इब्री 3 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

इब्री 3:1-19

मसीह येशु विश्वासयोग्य तथा करुणामय पुरोहित

1इसलिये स्वर्गीय बुलाहट में भागीदार पवित्र प्रिय भाई बहनो, मसीह येशु पर ध्यान दो, जो हमारे लिए परमेश्वर के ईश्वरीय सुसमाचार के दूत तथा महापुरोहित हैं. 2वह अपने चुननेवाले के प्रति उसी प्रकार विश्वासयोग्य बने रहे, जिस प्रकार परमेश्वर के सारे परिवार में मोशेह. 3मसीह येशु मोशेह की तुलना में ऊंची महिमा के योग्य पाए गए, जिस प्रकार भवन की तुलना में भवन निर्माता. 4हर एक भवन का निर्माण किसी न किसी के द्वारा ही किया जाता है किंतु हर एक वस्तु के बनानेवाले परमेश्वर हैं. 5जिन विषयों का वर्णन भविष्य में होने पर था, “उनकी घोषणा करने में परमेश्वर के सारे परिवार में मोशेह एक सेवक के रूप में विश्वासयोग्य थे,”3:5 गण 12:7 6किंतु मसीह एक पुत्र के रूप में अपने परिवार में विश्वासयोग्य हैं. और वह परिवार हम स्वयं हैं, यदि हम दृढ़ विश्वास तथा अपने आशा के गौरव को अंत तक दृढतापूर्वक थामे रहते हैं.

अविश्वास के प्रति चेतावनी

7इसलिये ठीक जिस प्रकार पवित्र आत्मा का कहना है:

“यदि आज, तुम उनकी आवाज सुनो,

8तो अपने हृदय कठोर न कर लेना,

जैसा तुमने मुझे उकसाते हुए बंजर भूमि,

में परीक्षा के समय किया था,

9वहां तुम्हारे पूर्वजों ने चालीस वर्षों तक,

मेरे महान कामों को देखने के बाद भी चुनौती देते हुए मुझे परखा था.

10इसलिये मैं उस पीढ़ी से क्रोधित रहा;

मैंने उनसे कहा, ‘हमेशा ही उनका हृदय मुझसे दूर हो जाता है,

उन्हें मेरे आदेशों का कोई अहसास नहीं है.’

11इसलिये मैंने अपने क्रोध में शपथ ली,

‘मेरे विश्राम में उनका प्रवेश कभी न होगा.’ ”3:11 स्तोत्र 95:7-11

12प्रिय भाई बहनो, सावधान रहो कि तुम्हारे समाज में किसी भी व्यक्ति का ऐसा बुरा तथा अविश्वासी हृदय न हो, जो जीवित परमेश्वर से दूर हो जाता है. 13परंतु जब तक वह दिन, जिसे आज कहा जाता है, हमारे सामने है, हर दिन एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, ऐसा न हो कि तुममें से कोई भी पाप के छलावे के द्वारा कठोर बन जाए. 14यदि हम अपने पहले भरोसे को अंत तक सुरक्षित बनाए रखते हैं, हम मसीह के सहभागी बने रहते हैं. 15जैसा कि वर्णन किया गया है:

“यदि आज तुम उनकी आवाज सुनो

तो अपने हृदय कठोर न कर लेना,

जैसा तुमने उस समय मुझे उकसाते हुए किया था.”3:15 स्तोत्र 95:7, 8

16कौन थे वे, जिन्होंने उनकी आवाज सुनने के बाद उन्हें उकसाया था? क्या वे सभी नहीं, जिन्हें मोशेह मिस्र देश से बाहर निकाल लाए थे? 17और कौन थे वे, जिनसे वह चालीस वर्ष तक क्रोधित रहे? क्या वे ही नहीं, जिन्होंने पाप किया और जिनके शव बंजर भूमि में पड़े रहे? 18और फिर कौन थे वे, जिनके संबंध में उन्होंने शपथ खाई थी कि वे लोग उनके विश्राम में प्रवेश नहीं पाएंगे? क्या ये सब वे ही नहीं थे, जिन्होंने आज्ञा नहीं मानी थी? 19इसलिये यह स्पष्ट है कि अविश्वास के कारण वे प्रवेश नहीं पा सके.

