लूकॉस 1 – HCV & HCB

Hindi Contemporary Version

लूकॉस 1:1-80

अभिलेख का उद्देश्य

1अनेक व्यक्तियों ने उन घटनाओं को लिखकर इकट्ठा करने का कार्य किया है, जो हमारे बीच में घटी. 2ये सबूत हमें उनसे प्राप्‍त हुए हैं, जो प्रारंभ ही से इनके प्रत्यक्षदर्शी और परमेश्वर के वचन के सेवक रहे. 3मैंने स्वयं हर एक घटनाओं की शुरुआत से सावधानीपूर्वक जांच की है. इसलिये परम सम्मान्य थियोफ़िलॉस महोदय, मुझे भी यह उचित लगा कि आपके लिए मैं यह सब क्रम के अनुसार लिखूं 4कि जो शिक्षाएं आपको दी गई हैं, आप उनकी विश्वसनीयता को जान लें.

बपतिस्मा देनेवाले योहन के जन्म की भविष्यवाणी

5यहूदिया प्रदेश के राजा हेरोदेस के शासनकाल में अबीयाह दल के एक पुरोहित थे, जिनका नाम ज़करयाह था. उनकी पत्नी का नाम एलिज़ाबेथ था, जो हारोन की वंशज थी. 6वे दोनों ही परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी तथा प्रभु के सभी आदेशों और नियमों के पालन में दोषहीन थे. 7उनकी कोई संतान न थी क्योंकि एलिज़ाबेथ बांझ थी और वे दोनों ही अब बूढ़े हो चुके थे.

8अपने दल की बारी के अनुसार जब ज़करयाह एक दिन परमेश्वर के सामने अपनी पुरोहित सेवा भेंट कर रहे थे, 9उन्हें पुरोहितों की रीति के अनुसार पर्ची द्वारा चुनाव कर प्रभु के मंदिर में प्रवेश करने और धूप जलाने का काम सौंपा गया था. 10धूप जलाने के समय बाहर सभी लोगों का विशाल समूह प्रार्थना कर रहा था.

11तभी ज़करयाह के सामने प्रभु का एक दूत प्रकट हुआ, जो धूप वेदी की दायीं ओर खड़ा था. 12स्वर्गदूत को देख ज़करयाह चौंक पड़े और भयभीत हो गए 13किंतु उस स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “मत डरो, ज़करयाह! तुम्हारी प्रार्थना सुन ली गई है. तुम्हारी पत्नी एलिज़ाबेथ एक पुत्र जनेगी. तुम उसका नाम योहन रखना. 14तुम आनंदित और प्रसन्‍न होंगे तथा अनेक उसके जन्म के कारण आनंद मनाएंगे. 15यह बालक प्रभु की दृष्टि में महान होगा. वह दाखरस और मदिरा का सेवन कभी न करेगा तथा माता के गर्भ से ही पवित्र आत्मा से भरा हुआ होगा. 16वह इस्राएल के वंशजों में से अनेकों को प्रभु—उनके परमेश्वर—की ओर लौटा ले आएगा. 17वह एलियाह की आत्मा और सामर्थ्य में प्रभु के आगे चलनेवाला बनकर पिताओं के हृदय संतानों की ओर तथा अनाज्ञाकारियों को धर्मी के ज्ञान की ओर फेरेगा कि एक राष्ट्र को प्रभु के लिए तैयार करें.”

18ज़करयाह ने स्वर्गदूत से प्रश्न किया, “मैं कैसे विश्वास करूं—क्योंकि मैं ठहरा एक बूढ़ा व्यक्ति और मेरी पत्नी की आयु भी ढल चुकी है?”

19स्वर्गदूत ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं गब्रिएल हूं. मैं नित परमेश्वर की उपस्थिति में रहता हूं. मुझे तुम्हें यह बताने और इस शुभ समाचार की घोषणा करने के लिए ही भेजा गया है. 20और सुनो! जब तक मेरी ये बातें पूरी न हो जाए, तब तक के लिए तुम गूंगे हो जाओगे, बोलने में असमर्थ, क्योंकि तुमने मेरे वचनों पर विश्वास नहीं किया, जिसका नियत समय पर पूरा होना निश्चित है.”

