इब्री 1 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

इब्री 1:1-14

पुत्र में परमेश्वर का सारा संवाद

1पूर्व में परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से हमारे पूर्वजों से अनेक समय खण्डों में विभिन्‍न प्रकार से बातें की, 2किंतु अब इस अंतिम समय में उन्होंने हमसे अपने पुत्र के द्वारा बातें की हैं, जिन्हें परमेश्वर ने सारी सृष्टि का वारिस चुना और जिनके द्वारा उन्होंने युगों की सृष्टि की. 3पुत्र ही परमेश्वर की महिमा का प्रकाश तथा उनके तत्व का प्रतिबिंब है. वह अपने सामर्थ्य के वचन से सारी सृष्टि को स्थिर बनाये रखता है. जब वह हमें हमारे पापों से धो चुके, वह महिमामय ऊंचे पर विराजमान परमेश्वर की दायीं ओर में बैठ गए. 4वह स्वर्गदूतों से उतने ही उत्तम हो गए जितनी स्वर्गदूतों से उत्तम उन्हें प्रदान की गई महिमा थी.

पुत्र स्वर्गदूतों से उत्तम हैं

5भला किस स्वर्गदूत से परमेश्वर ने कभी यह कहा:

“तुम मेरे पुत्र हो!

आज मैं तुम्हारा पिता हो गया हूं?”1:5 स्तोत्र 2:7

तथा यह:

“उसका पिता मैं बन जाऊंगा

और वह मेरा पुत्र हो जाएगा?”1:5 2 शमु 7:14; 1 इति 17:13

6और तब, वह अपने पहलौठे पुत्र को संसार के सामने प्रस्तुत करते हुए कहते हैं:

“परमेश्वर के सभी स्वर्गदूत उनके पुत्र की वंदना करें.”1:6 व्यव 32:43

7स्वर्गदूतों के विषय में उनका कहना है:

“वह अपने स्वर्गदूतों को हवा में और अपने सेवकों को

आग की लपटों में बदल देते हैं.”1:7 स्तोत्र 104:4

8परंतु पुत्र के विषय में:

“हे परमेश्वर, आपका सिंहासन अनश्वर है;

आपके राज्य का राजदंड वही होगा, जो सच्चाई का राजदंड है.

9धार्मिकता आपको प्रिय है तथा दुष्टता घृणास्पद;

यही कारण है कि परमेश्वर,

आपके परमेश्वर ने हर्ष के तेल से आपको अभिषिक्त करके आपके समस्त साथियों से ऊंचे स्थान पर बसा दिया है.1:9 स्तोत्र 45:6, 7

10और,

“प्रभु! आपने प्रारंभ में ही पृथ्वी की नींव रखी,

तथा आकाशमंडल आपके ही हाथों की कारीगरी है.

11वे तो नष्ट हो जाएंगे किंतु आप अस्तित्व में ही रहेंगे.

वे सभी वस्त्र समान पुराने हो जाएंगे.

12आप उन्हें वस्त्रों के ही समान परिवर्तित कर देंगे.

उनका अस्तित्व समाप्‍त हो जाएगा.

पर आप न बदलनेवाले हैं,

आपके समय का कोई अंत नहीं.”1:12 स्तोत्र 102:25-27

13भला किस स्वर्गदूत से परमेश्वर ने यह कहा,

“मेरी दायीं ओर में बैठ जाओ

जब तक मैं तुम्हारे शत्रुओं को

तुम्हारे चरणों की चौकी न बना दूं”1:13 स्तोत्र 110:1?

14क्या सभी स्वर्गदूत सेवा के लिए चुनी आत्माएं नहीं हैं कि वे उनकी सेवा करें, जो उद्धार पानेवाले हैं?