अय्योब 26 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

अय्योब 26:1-14

अय्योब द्वारा बिलदद को फटकार

1तब अय्योब ने उत्तर दिया:

2“क्या सहायता की है तुमने एक दुर्बल की! वाह!

कैसे तुमने बिना शक्ति का उपयोग किए ही एक हाथ की रक्षा कर डाली है!

3कैसे तुमने एक ज्ञानहीन व्यक्ति को ऐसा परामर्श दे डाला है!

कैसे समृद्धि से तुमने ठीक अंतर्दृष्टि प्रदान की है!

4किसने तुम्हें इस बात के लिए प्रेरित किया है?

किसकी आत्मा तुम्हारे द्वारा बातें की है?

5“मृतकों की आत्माएं थरथरा उठी हैं,

वे जो जल-जन्तुओं से भी नीचे के तल में बसी हुई हैं.

6परमेश्वर के सामने मृत्यु खुली

तथा नाश-स्थल ढका नहीं है.

7परमेश्वर ने उत्तर दिशा को रिक्त अंतरीक्ष में विस्तीर्ण किया है;

पृथ्वी को उन्होंने शून्य में लटका दिया है.

8वह जल को अपने मेघों में लपेट लेते हैं

तथा उनके नीचे मेघ नहीं बरस पाते हैं.

9वह पूर्ण चंद्रमा का चेहरा छिपा देते हैं

तथा वह अपने मेघ इसके ऊपर फैला देते हैं.

10उन्होंने जल के ऊपर क्षितिज का चिन्ह लगाया है.

प्रकाश तथा अंधकार की सीमा पर.

11स्वर्ग के स्तंभ कांप उठते हैं

तथा उन्हें परमेश्वर की डांट पर आश्चर्य होता है.

12अपने सामर्थ्य से उन्होंने सागर को मंथन किया;

अपनी समझ बूझ से उन्होंने राहाब26:12 राहाब 9:13 देखिए को संहार कर दिया.

13उनका श्वास स्वर्ग को उज्जवल बना देता है;

उनकी भुजा ने द्रुत सर्प को बेध डाला है.

14यह समझ लो, कि ये सब तो उनके महाकार्य की झलक मात्र है;

उनके विषय में हम कितना कम सुन पाते हैं!

तब किसमें क्षमता है कि उनके पराक्रम की थाह ले सके?”