21बाहर ज़करयाह का इंतजार कर रहे लोग असमंजस में पड़ गए कि उन्हें मंदिर में इतनी देर क्यों हो रही है. 22जब ज़करयाह बाहर आए, वह उनसे बातें करने में असमर्थ रहे. इसलिये वे समझ गए कि ज़करयाह को मंदिर में कोई दर्शन प्राप्‍त हुआ है. वह उनसे संकेतों द्वारा बातचीत करते रहे और मौन बने रहे.

23अपने पुरोहित सेवाकाल की समाप्‍ति पर ज़करयाह घर लौट गए. 24उनकी पत्नी एलिज़ाबेथ ने गर्भधारण किया और यह कहते हुए पांच माह तक अकेले में रहीं, 25“प्रभु ने मुझ पर यह कृपादृष्टि की है और समूह में मेरी लज्जित स्थिति से मुझे उबार लिया है.”

प्रभु येशु के जन्म की ईश्वरीय घोषणा

26छठे माह में स्वर्गदूत गब्रिएल को परमेश्वर द्वारा गलील प्रदेश के नाज़रेथ नामक नगर में 27एक कुंवारी कन्या के पास भेजा गया, जिसका विवाह योसेफ़ नामक एक पुरुष से होना निश्चित हुआ था. योसेफ़, राजा दावीद के वंशज थे. कन्या का नाम था मरियम. 28मरियम को संबोधित करते हुए स्वर्गदूत ने कहा, “प्रभु की कृपापात्री, नमस्कार! प्रभु आपके साथ हैं.”

29इस कथन को सुन वह बहुत ही घबरा गईं कि इस प्रकार के नमस्कार का क्या अर्थ हो सकता है. 30स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “मत डरिए, मरियम! क्योंकि आप परमेश्वर की कृपा की पात्र हैं. 31सुनिए! आप गर्भधारण कर एक पुत्र को जन्म देंगी. आप उनका नाम येशु रखें. 32वह महान होंगे. परम प्रधान के पुत्र कहलाएंगे और प्रभु परमेश्वर उन्हें उनके पूर्वज दावीद का सिंहासन सौंपेंगे, 33वह याकोब के वंश पर हमेशा के लिए राज्य करेंगे तथा उनके राज्य का अंत कभी न होगा.”

34मरियम ने स्वर्गदूत से प्रश्न किया, “यह कैसे संभव होगा क्योंकि मैं तो कुंवारी हूं?”

35स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा आप पर उतरेंगे तथा परम प्रधान का सामर्थ्य आप पर छाया करेगा. इसलिये जो जन्म लेंगे, वह पवित्र और परमेश्वर-पुत्र कहलाएंगे. 36और यह भी सुनिए आपकी परिजन एलिज़ाबेथ ने अपनी वृद्धावस्था में एक पुत्र गर्भधारण किया है. वह, जो बांझ कहलाती थी, उन्हें छः माह का गर्भ है. 37परमेश्वर के लिए असंभव कुछ भी नहीं.”

38मरियम ने कहा, “देखिए, मैं प्रभु की दासी हूं. मेरे लिए वही सब हो, जैसा आपने कहा है.” तब वह स्वर्गदूत उनके पास से चला गया.

मरियम की एलिज़ाबेथ से भेंट

39मरियम तुरंत यहूदिया प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र के एक नगर को चली गईं. 40वहां उन्होंने ज़करयाह के घर पर जाकर एलिज़ाबेथ को नमस्कार किया. 41जैसे ही एलिज़ाबेथ ने मरियम का नमस्कार सुना, उनके गर्भ में शिशु उछल पड़ा और एलिज़ाबेथ पवित्र आत्मा से भर गईं. 42वह उल्‍लसित शब्द में बोल उठी, “तुम सभी नारियों में धन्य हो और धन्य है तुम्हारे गर्भ का फल! 43मुझ पर यह कैसी कृपादृष्टि हुई है, जो मेरे प्रभु की माता मुझसे भेंट करने आई हैं! 44देखो तो, जैसे ही तुम्हारा नमस्कार मेरे कानों में पड़ा, हर्षोल्लास से मेरे गर्भ में शिशु उछल पड़ा. 45धन्य है वह, जिसने प्रभु द्वारा कही हुई बातों के पूरा होने का विश्वास किया है!”

