याकोब की मिस्र यात्रा
1इस्राएल46:1 यानी याकोब अपनी पूरी संपत्ति लेकर वहां से रवाना हुए. जब वे बेअरशेबा पहुंचे, उन्होंने अपने पिता यित्सहाक के परमेश्वर को बलि चढ़ाई.
2उस रात परमेश्वर ने इस्राएल को दर्शन में कहा “हे, याकोब! याकोब!”
उसने कहा, “कहिये, क्या आज्ञा है?”
3उन्होंने कहा, “मैं परमेश्वर, तुम्हारे पिता का परमेश्वर हूं; मिस्र जाने से मत डरो, तुम वहां जाओ और मैं वहां तुमसे एक बड़ी जाति बनाऊंगा. 4मिस्र तक मैं तुम्हारे साथ साथ चलूंगा और निश्चयतः मैं ही तुम्हें वहां से लौटा भी लाऊंगा. तुम्हारी मृत्यु के समय योसेफ़ तुम्हारे पास होगा.”
5तब इस्राएल के पुत्रों ने अपने पिता याकोब, अपने-अपने बालकों एवं अपनी-अपनी पत्नियों को उस गाड़ी में बैठा दिया, जिसे फ़रोह ने भेजी थी. 6इन्होंने अपने साथ अपने पशु एवं पूरी संपत्ति ले ली थी, जो कनान देश में उन्होंने अर्जित थी. याकोब तथा उनके सभी लोग मिस्र देश पहुंच गये. 7याकोब अपने पुत्र तथा उनके पौत्र, उनकी पुत्रियां तथा उनकी पौत्रियां—सभी को अपने साथ मिस्र लेकर आये.
8इस्राएल के पुत्रों के नाम (याकोब तथा उनके पुत्र) जो मिस्र देश में आए थे:
रियूबेन, याकोब का बड़ा बेटा.
9रियूबेन के पुत्र:
हनोख, पल्लू, हेज़रोन तथा कारमी.
10शिमओन के पुत्र:
येमुएल, यामिन, ओहद, याकिन, ज़ोहार, तथा एक कनानी स्त्री से पैदा शाऊल.
11लेवी के पुत्र:
गेरशोन, कोहाथ तथा मेरारी.
12यहूदाह के पुत्र:
एर, ओनान, शेलाह, पेरेज़ तथा ज़ेराह (किंतु एर तथा ओनान की मृत्यु कनान देश में ही हो चुकी थी).
पेरेज़ के पुत्र:
हेज़रोन एवं हामुल.
13इस्साखार के पुत्र:
तोला, पुव्वाह, याशूब तथा शिम्रोन.
14ज़ेबुलून के पुत्र:
सेरेद, एलोन तथा याहलील.
15ये सभी लियाह के पुत्र थे जो याकोब से पद्दन-अराम में पैदा हुए थे; इनके अतिरिक्त उनकी एक पुत्री दीनाह भी थी. उनके पुत्र-पुत्रियों की संख्या तैंतीस थी.
16गाद के पुत्र:
ज़िफिओन, हग्गी, शूनी, एज़बोन, एरी, अरोदी तथा अरेली.
17आशेर के पुत्र:
इमनाह, इशवाह, इशवी, बेरियाह तथा उनकी बहन सेराह.
बेरियाह के पुत्र:
हेबेर तथा मालखिएल.
18ये सभी ज़िलपाह से जन्मे पुत्र हैं. ज़िलपाह लाबान द्वारा अपनी पुत्री लियाह को दी गईं दासी थी. उससे याकोब के सोलह जन पैदा हुए थे.
19याकोब की पत्नी राहेल:
योसेफ़ तथा बिन्यामिन जन्मे.
20मिस्र देश में योसेफ़ के दो पुत्र मनश्शेह तथा एफ्राईम जन्मे. ये सभी योसेफ़ की पत्नी असेनाथ से जन्मे थे जो ओन46:20 ओन अर्थात् हेलिओपॉलीस के पुरोहित पोतिफेरा की पुत्री थी.
21बिन्यामिन के पुत्र:
बेला, बेकेर, अशबेल, गेरा, नामान, एही, रोश, मुप्पिम, हुप्पिम तथा अर्द.
