येरूशलेम का अधीन किया जाना
1यहोशू की मृत्यु के बाद इस्राएलियों ने याहवेह से यह प्रश्न किया, “कनानियों से युद्ध करने सबसे पहले किसका जाना सही होगा?”
2याहवेह ने उत्तर दिया, “सबसे पहले यहूदाह जाएगा; यह याद रहे कि यह जगह मैंने उसके अधिकार में दे दी है.”
3यहूदाह वंशजों ने अपने भाई शिमओन वंशजों से कहा, “हमें दी गई जगह में आ जाओ, कि हम कनानियों से युद्ध करें तथा समय आने पर मैं तुम्हें दी गई जगह में आकर युद्ध करूंगा.” शिमओन वंशज इसके लिए राज़ी हो गये.
4यहूदाह वंशजों ने आक्रमण किया और याहवेह ने कनानी और परिज्ज़ी उनके अधीन कर दिए, बेज़ेक में उन्होंने दस हज़ार सैनिकों को मार गिराया. 5बेज़ेक में उन्होंने अदोनी-बेज़ेक से युद्ध किया और कनानियों तथा परिज्ज़ियों को मार दिया; 6मगर अदोनी-बेज़ेक भाग निकला, उन्होंने उसका पीछा किया, उसे पकड़ लिया और उसके हाथों और पैरों के अंगूठे काट दिए.
7अदोनी-बेज़ेक ने उनसे कहा, “सत्तर राजा, जिनके हाथ-पैर के अंगूठे काट दिए गए होते थे, मेरी मेज़ की चूर-चार इकट्ठा करते थे. परमेश्वर ने मेरे द्वारा किए गए काम का बदला मुझे दे दिया है.” वे उसे येरूशलेम ले आए, जहां उसकी मृत्यु हो गई.
8तब यहूदाह गोत्रजों ने येरूशलेम पर हमला किया, उसे अपने अधीन कर लिया, उसके निवासियों को तलवार से मार दिया और नगर में आग लगा दी.
9इसके बाद यहूदाह गोत्रज उन कनानियों से युद्ध करने निकल पड़े, जो नेगेव के पहाड़ी इलाकों में तथा तराई में रह रहे थे. 10सो यहूदाह ने उन कनानियों पर हमला कर दिया, जो हेब्रोन में रह रहे थे. हेब्रोन का पुराना नाम किरयथ-अरबा था. उन्होंने शेशाइ, अहीमान और तालमाई को हरा दिया. 11इसके बाद वे वहां से दबीर निवासियों की ओर बढ़े; दबीर का पुराना नाम किरयथ-सेफेर था.
12कालेब ने घोषणा की, “जो कोई किरयथ-सेफेर पर आक्रमण करके उसे अपने अधीन कर लेगा, मैं उसका विवाह अपनी पुत्री अक्सा से कर दूंगा.” 13कालेब के छोटे भाई केनज़ के पुत्र ओथनीएल ने किरयथ-सेफेर को अधीन कर लिया, तब कालेब ने उसे अपनी पुत्री अक्सा उसकी पत्नी होने के लिए दे दी.
14विवाह होने के बाद जब अक्सा अपने पति से बात कर रही थी, उसने उसे अपने पिता से एक खेत मांगने के लिए कहा. जब वह अपने गधे पर से उतर गई, तब कालेब ने उससे पूछा, “तुम्हें क्या चाहिए?”
15उसने उत्तर दिया, “मुझे आपके आशीर्वाद की ज़रूरत है! जैसे आप मुझे नेगेव क्षेत्र दे ही चुके हैं, और यदि हो सके तो वैसे मुझे जल के सोते भी दे दीजिए.” तब कालेब ने उसे ऊपर का सोता, नीचे का सोता दोनों दे दिया.
16मोशेह के ससुर के वंशज अर्थात् केनीवासी खजूर वृक्षों के नगर से यहूदिया के लोगों के साथ यहूदिया के निर्जन प्रदेश के इलाके में चले गए. यह जगह अराद के पास दक्षिण में है. वे वहां के निवासियों के साथ ही बस गए.
17तब यहूदाह वंशजों ने अपने भाई शिमओन वंशजों के साथ जाकर सेफथ में निवास कर रहे कनानियों को मार दिया, और नगर का पूरा विनाश कर दिया. सो इस नगर का नाम होरमाह1:17 होरमाह अर्थात् विनाश पड़ गया. 18यहूदाह ने अज्जाह1:18 अज्जाह यानी गाज़ा, अश्कलोन तथा एक्रोन नगरों को इनकी सीमा सहित अपने अधीन कर लिया.