मरियम का स्तुति गान

46इस पर मरियम के वचन ये थे:

“मेरा प्राण प्रभु की प्रशंसा करता है

47और मेरी अंतरात्मा परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता में आनंदित हुई है,

48क्योंकि उन्होंने अपनी दासी की

दीनता की ओर दृष्टि की है.

अब से सभी पीढ़ियां मुझे धन्य कहेंगी,

49क्योंकि सामर्थ्यी ने मेरे लिए बड़े-बड़े काम किए हैं.

पवित्र है उनका नाम.

50उनकी दया उनके श्रद्धालुओं पर पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है.

51अपने भुजबल से उन्होंने प्रतापी काम किए हैं

और अभिमानियों को बिखरा दिया है.

52परमेश्वर ने राजाओं को उनके सिंहासनों से नीचे उतार दिया

तथा विनम्रों को उठाया है.

53उन्होंने भूखों को उत्तम पदार्थों से तृप्‍त किया

तथा सम्पन्‍नों को खाली लौटा दिया.

54उन्होंने अपने सेवक इस्राएल की सहायता

अपनी उस करुणा के स्मरण में की,

55जिसकी प्रतिज्ञा उसने हमारे बाप-दादों से करी थी और

जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों पर सदा-सर्वदा रहेगी.”

56लगभग तीन माह एलिज़ाबेथ के साथ रहकर मरियम अपने घर लौट गईं.

बपतिस्मा देनेवाले योहन का जन्म

57एलिज़ाबेथ का प्रसवकाल पूरा हुआ और उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया. 58जब पड़ोसियों और परिजनों ने यह सुना कि एलिज़ाबेथ पर यह अनुग्रह हुआ है, तो वे भी उनके इस आनंद में सम्मिलित हो गए.

59आठवें दिन वे शिशु के ख़तना के लिए इकट्ठा हुए. वे शिशु को उसके पिता के नाम पर ज़करयाह पुकारने लगे. 60किंतु शिशु की माता ने उत्तर दिया; “नहीं! इसका नाम योहन होगा!”

61इस पर उन्होंने एलिज़ाबेथ से कहा, “आपके परिजनों में तो इस नाम का कोई भी व्यक्ति नहीं है!”

62तब उन्होंने शिशु के पिता से संकेत में प्रश्न किया कि वह शिशु का नाम क्या रखना चाहते हैं? 63ज़करयाह ने एक लेखन पट्ट मंगा कर उस पर लिख दिया, “इसका नाम योहन है.” यह देख सभी चकित रह गए. 64उसी क्षण उनकी आवाज लौट आई. उनकी जीभ के बंधन खुल गए और वह परमेश्वर की स्तुति करने लगे. 65सभी पड़ोसियों में परमेश्वर के प्रति श्रद्धा भाव आ गया और यहूदिया प्रदेश के सभी पर्वतीय क्षेत्र में इसकी चर्चा होने लगी. 66निःसंदेह प्रभु का हाथ उस बालक पर था. जिन्होंने यह सुना, उन्होंने इसे याद रखा और यह विचार करते रहे: “क्या होगा यह बालक!”

ज़करयाह का मंगल-गान

67पवित्र आत्मा से भरकर उनके पिता ज़करयाह इस प्रकार भविष्यवाणियों का वर्णानुभाषण करना शुरू किया:

68“धन्य हैं प्रभु, इस्राएल के परमेश्वर,

क्योंकि उन्होंने अपनी प्रजा की सुधि ली और उसका उद्धार किया.

69उन्होंने हमारे लिए अपने सेवक दावीद के वंश में

एक उद्धारकर्ता पैदा किया है,

70(जैसा उन्होंने प्राचीन काल के अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से प्रकट किया)

71शत्रुओं तथा उन सबसे,

जो हमसे घृणा करते हैं, बचाए रखा

72कि वह हमारे पूर्वजों पर अपनी कृपादृष्टि प्रदर्शित करें

तथा अपनी पवित्र वाचा को पूरा करें;

73वही वाचा, जो उन्होंने हमारे पूर्वज अब्राहाम से स्थापित की थी:

74वह हमें हमारे शत्रुओं के हाथ से छुड़ाएंगे,

75कि हम पवित्रता और धार्मिकता में

निर्भय हो जीवन भर उनकी सेवा कर सकें.

