अय्योब 35 – HCV & KLB

Hindi Contemporary Version

अय्योब 35:1-16

1एलिहू ने और कहा:

2“क्या आप यह न्याय समझते हैं?

आप कहते हैं, ‘मेरा धर्म परमेश्वर के धर्म से ऊपर है?’

3क्योंकि आप तो यही कहेंगे, ‘आप पर मेरे पाप का क्या प्रभाव पड़ता है,

और पाप न करने के द्वारा मैंने क्या प्राप्‍त किया है?’

4“इसका उत्तर आपको मैं दूंगा,

आपको तथा आपके मित्रों को.

5आकाश की ओर दृष्टि उठाओ;

मेघों का अवलोकन करो, वे तुमसे ऊपर हैं.

6जब आप पाप कर बैठते हैं, इससे हानि परमेश्वर की कैसी होती है?

यदि आपके अत्याचारों की संख्या अधिक हो जाती, क्या परमेश्वर पर इसका कोई प्रभाव होता है?

7यदि आप धर्मी हैं, आप परमेश्वर के लिए कौन सा उपकार कर देंगे,

अथवा आपके इस कृत्य से आप उनके लिए कौन सा लाभ हासिल कर देंगे?

8आपकी दुष्चरित्रता आप जैसे व्यक्ति पर ही शोभा देती है,

तथा आपकी धार्मिकता मानवता के लिए योग देती है.

9“अत्याचारों में वृद्धि होने पर मनुष्य कराहने लगते हैं;

वे बुरे काम के लिए किसी शूर की खोज करते हैं.

10किंतु किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता ‘कहां हैं परमेश्वर, मेरा रचयिता,

जो रात में गीत देते हैं,

11रचयिता परमेश्वर ही हैं, जिनकी शिक्षा हमें पशु पक्षियों से अधिक विद्वत्ता देती है,

तथा हमें आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धिमान बना देती है.’

12वहां वे सहायता की पुकार देते हैं, किंतु परमेश्वर उनकी ओर ध्यान नहीं देते,

क्योंकि वे दुर्जन अपने अहंकार में डूबे हुए रहते हैं.

13यह निर्विवाद सत्य है कि परमेश्वर निरर्थक पुकार को नहीं सुनते;

सर्वशक्तिमान इस ओर ध्यान देना भी उपयुक्त नहीं समझते.

14महोदय अय्योब, आप कह रहे थे,

आप परमेश्वर को नहीं देख सकते,

अनिवार्य है कि आप परमेश्वर के समय की प्रतीक्षा करें.

आपका पक्ष उनके सामने रखा जा चुका है.

15इसके अतिरिक्त,

परमेश्वर क्रोध कर तुम्हें

दण्ड नहीं देता,

और न ही वह अभिमान की ओर ध्यान देते हैं,

16महोदय अय्योब, इसलिये व्यर्थ है आपका इस प्रकार बातें करना;

आप बिना किसी ज्ञान के अपने उद्गार पर उद्गार किए जा रहे हैं.”

Korean Living Bible

욥기 35:1-16

1엘리후는 말을 계속하였다.

2-3“욥, 너는 하나님 앞에 죄가 없 다고 말하며 ‘내가 죄를 짓지 않는다고 해서 그것이 나에게 무슨 유익이 있습니까?’ 하고 묻는 것이 옳다고 생각하느냐?

4내가 너와 네 친구들에게 대답해 주겠다.

5너는 하늘을 우러러보고 네 위에 높이 걸려 있는 구름을 바라보아라.

6네가 범죄한다고 하나님이 해를 입겠느냐? 네 죄가 많다고 한들 그것이 하나님께 무슨 영향을 미치겠느냐?

7네가 의롭다고 해서 그것이 하나님께 무슨 유익을 줄 수 있겠느냐? 하나님이 너에게서 필요로 하는 것은 아무것도 없다.

8네 죄 때문에 해를 입을 자는 너와 같은 사람뿐이며 너의 의로움으로 유익을 얻을 자도 사람뿐이다.

9“사람들은 학대를 받으면 부르짖고 누가 와서 도와주기를 호소한다.

10-11그러나 ‘밤중에도 노래를 주시며 땅의 짐승보다 우리에게 더 많은 것을 가르치시고 공중의 새보다 우리를 더 지혜롭게 하시는 나의 창조주 하나님이 어디 계신가?’ 하고 말하는 자는 하나도 없구나.

12사람들이 부르짖을 때 하나님이 듣지 않으시는 것은 그들이 교만하고 악하기 때문이다.

13전능하신 하나님은 그들의 헛된 부르짖음에 귀를 기울이시지도 않고 듣지도 않으신다.

14그런데 하나님은 볼 수 없고 네 문제는 그분 앞에 있으니 기다릴 수밖에 없다고 말하는 너에게 하나님이 어떻게 응답하시겠느냐?

15너는 하나님이 벌을 주시지 않으며 죄에 대해서도 별로 관심을 갖지 않으신다고 생각하고 있다.

16그래서 네가 입을 열어 헛된 말을 많이 지껄이지만 너는 네가 하는 말도 깨닫지 못하고 있다.”