22ये राहेल द्वारा याकोब के पुत्र हैं, जो चौदह व्यक्ति थे.
23दान का पुत्र:
हुषीम.
24नफताली के पुत्र:
यहसेल, गूनी, येसेर तथा शिल्लेम.
25ये सभी अपनी पुत्री राहेल को लाबान द्वारा दी गईं दासी बिलहाह से जन्मे याकोब के पुत्र थे. ये सभी कुल सात व्यक्ति थे.
26याकोब के परिवार के लोग जो मिस्र देश में आ गए थे—जो उनके वंश में जन्मे थे. इनमें याकोब की बहुएं गिनी गयी नहीं थीं. ये सभी छियासठ व्यक्ति थे 27योसेफ़ के पुत्र, जो मिस्र देश में जन्मे हुए थे वह दो थे. याकोब के पूरे परिवार के लोग जो मिस्र देश में आये थे, वे कुल सत्तर थे.
28याकोब ने यहूदाह को पहले योसेफ़ के पास गोशेन के लिए मार्गदर्शन पाने के लिए भेजा. जब यहूदाह गोशेन प्रदेश में पहुंच गया, 29तब योसेफ़ ने अपना रथ तैयार करवाया कि वह अपने पिता इस्राएल से भेंट करने गोशेन पहुंच जाएं. जैसे ही उनके पिता उनके पास आये, वह उनके गले लगकर बहुत देर तक रोते रहे.
30फिर इस्राएल ने योसेफ़ से कहा, “अब मैं शांतिपूर्वक अपने प्राण त्याग सकता हूं, क्योंकि मैंने तुम्हें देख लिया है, कि तुम जीवित हो.”
31योसेफ़ ने अपने भाइयों तथा अपने पिता के सभी लोगों से कहा, “मैं जाकर फ़रोह को बताता हूं, ‘कनान देश से मेरे भाई तथा मेरे पिता का परिवार यहां पहुंच चुका है. 32वे सभी चरवाहे हैं; और पशु पालते हैं. वे अपने साथ पशु, भेड़-बकरी तथा अपनी पूरी संपत्ति लेकर आए हैं.’ 33योसेफ़ ने अपने पिता एवं भाइयों से कहा कि अगर फ़रोह आप लोगों से पूछे, ‘आप लोग क्या करते हैं?’ 34तो कहना कि हम चरवाहे हैं, और ‘हमारे पूर्वज यही काम करते थे.’ इससे आपके लिए गोशेन में रहना आसान हो जाएगा. क्योंकि मिस्र के लोग चरवाहों से नफ़रत करते हैं.”
يعقوب يرتحل إلى مصر
1وَارْتَحَلَ إِسْرَائِيلُ وَكُلُّ مَالَهُ حَتَّى وَصَلَ إِلَى بِئْرِ سَبْعٍ، فَقَدَّمَ ذَبَائِحَ إِلَى إِلَهِ أَبِيهِ إِسْحاقَ. 2وَقَالَ اللهُ لإِسْرَائِيلَ فِي رُؤَى اللَّيْلِ: «يَعْقُوبُ، يَعْقُوبُ». فَأَجَابَ: «هَا أَنَا» 3فَقَالَ: «أَنَا هُوَ اللهُ، إِلَهُ أَبِيكَ. لَا تَخَفْ مِنَ الذَّهَابِ إِلَى مِصْرَ لأَنِّي أَجْعَلُكَ أُمَّةً عَظِيمَةً هُنَاكَ. 4أَنَا أَصْحَبُكَ إِلَى مِصْرَ، وَأَنَا أُرْجِعُكَ أَيْضاً، وَيُغْمِضُ يُوسُفُ أَجْفَانَكَ بِيَدَيْهِ عِنْدَ مَوْتِكَ».