76“और बालक तुम, मेरे पुत्र, परम प्रधान परमेश्वर के भविष्यवक्ता कहलाओगे;

क्योंकि तुम उनका मार्ग तैयार करने के लिए प्रभु के आगे-आगे चलोगे,

77तुम परमेश्वर की प्रजा को

उसके पापों की क्षमा के द्वारा उद्धार का ज्ञान प्रदान करोगे.

78हमारे परमेश्वर की अत्यधिक कृपा के कारण,

स्वर्ग से हम पर प्रकाश का उदय होगा,

79उन पर, जो अंधकार और मृत्यु की छाया में हैं;

कि इसके द्वारा हमारा मार्गदर्शन शांति के मार्ग पर हो.”

80बालक योहन का विकास होता गया तथा वह आत्मिक रूप से भी बलवंत होते गए. इस्राएल के सामने सार्वजनिक रूप से प्रकट होने के पहले वह बंजर भूमि में निवास करते रहे.

Hausa Contemporary Bible

Luka 1:1-80

Gabatarwa

1Mutane da yawa sun ɗau niyyar rubuta labarin abubuwan da aka cika a cikinmu, 2kamar yadda muka karɓe su daga waɗanda tun farko shaidu ne da kuma masu hidimar bishara. 3Saboda haka, da yake ni da kaina na binciko kome a hankali daga farko, na ga ya yi kyau in rubuta maka labarin dalla-dalla, ya mafifici Tiyofilus, 4don ka san tabbacin abubuwan da aka koyar da kai.

An yi faɗar haihuwar Yohanna Mai Baftisma

5A lokacin da Hiridus ne yake sarautar Yahudiya, an yi wani firist mai suna Zakariya, na sashin firistoci gidan Abiya. Matarsa Elizabet ma ’yar zuriyar Haruna ce. 6Dukansu biyu kuwa masu adalci ne a gaban Allah, suna kuma bin umarnan Ubangiji da farillansa duka da halin rashin zargi. 7Sai dai ba su da ’ya’ya, domin Elizabet bakararriya ce; kuma dukansu biyu sun tsufa.

8Wata rana da lokacin aikin firistoci na sashen Zakariya na yin hidima ya kewayo, yana kuma cikin hidimarsa ta firist a gaban Allah, 9sai aka zaɓe shi ta wurin ƙuri’a, bisa ga al’adar aikin firist, yă shiga haikalin Ubangiji yă ƙone turare. 10Da lokacin ƙone turare ya yi, duk taron masu sujada suna a waje suna addu’a.

11Sai mala’ikan Ubangiji ya bayyana gare shi, tsaye a dama da bagaden turare. 12Da Zakariya ya gan shi sai ya firgita, tsoro kuma ya kama shi. 13Amma mala’ikan ya ce masa, “Kada ka ji tsoro, Zakariya; an ji addu’arka. Matarka Elizabet za tă haifa maka ɗa, za ka kuma ba shi suna Yohanna. 14Zai zama abin murna da farin ciki a gare ka, mutane da yawa kuwa za su yi murna don haihuwarsa, 15gama zai zama mai girma a gaban Ubangiji. Ba kuwa zai taɓa shan ruwan inabi ko wani abu mai sa maye ba. Zai cika da Ruhu Mai Tsarki tun haihuwa. 16Shi ne zai juye mutanen Isra’ila da yawa zuwa wurin Ubangiji Allahnsu. 17Zai sha gaban Ubangiji, a ruhu da kuma iko irin na Iliya, domin yă juye zukatan iyaye ga ’ya’yansu, marasa biyayya kuma ga zama masu biyayya don yă kintsa mutane su zama shiryayyu domin Ubangiji.”

18Sai Zakariya ya tambayi mala’ikan ya ce, “Yaya zan tabbatar da wannan? Ga ni tsoho, matana kuma ta kwana biyu.”

