1आवश्यक है कि हम, जो विश्वास में मजबूत हैं, कमज़ोरों की कमज़ोरी के प्रति धीरज का भाव रखें न कि सिर्फ अपनी प्रसन्नता का. 2हममें से प्रत्येक अपने पड़ोसी की भलाई तथा उन्नति के लिए उसकी प्रसन्नता का ध्यान रखे. 3क्योंकि मसीह ने अपने आपको प्रसन्न नहीं किया जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है: उनकी निंदा, जो आपके निंदक हैं, मुझ पर आ पड़ी है.15:3 स्तोत्र 69:9 4पहले समय के सभी अभिलेख हमें शिक्षा देने के उद्देश्य से लिखे गए कि निरंतर प्रयास तथा पवित्र शास्त्र के प्रोत्साहन द्वारा हममें आशा का अनुभव हो.
5परमेश्वर, जो धीरज और प्रोत्साहन के दाता है, तुममें मसीह येशु के अनुरूप आपस में एकता का भाव उत्पन्न करें 6कि तुम एक मन और एक शब्द में परमेश्वर, हमारे प्रभु येशु मसीह के पिता का धन्यवाद और महिमा करो.
7इसलिये एक दूसरे को स्वीकार करो—ठीक जिस प्रकार मसीह ने परमेश्वर की महिमा के लिए हमें स्वीकार किया है. 8सुनो, परमेश्वर की सच्चाई की पुष्टि करने के लिए मसीह येशु ख़तना किए हुए लोगों के सेवक बन गए कि पूर्वजों से की गई प्रतिज्ञाओं की पुष्टि हो 9तथा गैर-यहूदी परमेश्वर की कृपादृष्टि के लिए उनकी महिमा करें, जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है:
इसलिये मैं गैर-यहूदियों के बीच आपका धन्यवाद करूंगा;
मैं आपके नाम का गुणगान करूंगा.15:9 2 शमु 22:50; स्तोत्र 18:49
10फिर लिखा है:
गैर-यहूदियों! परमेश्वर की प्रजा के साथ मिलकर आनंद करो.15:10 व्यव 32:43
11और यह भी:
सभी गैर-यहूदियों! तुम प्रभु का धन्यवाद करो;
सभी जनता उनका धन्यवाद करें.15:11 स्तोत्र 117:1
12भविष्यवक्ता यशायाह ने भी कहा:
यिशै की जड़ में कोपलें होंगी,
तथा वह, जो उठेगा, गैर-यहूदियों पर शासन करेगा;
वह सभी गैर-यहूदियों की आशा होगा.15:12 यशा 11:10
13परमेश्वर, जो आशा के स्रोत हैं, तुम्हारे विश्वास करने में तुम्हें सारे आनंद और शांति से भर दें, कि तुम पवित्र आत्मा के सामर्थ्य के द्वारा आशा में बढ़ते जाओ.
पौलॉस की आश्वस्तता
14प्रिय भाई बहिनो, तुम्हारे विषय में स्वयं मैं भी निश्चित हूं कि तुम भी सर्वगुणसम्पन्न, सभी ज्ञान से भरकर तथा एक दूसरे को कर्तव्य की याद दिलाने में पूरी तरह सक्षम हो. 15फिर भी मैंने कुछ विषयों पर तुम्हें साहस करके लिखा है कि तुम्हें इनका दोबारा स्मरण दिला सकूं. यह इसलिये कि मुझे परमेश्वर के द्वारा अनुग्रह प्रदान किया गया 16कि मैं परमेश्वर के ईश्वरीय सुसमाचार के पुरोहित के रूप में गैर-यहूदियों के लिए मसीह येशु का सेवक बनूं कि गैर-यहूदी पवित्र आत्मा के द्वारा अलग किए जाकर परमेश्वर के लिए ग्रहण योग्य भेंट बन जाएं.
17अब मेरे पास मसीह येशु में परमेश्वर संबंधित विषयों पर गर्व करने का कारण है. 18मैं मात्र उन विषयों का वर्णन करना चाहूंगा, जो मसीह येशु ने मुझे माध्यम बनाकर मेरे प्रचार के द्वारा पूरे किए, जिसका परिणाम हुआ गैर-यहूदियों की आज्ञाकारिता. 19ये सब अद्भुत चिह्नों तथा परमेश्वर के आत्मा के सामर्थ्य में किए गए कि येरूशलेम से लेकर सुदूर इल्लिरिकुम तक मसीह येशु के ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार किया जाए. 20स्वयं मेरी बड़ी इच्छा तो यही रही है कि ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार उन्हीं क्षेत्रों में हो, जहां मसीह येशु के विषय में अब तक सुना नहीं गया कि मैं किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रखी गई नींव पर निर्माण न कर बैठूं. 21जैसा पवित्र शास्त्र का लेख है:
वे, जिन्होंने उनका समाचार प्राप्त नहीं किया, उन्हें देखेंगे
तथा वे, जिन्होंने कुछ भी नहीं सुना, समझ लेंगे.15:21 यशा 52:15
22यही वह कारण है कि तुमसे भेंट करने के लिए मेरे आने में बाधा पड़ती रही.
पौलॉस की योजनाएं
23अब इन देशों में मेरे सामने कोई स्थान बाकी नहीं रहा और अनेक वर्षों से मेरी यह इच्छा भी रही है कि तुमसे भेंट करूं. 24मेरे लिए यह संभव हो सकेगा जब मैं स्पेन यात्रा को जाऊंगा. मुझे आशा है कि जाते हुए तुमसे भेंट हो तथा थोड़े समय के लिए तुम्हारी संगति का आनंद लूं और तुम्हारी सहायता भी प्राप्त कर सकूं 25किंतु इस समय तो मैं येरूशलेम के पवित्र लोगों की सहायता के लिए येरूशलेम की ओर जा रहा हूं. 26मकेदोनिया तथा आखाया प्रदेश की कलीसियाएं येरूशलेम के निर्धन पवित्र लोगों की सहायता के लिए खुशी से सामने आई. 27सच मानो, उन्होंने यह खुशी से किया है. वे येरूशलेम वासियों के कर्ज़दार हैं क्योंकि जब गैर-यहूदियों ने उनसे आत्मिक धन प्राप्त किया है तो यह उचित ही है कि अब वे भौतिक वस्तुओं द्वारा भी उनकी सहायता करें. 28इसलिये अपने कर्तव्य को पूरा कर जब मैं निश्चित हो जाऊंगा कि उन्हें यह राशि प्राप्त हो गई है, मैं स्पेन की ओर जाऊंगा तथा मार्ग में तुमसे भेंट करूंगा. 29यह तो मुझे मालूम है कि जब मैं तुमसे भेंट करूंगा, मेरे साथ मसीह येशु की आशीष पूरी तरह होंगी.
30अब, प्रिय भाई बहिनो, हमारे प्रभु येशु मसीह तथा पवित्र आत्मा के प्रेम के द्वारा तुमसे मेरी विनती है कि मेरे साथ मिलकर परमेश्वर से मेरे लिए प्रार्थनाओं में जुट जाओ 31कि मैं यहूदिया प्रदेश के अविश्वासी व्यक्तियों की योजनाओं से बच सकूं तथा येरूशलेम के पवित्र लोगों के प्रति मेरी सेवा उन्हें स्वीकार हो 32कि मैं परमेश्वर की इच्छा के द्वारा तुमसे आनंदपूर्वक भेंट कर सकूं तथा तुम्हारी संगति मेरे लिए एक सुखद विश्राम हो जाए. 33शांति के परमेश्वर तुम सबके साथ रहें. आमेन.