आमोस 5 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

आमोस 5:1-27

विलापगीत और पश्चात्ताप के लिये आव्हान

1हे इस्राएल के वंशज, तुमसे संबंधित मेरे इस विलापगीत को सुनो:

2“कुमारी कन्या इस्राएल का ऐसा गिरना हुआ है,

कि अब उसका पुनः उठ खड़ा होना असंभव है,

वह अपने ही देश में उपेक्षित हो गई,

और उसको उठानेवाला कोई नहीं है.”

3प्रभु याहवेह का इस्राएल को यह कहना है:

“तुम्हारा शहर, जो एक हजार योद्धाओं को लेकर आगे बढ़ता है

उसमें से सिर्फ एक सौ ही बचेंगे;

तुम्हारा नगर, जो सौ योद्धाओं को लेकर आगे बढ़ता है

उसमें से सिर्फ दस ही बचेंगे.”

4इस्राएल वंश के लिए याहवेह का यह कहना है:

“मेरी खोज करो और जीवित रहो;

5बेथेल की खोज न करना,

गिलगाल में प्रवेश न करना.

बेअरशेबा की यात्रा पर न जाना.

क्योंकि यह निश्चित है कि गिलगाल निवासी बंधुआई में जायेंगे,

तथा बेथेल की विपत्तियों का अंत न होगा.”

6याहवेह की खोज करो और जीवित रहो,

नहीं तो वह योसेफ़ के गोत्रों पर आग के समान भड़केगा;

यह उन्हें भस्म कर देगा,

और इसे बुझानेवाला बेथेल में कोई न होगा.

7ऐसे लोग हैं जो न्याय को बिगाड़ते हैं

और धर्मीपन को मिट्टी में मिला देते हैं.

8जिसने कृतिका तथा मृगशीर्ष नक्षत्रों की सृष्टि की,

जो मध्य रात्रि को भोर में बदल देते हैं

तथा दिन को रात्रि में,

जो महासागर के जल का बुलाते हैं

और फिर उसे पृथ्वी के ऊपर उंडेल देते हैं—

याहवेह है उनका नाम.

9पलक झपकते ही वे किले को नाश कर देते हैं

और गढ़वाले शहर का विनाश कर देते हैं.

10ऐसे लोग हैं जो अदालत में न्याय का पक्ष लेनेवाले से घृणा करते हैं

और सत्य बोलनेवाले को तुच्छ समझते हैं.

11तुम निर्धनों के भूंसा पर भी कर लेते हो

और उनके अन्‍न पर कर लगाते हो.

इसलिये, यद्यपि तुमने पत्थर की हवेलियां बनाई है,

पर तुम उनमें निवास न कर सकोगे;

यद्यपि तुमने रसदार अंगूर की बारियां लगाई हैं,

पर तुम उनका दाखरस पी न सकोगे.

12क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारे अपराध कितने ज्यादा हैं

और तुमने कितने गंभीर पाप किए हैं.

ऐसे लोग हैं जो निर्दोष पर अत्याचार करते और घूस लेते हैं

तथा निर्धन को न्यायालय में न्याय पाने से वंचित कर देते हैं.

13तब समझदार ऐसे समय में चुपचाप रहते हैं,

क्योंकि यह समय बुरा है.

14बुराई नहीं, पर भलाई करो,

कि तुम जीवित रहो.

तब याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेंगे,

जैसा कि तुम्हारा दावा है कि वह तुम्हारे साथ हैं.

15बुराई से घृणा और भलाई से प्रीति रखो;

अदालत में न्याय को बनाए रखो.

शायद याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर

योसेफ़ के बचे हुओं पर कृपा करें.

16इसलिये प्रभु, याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का यह कहना है:

“सब गलियों में विलाप होगा

और सब चौराहों पर पीड़ा से रोने की आवाज सुनाई देगी.

किसानों को रोने के लिये

और विलाप करनेवालों को विलाप करने के लिये बुलाया जाएगा.

17अंगूर की सब बारियों में विलाप होगा,

क्योंकि उस समय स्वयं मैं तुम्हारे बीच से होकर निकलूंगा,”

याहवेह का यह कहना है.

याहवेह का दिन

18धिक्कार है तुम पर,

जो तुम याहवेह के दिन की अभिलाषा करते हो!

तुम याहवेह के दिन की अभिलाषा क्यों करते हो?

यह दिन प्रकाश नहीं, अंधकार लेकर आएगा.

19यह वैसा ही होगा जैसे कोई व्यक्ति सिंह से प्राण बचाकर भाग रहा हो

और भागते हुए उसका सामना भालू से हो जाए,

अथवा वह घर के अंदर पहुंचे,

और आराम के लिए दीवार पर हाथ रखे

और वहीं उसे एक सर्प डस ले.

20क्या यह सत्य नहीं कि याहवेह का दिन प्रकाश का नहीं, अंधकार का दिन होगा—

घोर अंधकार, प्रकाश की एक किरण भी नहीं?

21“मैं तुम्हारे उत्सवों से घृणा करता हूं, उन्हें तुच्छ समझता हूं;

तुम्हारी सभाएं मेरे लिए एक दुर्गंध के समान हैं.

22भले ही तुम मुझे होमबलि और अन्‍नबलि चढ़ाओ,

पर मैं उन्हें स्वीकार नहीं करूंगा.

भले ही तुम मुझे अपना मनपसंद मेल बलि चढ़ाओ,

पर मेरे लिये उनका कोई मतलब नहीं होगा.

23दूर रखो मुझसे अपने गीतों का शोरगुल!

मैं तुम्हारे वीणा के संगीत को नहीं सुनूंगा.

24पर न्याय को नदी के समान,

तथा धर्मीपन को कभी न सूखनेवाले सोते के समान बहने दो!

25“हे इस्राएल के वंशजों, निर्जन प्रदेश में चालीस साल तक

क्या तुमने मुझे बलिदान और भेंट चढ़ाया?

26तुमने अपने साथ राजा की समाधि,

अपने मूर्तियों की पीठिका,

अपने देवता का तारा लिये फिरते हो—

जिन्हें तुमने अपने लिये बनाया है.

27इसलिये मैं तुम्हें दमेशेक से भी बाहर बंधुआई में भेजूंगा,”

याहवेह का यह कहना है, जिनका नाम सर्वशक्तिमान परमेश्वर है.