19Mala’ikan ya ce, “Ni ne Jibra’ilu. Ina tsaya a gaban Allah, an kuma aiko ni in yi maka magana, in kuma faɗa maka wannan labari mai daɗi. 20Yanzu za ka zama bebe, ba za ka ƙara iya magana ba sai ranar da wannan magana ta cika, saboda ba ka gaskata da kalmomina waɗanda za su zama gaskiya a daidai lokacinsu ba.”

21Ana cikin haka, mutane suna jiran Zakariya, suna kuma mamaki me ya sa ya daɗe haka a cikin haikali. 22Da ya fito, bai iya yin musu magana ba. Sai suka gane, ya ga wahayi ne a haikali, domin ya dinga yin musu alamu, amma ya kāsa yin magana.

23Da lokacin hidimarsa ya cika, sai ya koma gida. 24Bayan wannan, matarsa Elizabet ta yi ciki, ta kuma riƙa ɓuya har wata biyar. 25Sai ta ce, “Ubangiji ne ya yi mini wannan. A waɗannan kwanaki ya nuna tagomashinsa ya kuma kawar mini da kunya a cikin mutane.”

Annabcin haihuwar Yesu

26A wata na shida, sai Allah ya aiki mala’ika Jibra’ilu zuwa Nazaret, wani gari a Galili, 27gun wata budurwar da aka yi alkawarin aurenta ga wani mutum mai suna Yusuf daga zuriyar Dawuda. Sunan budurwar Maryamu. 28Mala’ikan ya je wurinta ya ce, “A gaishe ki, ya ke da kika sami tagomashi ƙwarai! Ubangiji yana tare da ke.”

29Maryamu ta damu ƙwarai da kalmominsa, tana tunani wace irin gaisuwa ce haka? 30Amma mala’ikan ya ce mata, “Kada ki ji tsoro, Maryamu, kin sami tagomashi a wurin Allah. 31Ga shi za ki yi ciki ki kuma haifi ɗa, za ki kuma ba shi suna Yesu. 32Zai zama mai girma, za a kuma kira shi Ɗan Maɗaukaki. Ubangiji Allah zai ba shi gadon sarautar kakansa Dawuda, 33zai yi mulkin gidan Yaƙub har abada, mulkinsa kuma ba zai taɓa ƙare ba.”

34Maryamu ta tambayi mala’ikan ta ce, “Yaya wannan zai yiwu, da yake ni budurwa ce?”

35Mala’ikan ya amsa ya ce, “Ruhu Mai Tsarki zai sauko miki, ikon Maɗaukaki kuma zai rufe ke. Saboda haka, Mai Tsarkin nan da za a haifa, za a kira shi1.35 Ko kuwa Saboda haka, yaron da za a haifa za a kira shi mai tsarki Ɗan Allah. 36’Yar’uwarki Elizabet ma za tă haifi ɗa a tsufanta, ita da aka ce bakararriya, ga shi tana a watanta na shida. 37Gama ba abin da zai gagari Allah.”

38Maryamu ta amsa ta ce, “To, ni baiwar Allah ce, bari yă zama mini kamar yadda ka faɗa.” Sai mala’ikan ya tafi abinsa.

Maryamu ta ziyarci Elizabet

39A lokacin sai Maryamu ta shirya ta gaggauta zuwa wani gari a ƙasar tudu ta Yahudiya, 40inda ta shiga gidan Zakariya ta kuma gai da Elizabet. 41Da Elizabet ta ji gaisuwar Maryamu, sai jaririn da yake a cikinta ya yi motsi. Elizabet kuma ta cika da Ruhu Mai Tsarki. 42Sai ta ɗaga murya da ƙarfi ta ce, “Ke mai albarka ce a cikin mata. Mai albarka ne kuma ɗan da za ki haifa! 43Me ya sa na sami wannan tagomashi har da mahaifiyar Ubangijina za tă zo wurina? 44Da jin gaisuwarki, sai jaririn da yake cikina ya yi motsi don murna. 45Mai albarka ce wadda ta gaskata cewa abin da Ubangiji ya faɗa mata zai cika!”

Waƙar Maryamu

46Sai Maryamu ta ce,

“Raina yana ɗaukaka Ubangiji

47ruhuna kuma yana farin ciki da Allah Mai Cetona,

48gama ya lura da ƙasƙancin baiwarsa.