19याहवेह यहूदाह की ओर थे, उन्होंने पहाड़ी इलाके को अपने अधीन कर लिया; किंतु वे घाटी के रहनेवालों को निकाल न सके, क्योंकि उनके पास लोहे के रथ थे. 20उन्होंने कालेब को हेब्रोन दे दिया, जैसी मोशेह ने उनसे प्रतिज्ञा की थी. कालेब ने वहां से अनाक के तीन पुत्रों को खदेड़ दिया था. 21मगर बिन्यामिन के वंशजों ने येरूशलेम में रह रहे यबूसियों को वहां से नहीं निकाला. परिणामस्वरूप यबूसी आज तक बिन्यामिन के वंशजों के साथ येरूशलेम में ही रह रहे हैं.
22इसी तरह योसेफ़ के परिवार ने बेथेल पर हमला कर दिया. याहवेह उनकी ओर थे. 23योसेफ़ के परिवार ने बेथेल का भेद लिया. बेथेल नगर का पुराना नाम लूज़ था. 24भेद लेने गए जासूसों ने नगर से बाहर आ रहे एक व्यक्ति को देखा. उन्होंने उससे विनती की, “कृपया हमें नगर में जाने का रास्ता दिखाएं. हम तुम पर कृपा करेंगे.” 25सो उसने उन्हें नगर में जाने का रास्ता दिखा दिया. उन्होंने पूरे नगर को तलवार से मार दिया, मगर उस व्यक्ति और उसके परिवार को छोड़ दिया. 26वह व्यक्ति हित्तियों के देश में चला गया, जहां एक नगर बसाया गया, जिसका नाम उसने लूज़ रखा, जिसे आज तक इसी नाम से जाना जाता है.
27मगर मनश्शेह ने न तो बेथ-शान और इसके गांवों को अपने अधीन कर लिया और न ही तानख और इसके गांवों को, न दोर तथा इसके निवासियों और इसके गांवों को, न इब्लीम और इसके निवासियों और गांवों को, न मगिद्दो और इसके निवासियों और गांवों को. इस कारण कनानी निडर होकर उस देश में रहते रहे. 28तब वह समय भी आया, जब इस्राएली सामर्थ्यी हो गए. तब उन्होंने कनानियों को जबरन मजदूरी पर तो लगा दिया और उन्हें पूरी रीति से न निकाला. 29गेज़ेर में रह रहे कनानियों को एफ्राईम के वंशजों ने नहीं निकाला. इस कारण कनानी गेज़ेर में उन्हीं के बीच रहते रहे. 30ज़ेबुलून ने कितरोनवासियों को नहीं निकाला और न नहलोलवासियों को, इस कारण कनानी उनके बीच में रहते रहे और उन्हें जबरन मज़दूर बनना पड़ा. 31आशेर ने न तो अक्को के, न सीदोन के, न अहलाब के, न अकज़ीब के, न हेलबा के, न अफेक के, न रेहोब के निवासियों को निकाला. 32इस कारण अशेरी कनानियों के बीच में ही रहते रहे, जो इस क्षेत्र के मूल निवासी थे. उन्हें बाहर निकाला ही न गया था. 33नफताली ने बेथ-शेमेश के निवासियों को नहीं निकाला, और न ही बेथ-अनात के निवासियों को. वे कनानियों के बीच में ही रहते रहे, जो इस देश के मूल निवासी थे. बेथ-शेमेश तथा बेथ-अनात के निवासी उनके लिए जबरन मज़दूर होकर रह गए. 34इसके बाद अमोरियों ने दान के वंशजों को पहाड़ी इलाके में रहने के लिए मजबूर कर दिया, क्योंकि अमोरियों ने उन्हें घाटी में प्रवेश करने ही न दिया. 35अमोरी अय्जालोन तथा शआलबीम में हेरेस पर्वत पर जबरन रहते रहे, मगर जब योसेफ़ के वंशज सामर्थ्यी हो गए, तब इन्हें भी जबरन उनका मज़दूर हो जाना पड़ा. 36अमोरियों की सीमा अक्रब्बीम की चढ़ाई से शुरू होकर सेला होते हुए ऊपर की ओर बढ़ती है.
Израиль ведет войну с оставшимися хананеями
(Нав. 15:15–19)
1После смерти Иисуса израильтяне спросили Господа:
— Кому из нас первым идти воевать с хананеями?
2Господь ответил:
— Первым пусть идет Иуда; Я отдаю землю в его руки.
3Тогда воины Иуды сказали своим братьям симеонитам:
— Идите с нами в землю, которая нам досталась, воевать с хананеями. А потом мы, в свой черед, пойдем с вами в вашу землю.
И симеониты пошли с ними.
