नोहा के साथ परमेश्वर की वाचा
1तब परमेश्वर ने नोहा तथा उनके पुत्रों को यह आशीष दी, “फूलो फलो और पृथ्वी में भर जाओ. 2पृथ्वी के हर एक पशु एवं आकाश के हर एक पक्षी पर, भूमि पर रेंगनेवाले जंतु पर तथा समुद्र की समस्त मछलियों पर तुम्हारा भय बना रहेगा—ये सभी तुम्हारे अधिकार में कर दिए गए हैं. 3सब चलनेवाले जंतु, जो जीवित हैं, तुम्हारा आहार होगें; इस प्रकार मैं तुम्हें सभी कुछ दे रहा हूं, जिस प्रकार मैंने तुम्हें पेड़ पौधे दिए.
4“एक बात का ध्यान रखना कि मांस को लहू के साथ मत खाना. 5मैं तुम्हारे जीवन अर्थात लहू का बदला ज़रूर लूंगा. मैं उस जानवर का जीवन मांगूंगा जो किसी व्यक्ति को मारेगा. हरेक मनुष्य से दूसरे मनुष्य के खून का बदला ज़रूर लूंगा.
6“जो कोई मनुष्य का रक्त बहाएगा,
मनुष्य द्वारा ही उसका रक्त बहाया जाएगा;
क्योंकि परमेश्वर ने अपने रूप में
मनुष्य को बनाया है.
7अब तुम पृथ्वी में रहो; फूलो फलो और बढ़ो और बस जाओ.”
8फिर परमेश्वर ने नोहा तथा उनके पुत्रों से कहा: 9“मैं तुम्हारे वंश के साथ पक्का वायदा करता हूं. 10यही नहीं किंतु उन सबके साथ जो इस जहाज़ से बाहर आये हैं—पक्षी, पालतू पशु तथा तुम्हारे साथ पृथ्वी के हर एक पशु, से भी वायदा करता हूं. 11मैं तुम्हारे साथ अपनी इस वाचा को पूरा करूंगा कि अब मैं जलप्रलय के द्वारा सभी प्राणियों और पृथ्वी को कभी नाश नहीं करूंगा.”
12परमेश्वर ने और कहा, “जो वायदा मैंने तुम्हारे साथ किया है यह पीढ़ी से पीढ़ी तक स्थिर रहेगा और 13इस बात का सबूत तुम बादलों में इंद्रधनुष के रूप में देखोगे यही मेरे एवं पृथ्वी के बीच में वाचा का चिन्ह होगा. 14जब मैं पृथ्वी के ऊपर बादल फैलाऊंगा और बादल में इंद्रधनुष दिखाई देगा, 15तब मैं अपने वायदे को याद करूंगा, जो मेरे और तुम्हारे बीच किया गया है कि अब कभी भी दुबारा पृथ्वी को इस तरह जलप्रलय से नाश नहीं करूंगा. 16जब भी यह इंद्रधनुष दिखेगा, मैं परमेश्वर और पृथ्वी पर रहनेवाले प्रत्येक प्राणी के बीच किया हुआ सनातन वाचा को याद करूंगा”.
17परमेश्वर ने नोहा से कहा, “जो वायदा मैंने अपने तथा पृथ्वी के हर एक जीवधारी के बीच किया है, यही उसका चिन्ह है.”
नोहा के बेटे
18जहाज़ से नोहा के साथ उनके पुत्र शेम, हाम तथा याफेत बाहर आये. (हाम कनान का पिता था.) 19ये नोहा के तीन पुत्र थे तथा इन्हीं के द्वारा फिर से पृथ्वी पर मनुष्यों की उत्पत्ति हुई.
20नोहा ने खेती करना शुरू किया, उन्होंने एक दाख की बारी लगाई. 21एक दिन नोहा दाखमधु पीकर नशे में हो गये और अपने तंबू में नंगे पड़े थे. 22कनान के पिता हाम ने अपने पिता को इस हालत में देखकर अपने दोनों भाइयों को बुलाया. 23शेम तथा याफेत ने एक वस्त्र लिया, और दोनों ने उल्टे पांव चलते हुए अपने पिता के नंगे देह को ढक दिया. इस समय उनके मुख विपरीत दिशा में थे, इसलिये उन्होंने अपने पिता के नंगेपन को न देखा.
24जब नोहा का नशा कम हुआ तब उन्हें पता चला कि उनके छोटे बेटे ने उनके साथ क्या किया है. 25और नोहा ने कहा,
“शापित है कनान!
वह अपने भाइयों के
दासों का भी दास होगा.”
26नोहा ने यह भी कहा,
“धन्य हैं याहवेह, शेम के परमेश्वर!
कनान शेम का ही दास हो जाए.
27परमेश्वर याफेत9:27 विस्तृत के वंश को बढ़ाये;
वह शेम के तंबुओं में रहे,
और कनान उसका दास हो जाए.”
28जलप्रलय के बाद नोहा 350 वर्ष और जीवित रहे. 29जब नोहा 950 वर्ष के थे, तब उनकी मृत्यु हो गई.