Daga yanzu nan gaba dukan zamanai za su ce da ni mai albarka,

49gama Mai Iko Duka ya yi mini manyan abubuwa,

sunansa labudda Mai Tsarki ne.

50Jinƙansa ya kai ga masu tsoronsa,

daga zamani zuwa zamani.

51Ya aikata manyan ayyuka da hannunsa;

ya watsar da waɗanda suke masu girman kai a zurfin tunaninsu.

52Ya saukar da masu mulki daga gadajen sarautarsu

amma ya ɗaukaka ƙasƙantattu.

53Ya ƙosar da masu yunwa da kyawawan abubuwa

amma ya sallami mawadata hannu wofi.

54Ya taimaki bawansa Isra’ila,

yana tunawa yă nuna jinƙai

55ga Ibrahim da zuriyarsa har abada,

kamar yadda ya faɗa wa kakanninmu.”

56Maryamu ta zauna da Elizabet kusan wata uku sa’an nan ta koma gida.

Haihuwar Yohanna Mai Baftisma

57Sa’ad da kwanaki suka yi don Elizabet ta haihu, sai ta haifi ɗa. 58Maƙwabtanta da ’yan’uwanta suka ji cewa Ubangiji ya nuna mata jinƙai mai yawa, suka kuma taya ta farin ciki.

59A rana ta takwas, sai suka zo don a yi wa yaron kaciya, dā za su sa masa sunan mahaifinsa Zakariya ne, 60amma mahaifiyar yaron ta ce, “A’a! Za a ce da shi Yohanna.”

61Sai suka ce mata, “Ba wani a cikin danginku mai wannan suna.”

62Sai suka yi alamu wa mahaifinsa, don su san sunan da zai su a kira yaron. 63Ya yi alama a kawo masa allo, a gaban kowa sai ya rubuta, “Sunansa Yohanna.” Dukan mutane kuwa suka yi mamaki. 64Nan da nan bakinsa ya buɗe harshensa kuma ya saku, sai ya fara magana yana yabon Allah. 65Maƙwabta duk suka cika da tsoro, mutane kuwa suka yi ta yin magana game da dukan waɗannan abubuwa a ko’ina a cikin ƙasar tudu ta Yahudiya. 66Duk waɗanda suka ji wannan kuwa sun yi mamaki suna cewa, “To, me yaron nan zai zama?” Gama hannun Ubangiji yana tare da shi.

Waƙar Zakariya

67Mahaifinsa Zakariya ya cika da Ruhu Mai Tsarki sai ya yi annabci ya ce,

68“Yabo ya tabbata ga Ubangiji, Allah na Isra’ila,

domin ya zo ya kuma fanshe mutanensa.

69Ya tā mana ƙahon ceto

a gidan bawansa Dawuda

70(yadda ya yi magana tun tuni ta wurin annabawansa masu tsarki),

71cewa zai cece mu daga abokan gābanmu

daga kuma hannun dukan waɗanda suke ƙinmu

72don yă nuna jinƙai ga kakanninmu,

yă kuma tuna da alkawarinsa mai tsarki,

73rantsuwar da ya yi wa mahaifinmu Ibrahim,

74don yă kuɓutar da mu daga hannun abokan gābanmu,

yă kuma sa mu iya yin masa hidima babu tsoro,

75cikin tsarki da adalci a gabansa dukan kwanakinmu.

76“Kai kuma, ɗana, za a ce da kai annabin Maɗaukaki;

gama za ka sha gaban Ubangiji don ka shirya masa hanya,

77don ka sanar da mutanensa ceto,

ta wurin gafarar zunubansu,

78saboda jinƙai na Allahnmu mai ƙauna,

hasken nan na ceto zai ɓullo mana daga sama,

79don yă haskaka a kan waɗanda suke zama cikin duhu,

da kuma cikin inuwar mutuwa,

don yă bi da ƙafafunmu a hanyar salama.”

80Yaron kuwa ya yi girma ya kuma ƙarfafa a ruhu; ya zauna a hamada sai lokacin da ya fito a fili ga mutanen Isra’ila.