4Когда Иуда со своими людьми вышел на бой, Господь отдал хананеев и ферезеев в их руки, и они сразили в Везеке десять тысяч человек. 5Там они и нашли Адони-Везека, сразились с ним и разбили хананеев и ферезеев. 6Адони-Везек бежал, но они погнались за ним, схватили его и отрубили ему большие пальцы на руках и на ногах.
7Адони-Везек сказал:
— Семьдесят царей с отрубленными большими пальцами на руках и на ногах собирали крохи под моим столом. Теперь Бог воздал мне за то, что я сделал.
Его отвели в Иерусалим, где он и умер.
8Воины Иуды напали на Иерусалим и взяли его. Они предали город мечу и огню.
9После этого воины Иуды отправились на битву с хананеями, которые жили в нагорьях, в Негеве и в западных предгорьях. 10Они выступили против хананеев Хеврона (прежде он назывался Кирьят-Арба) и разбили Шешая, Ахимана и Талмая1:10 Это были потомки Анака (см. ст. 20), род которого был известен своим высоким ростом и наводил страх на израильтян (см. Чис. 13:22; Нав. 15:14).. 11Оттуда они пошли на жителей Давира (который прежде назывался Кирьят-Сефер).
12Халев сказал:
— Я отдам свою дочь Ахсу в жёны тому, кто нападет на Кирьят-Сефер и возьмет его.
13Отниил, сын младшего брата Халева Кеназа,1:13 Или: «Отниил, потомок Кеназа, младший брат Халева…» взял его, и Халев отдал ему в жёны свою дочь Ахсу.
14Однажды, по дороге к отцу, она говорила с Отниилом, чтобы просить у ее отца поле. Когда она слезла со своего осла, Халев спросил ее:
— Чего ты хочешь?
15Она ответила:
— Окажи мне особую милость. Ты дал мне землю в Негеве — так дай мне и источники воды.
И Халев дал ей верхние и нижние источники.
16Потомки тестя Моисея, кенея, пошли с народом Иуды из города Пальм1:16 В знач.: «Иерихон». в пустыню Иуды, что в Негеве рядом с городом Арадом, и поселились среди народа.
17Воины Иуды пошли со своими братьями симеонитами, напали на хананеев, которые жили в Цефате, и полностью уничтожили1:17 См. Исх. 22:20 и сноску к нему. город. Поэтому он получил название «Хорма».1:17 Хорма означает: уничтожение. 18Еще воины Иуды взяли1:18 В других древн. переводах: «Воины Иуды еще не взяли…» Газу, Ашкелон и Экрон с их окрестностями.
19Господь был с воинами Иуды. Они овладели нагорьями, но не смогли прогнать жителей долин, потому что у тех были железные колесницы. 20Как и обещал Моисей, Хеврон был отдан Халеву, который прогнал оттуда троих сыновей Анака. 21Вениамитяне не смогли выселить иевусеев, которые жили в Иерусалиме; иевусеи живут там с вениамитянами до сегодняшнего дня.
22Дом Иосифа напал на Вефиль, и Господь был с ними. 23Когда они послали лазутчиков разведать Вефиль (прежде он назывался Луз), 24лазутчики увидели мужчину, выходящего из города, и сказали ему:
— Покажи нам, как попасть в город, и мы обойдемся с тобой хорошо.
25Он показал им, и они предали город мечу, но пощадили того человека и всю его семью. 26Этот человек пошел в землю хеттов, где построил город, который назвал Луз — так он называется и до сегодняшнего дня.
27Но Манассия не прогнал жителей Бет-Шеана, Таанаха, Дора, Ивлеама и Мегиддо и окрестных деревень, и в этой земле продолжали жить хананеи. 28Когда Израиль окреп, они сделали хананеев подневольными, но не изгнали их полностью. 29И Ефрем не прогнал хананеев, которые жили в городе Гезере, и хананеи продолжали жить там среди них. 30И Завулон не прогнал хананеев, живших в Китроне и в Нагалоле, которые остались среди них, но сделались подневольными. 31И Асир не изгнал жителей Акко, Сидона, Ахлава, Ахзива, Хелвы, Афека и Рехова; 32и поэтому народ Асира жил среди хананеев, обитателей той земли. 33И Неффалим не прогнал жителей Бет-Шемеша и Бет-Анафа: неффалимиты жили среди хананеев, обитателей той земли, а жителей Бет-Шемеша и Бет-Анафа сделали подневольными. 34Данитянам аморреи отрезали путь с нагорий в долину. 35Аморреи продолжали жить на горе Херес, в городе Айялоне и поселении Шаалвиме, но когда сила дома Иосифа возросла, они тоже стали подневольными. 36Граница аморреев шла от Скорпионовой возвышенности1:36 Или: возвышенности Акраббим., от Селы и далее.