5فَانْطَلَقَ يَعْقُوبُ مِنْ بِئْرِ سَبْعٍ. وَحَمَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ يَعْقُوبَ أَبَاهُمْ وَأَوْلادَهُمْ وَزَوْجَاتِهِمْ فِي الْعَرَبَاتِ الَّتِي أَرْسَلَهَا فِرْعَوْنُ لِنَقْلِهِ. 6وَأَخَذُوا مَعَهُمْ مَوَاشِيَهُمْ وَمُقْتَنَيَاتِهِمِ الَّتِي اقْتَنَوْهَا فِي أَرْضِ كَنْعَانَ وَجَاءُوا جَمِيعاً إِلَى مِصْرَ، 7فَقَدْ صَحِبَ يَعْقُوبُ مَعَهُ إِلَى مِصْرَ أَبْنَاءَهُ وَأَحْفَادَهُ مِنْ بَنِينَ وَبَنَاتٍ، وَسَائِرَ ذُرِّيَّتِهِ.
8وَهَذِهِ أَسْمَاءُ أَبْنَاءِ إِسْرَائِيلَ الَّذِينَ قَدِمُوا مَعَهُ إِلَى مِصْرَ. يَعْقُوبُ وَأَبْنَاؤُهُ: رَأُوبَيْنُ بِكْرُ يَعْقُوبَ. 9وَأَبْنَاءُ رَأُوبَيْنَ: حَنُوكُ وَفَلُّو وَحَصْرُونُ وَكَرْمِي. 10وَأَبْنَاءُ شِمْعُونَ: يَمُوئِيلُ وَيَامِينُ وَأُوهَدُ وَيَاكِينُ وَصُوحَرُ وَشَأُولُ ابْنُ الْكَنْعَانِيَّةِ. 11وَأَبْنَاءُ لاوِي: جِرْشُونُ وَقَهَاتُ وَمَرَارِي. 12وَأَبْنَاءُ يَهُوذَا: عِيرٌ وَأُونَانُ وَشِيلَةُ وَفَارَصُ وَزَارَحُ. وَمَاتَ عِيرٌ وَأُونَانُ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ. وَأَمَّا ابْنَا فَارَصَ فَهُمَا حَصْرُونُ وَحَامُولُ. 13وَأَبْنَاءُ يَسَّاكَرَ: تُولاعُ وَفَوَّةُ وَيُوبٌ وَشِمْرُونُ. 14وَأَبْنَاءُ زَبُولُونَ: سَارَدُ وَإِيلُونُ وَيَاحَلْئِيلُ. 15هَؤُلاءِ جَمِيعُهُمْ أَبْنَاءُ لَيْئَةَ الَّذِينَ أَنْجَبَتْهُمْ لِيَعْقُوبَ فِي سَهْلِ أَرَامَ، فَضْلاً عَنِ ابْنَتِهِ دِينَةَ. فَكَانَ مَجْمُوعُ عَدَدِ بَنِيهِ وَبَنَاتِهِ وَأَحْفَادِهِ مِنْ لَيْئَةَ ثَلاثَةً وَثَلاثِينَ.
16وَأَبْنَاءُ جَادٍ صِفْيُونُ وَحَجِّي وَشُونِي وَأَصْبُونَ وَعِيرِي وَأَرُودِي وَأَرْئِيلِي. 17وَأَبْنَاءُ أَشِيرَ: يِمْنَةُ وَيِشْوَةُ وَيِشْوِيُ وَبَرِيعَةُ وَأُخْتُهُمْ سَارَحُ. أَمَّا ابْنَا بَرِيعَةَ فَهُمَا حَابَرُ وَمَلْكِيئِيلُ. 18هُؤُلاءِ هُمْ بَنُو زِلْفَةَ جَارِيَةِ لَيْئَةَ الَّتِي وَهَبَهَا إِيَّاهَا لابَانُ. فَكَانَ عَدَدُ ذُرِّيَّتِهَا الَّتِي أَنْجَبَتْهَا لِيَعْقُوبَ سِتَّ عَشْرَةَ نَفْساً.
19أَمَّا ابْنَا رَاحِيلَ زَوْجَةِ يَعْقُوبَ فَهُمَا يُوسُفُ وَبِنْيَامِينُ. 20وَوُلِدَ لِيُوسُفَ فِي أَرْضِ مِصْرَ مَنَسَّى وَأَفْرَايِمُ اللَّذَانِ أَنْجَبَتْهُمَا لَهُ أَسْنَاتُ ابْنَةُ فُوطِيفَارَعَ كَاهِنِ أُونٍ. 21وَأَبْنَاءُ بِنْيَامِينَ بَالَعُ وَبَاكَرُ وَأَشْبِيلُ وَجِيرَا وَنَعْمَانُ وَإِيحِي وَرُوشُ وَمُفِّيمُ وَحُفِّيمُ وَأَرْدُ 22هَؤُلاءِ ذُرِّيَّةُ رَاحِيلَ الَّذِينَ وُلِدُوا لِيَعْقُوبَ. وَعَدَدُهُمْ جَمِيعاً أَرْبَعَةَ عَشَرَ شَخْصاً.