New Arabic Version

العبرانيين 3:1-19

المسيح أعظم من موسى

1إِذَنْ، أَيُّهَا الإِخْوَةُ الْقِدِّيسُونَ الَّذِينَ اشْتَرَكْتُمْ فِي الدَّعْوَةِ السَّمَاوِيَّةِ، تَأَمَّلُوا يَسُوعَ: الرَّسُولَ وَرَئِيسَ الْكَهَنَةِ فِي الإِيمَانِ الَّذِي نَتَمَسَّكُ بِهِ. 2فَهُوَ أَمِينٌ لِلهِ فِي الْمُهِمَّةِ الَّتِي عَيَّنَهُ لَهَا، كَمَا كَانَ مُوسَى أَمِيناً فِي الْقِيَامِ بِخِدْمَتِهِ فِي بَيْتِ اللهِ كُلِّهِ. 3إِلّا أَنَّهُ يَسْتَحِقُّ مَجْداً أَعْظَمَ مِنْ مَجْدِ مُوسَى، كَمَا أَنَّ الَّذِي يَبْنِي بَيْتاً يَنَالُ إِكْرَاماً وَمَدْحاً أَكْثَرَ مِمَّا يَنَالُ الْبَيْتُ الَّذِي بَنَاهُ! 4طَبْعاً، كُلُّ بَيْتٍ لابُدَّ أَنْ يَكُونَ لَهُ بَانٍ، وَاللهُ نَفْسُهُ هُوَ بَانِي كُلِّ شَيْءٍ. 5إِنَّ مُوسَى كَانَ أَمِيناً فِي كُلِّ بَيْتِ اللهِ، وَلَكِنْ بِصِفَتِهِ خَادِماً. وَكَانَ ذَلِكَ شَهَادَةً لِمَا أَعْلَنَهُ اللهُ فِيمَا بَعْدُ. 6أَمَّا الْمَسِيحُ، فَهُوَ أَمِينٌ بِصِفَتِهِ ابْناً يَتَرَأَّسُ عَلَى الْبَيْتِ. وَهَذَا الْبَيْتُ هُوَ نَحْنُ الْمُؤْمِنِينَ، عَلَى أَنْ نَتَمَسَّكَ بِالثِّقَةِ وَالافْتِخَارِ بِرَجَائِنَا تَمَسُّكاً ثَابِتاً حَتَّى النِّهَايَةِ.

لا تقسوا قلوبكم

7لِهَذَا، يُنَبِّهُنَا الرُّوحُ الْقُدُسُ إِذْ يَقُولُ: «الْيَوْمَ، إِنْ سَمِعْتُمْ صَوْتَهُ، 8فَلا تُقَسُّوا قُلُوبَكُمْ، كَمَا حَدَثَ قَدِيماً، حِينَ أَثَارَ آبَاؤُكُمْ غَضَبِي، يَوْمَ التَّجْرِبَةِ فِي الصَّحْرَاءِ. 9هُنَاكَ جَرَّبُونِي وَاخْتَبَرُونِي، وَقَدْ شَاهَدُوا أَعْمَالِي طَوَالَ أَرْبَعِينَ سَنَةً. 10لِذَلِكَ ثَارَ غَضَبِي عَلَى ذَلِكَ الْجِيلِ، وَقُلْتُ: إِنَّ قُلُوبَهُمْ تَدْفَعُهُمْ دَائِماً إِلَى الضَّلالِ، وَلَمْ يَعْرِفُوا طُرُقِي قَطُّ! 11وَهكَذَا، فِي غَضَبِي، أَقْسَمْتُ قَائِلاً: إِنَّهُمْ لَنْ يَدْخُلُوا مَكَانَ رَاحَتِي!»

12فَعَلَيْكُمْ، أَيُّهَا الإِخْوَةُ، أَنْ تَأْخُذُوا حِذْرَكُمْ جَيِّداً، حَتَّى لَا يَكُونَ قَلْبُ أَيِّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ شِرِّيراً لَا إِيمَانَ فِيهِ، مِمَّا يُؤَدِّي بِهِ إِلَى الارْتِدَادِ عَنِ اللهِ الْحَيِّ. 13وَإِنَّمَا، شَجِّعُوا بَعْضُكُمْ بَعْضاً كُلَّ يَوْمٍ، مَادُمْنَا نَقُولُ: «الْيَوْمَ». وَذَلِكَ لِكَيْ لَا تُقَسِّيَ الْخَطِيئَةُ قَلْبَ أَحَدٍ مِنْكُمْ بِخِدَاعِهَا. 14فَإِنْ تَمَسَّكْنَا دَائِماً بِالثِّقَةِ الَّتِي انْطَلَقْنَا بِها فِي الْبِدَايَةِ، وَأَبْقَيْنَاهَا ثَابِتَةً إِلَى النِّهَايَةِ، نَكُونُ مُشَارِكِينَ لِلْمَسِيحِ. 15فَمَازَالَ التَّحْذِيرُ مُوَجَّهاً إِلَيْنَا: «الْيَوْمَ، إِنْ سَمِعْتُمْ صَوْتَهُ، فَلا تُقَسُّوا قُلُوبَكُمْ، كَمَا حَدَثَ قَدِيماً عِنْدَمَا أُثِيرَ غَضَبِي!» 16فَمَنْ هُمُ الَّذِينَ أَثَارُوا غَضَبَ اللهِ عِنْدَمَا سَمِعُوا الدَّعْوَةَ وَرَفَضُوهَا؟ إِنَّهُمْ ذَلِكَ الشَّعْبُ الَّذِي خَرَجَ مِنْ مِصْرَ بِقِيَادَةِ مُوسَى! 17وَعَلَى مَنْ ثَارَ غَضَبُ اللهِ مُدَّةَ أَرْبَعِينَ سَنَةً؟ عَلَى أُولَئِكَ الَّذِينَ أَخْطَأُوا، فَسَقَطَتْ جُثَثُهُمْ مُتَنَاثِرَةً فِي الصَّحْرَاءِ! 18وَلِمَنْ أَقْسَمَ اللهُ أَنَّهُمْ لَنْ يَدْخُلُوا أَبَداً مَكَانَ رَاحَتِهِ؟ لِلَّذِينَ عَصَوْا أَمْرَهُ! 19وَهكَذَا، نَرَى أَنَّ عَدَمَ الإِيمَانِ مَنَعَهُمْ مِنَ الدُّخُولِ إِلَى مَكَانِ الرَّاحَةِ.