說你們的兒女會被擄去,但我要把他們帶到那裡,讓他們享有那片你們厭棄的土地。 32而你們必死在這曠野。 33你們的兒女要在曠野飄泊四十年,為你們的不忠而受苦,直到你們都死在曠野。 34你們打探了那地方四十天,你們要為自己的罪受苦四十年,一年頂一天。那時,你們就知道與我為敵的後果。』 35我耶和華已經說過,我必這樣對付這群集合起來與我為敵的邪惡會眾。他們必死在曠野,全部喪命。」

36摩西派去打探迦南的人回來以後危言聳聽,以致全體會眾向摩西發怨言。 37這些危言聳聽的人因而染上瘟疫,死在耶和華面前。 38前去打探的人中只有的兒子約書亞耶孚尼的兒子迦勒得以倖存。

39摩西傳達完耶和華的話後,以色列人非常悲傷。 40他們清早起來上到山頂,說:「我們知罪了,現在我們要去耶和華應許的地方。」 41摩西說:「你們為什麼要違背耶和華的命令?你們不會成功的。 42不要上去!因為耶和華不與你們同在,你們會被敵人打敗。 43你們會遇見亞瑪力人和迦南人,並喪身在他們刀下,因為你們離棄耶和華,祂不再與你們同在。」 44儘管耶和華的約櫃和摩西都沒有出營,他們卻擅自上山頂去。 45住在山區的亞瑪力人和迦南人下來擊潰了他們,一路追殺他們到何珥瑪