23وَابْنُ دَانٍ هُوَ حُوشِيمُ. 24وَأَبْنَاءُ نَفْتَالِي: يَاحَصْئِيلُ وَجُونِي وَيِصْرُ وَشِلِّيمُ. 25هَؤُلاءِ بَنُو يَعْقُوبَ الَّذِينَ أَنْجَبَتْهُمْ لَهُ بِلْهَةُ جَارِيَةُ رَاحِيلَ الَّتِي أَعْطَاهَا إِيَّاهَا أَبُوهَا لابَانُ، وَعَدَدُهُمْ جَمِيعاً سَبْعَةُ أَشْخَاصٍ.
26فَكَانَ عَدَدُ جَمِيعِ الأَشْخَاصِ الْخَارِجِينَ مِنْ صُلْبِ يَعْقُوبَ، مِمَّنْ وَفَدُوا إِلَى مِصْرَ، سِتَّةً وَسِتِّينَ شَخْصاً مَاعَدَا زَوْجَاتِ أَبْنَائِهِ. 27وَابْنَا يُوسُفَ اللَّذَانِ وُلِدَا لَهُ فِي مِصْرَ هُمَا شَخْصَانِ. فَيَكُونُ عَدَدُ نُفُوسِ بَيْتِ يَعْقُوبَ الَّتِي قَدِمَتْ إِلَى مِصْرَ سَبْعِينَ نَفْساً.
28وَأَرْسَلَ يَعْقُوبُ يَهُوذَا أَمَامَهُ إِلَى يُوسُفَ لِيَدُلَّهُ عَلَى الطَّرِيقِ الْمُؤَدِّيَةِ إِلَى جَاسَانَ. 29فَأَعَدَّ يُوسُفُ مَرْكَبَتَهُ وَصَعِدَ لِلِقَاءِ أَبِيهِ إِسْرَائِيلَ فِي جَاسَانَ. وَمَا إِنْ أَقْبَلَ عَلَيْهِ حَتَّى عَانَقَهُ يُوسُفُ وَبَكَى زَمَاناً طَوِيلاً. 30وَقَالَ إِسْرَائِيلُ لِيُوسُفَ: «دَعْنِي أَمُوتُ الآنَ إِذْ قَدْ أَبْصَرْتُ وَجْهَكَ وَرَأَيْتُ أَنَّكَ مَازِلْتَ حَيًّا».
31وَخَاطَبَ يُوسُفُ إخْوَتَهُ وَبَيْتَ أَبِيهِ: «أَنَا مَاضٍ الآنَ إِلَى فِرْعَوْنَ لأُخْبِرَهُ أَنَّ إخْوَتِي وَبَيْتَ أَبِي الْمُقِيمِينَ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ قَدْ قَدِمُوا إِلَيَّ. 32وَهُمْ رُعَاةُ غَنَمٍ، وَحِرْفَتُهُمْ رِعَايَةُ الْمَوَاشِي، لِذَلِكَ أَحْضَرُوا مَعَهُمْ غَنَمَهُمْ وَبَقَرَهُمْ وَكُلَّ مَالَهُمْ. 33فَإِذَا دَعَاكُمْ وَسَأَلَكُمْ: مَا حِرْفَتُكُمْ؟ 34قُولُوا: حِرْفَتُنَا رِعَايَةُ الْمَوَاشِي مُنْذُ صِبَانَا إِلَى الآنَ، كَذَلِكَ نَحْنُ وَهَكَذَا كَانَ آبَاؤُنَا جَمِيعاً. لِكَيْ تُقِيمُوا فِي أَرْضِ جَاسَانَ؛ لأَنَّ كُلَّ رَاعِي غَنَمٍ نَجِسٌ لَدَى الْمِصْرِيِّينَ».