創世記 34 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

創世記 34:1-31

底娜受辱

1一天,利亞雅各所生的女兒底娜到外面去見當地的女子。 2當地首領希未哈抹的兒子示劍看到她,就抓住她,強行玷污了她。 3他戀慕雅各的女兒底娜,愛上了這個少女,就用甜言蜜語討她歡心。 4他求父親哈抹為他說親,把底娜娶過來。 5底娜被玷污的消息傳到雅各耳中時,他的兒子們正在田野放牧。他只好忍氣吞聲,等兒子們回來再作打算。 6示劍的父親哈抹來和雅各商議。 7雅各的兒子們一聽說這事,就從田野趕回來。大家都非常憤怒,因為示劍玷污了雅各的女兒,對以色列家做了不該做的醜事。

8哈抹跟他們商議說:「我兒子示劍愛慕你們家的女兒,請你們把女兒嫁給他吧! 9我們可以互相通婚,你們可以把女兒嫁給我們的兒子,也可以娶我們的女兒為妻。 10你們可以在我們這裡安頓下來,這片土地就在你們面前,住在這裡做買賣、置產業吧。」 11示劍底娜的父親和她的弟兄們說:「請你們恩待我,你們要什麼,我都給你們。 12只要你們把這少女嫁給我,無論你們要多少聘金和禮物,我必如數奉上。」

雅各之子計殺示劍人

13雅各的兒子們因為示劍玷污了他們的妹妹底娜,就假意對示劍和他的父親哈抹說: 14「我們不能把妹妹嫁給沒有受過割禮的人,這對我們是一種羞辱。 15除非你們所有的男子都跟我們一樣受割禮,我們才會答應你們, 16我們才會和你們通婚,共同生活,結成一個民族。 17如果你們不肯這樣做,我們就把妹妹帶走。」

18哈抹父子欣然答應。 19示劍毫不遲延地照辦,因為他熱戀底娜。在哈抹家族中,他最受人尊重。 20哈抹父子來到城門口,對那城的居民說: 21「這些人跟我們相處和睦,就讓他們在這裡定居、做買賣吧。我們這裡有足夠的地方可以容納他們,我們可以和他們通婚。 22可是,他們有一個條件,就是要我們所有的男子和他們一樣接受割禮,他們才答應和我們一起生活,結成一個民族。 23到時候,他們的財產和牛羊等所有牲畜不全歸我們了嗎?我們同意他們吧,這樣他們就會在我們這裡定居。」 24在城門進出的人聽了哈抹父子的話,都表示贊同。於是,城裡的男子都接受了割禮。

25到了第三天,他們傷口正疼痛的時候,雅各的兩個兒子——底娜的哥哥西緬利未拿著利劍,乘眾人沒有防備,進城殺掉了所有的男子, 26包括哈抹示劍,從示劍家裡帶走了底娜27雅各的眾子又到被殺之人的城裡擄掠,因為他們的妹妹在那裡被人玷污。 28他們搶走牛群、羊群、驢群和城裡城外所有的東西, 29並帶走所有財物、婦孺以及房屋裡的一切。 30雅各責備西緬利未說:「你們為什麼要給我惹麻煩,使我在當地的迦南人和比利洗人中留下臭名呢?我們人數很少,要是他們聯手來攻擊我們,我們全家必遭滅門之禍。」 31他們說:「他怎麼能把我們的妹妹當妓女對待?」

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 34:1-31

याकोब के पुत्रों का विश्वास हनन

1लियाह की पुत्री दीनाह उस देश की लड़कियों के साथ स्त्रियों को देखने के लिए बाहर गई. 2उस देश के शासक हिव्वी हामोर के पुत्र शेकेम ने उसे देखा, वह उसे अपने साथ ले गया उसने उसे पकड़ लिया और उसने उसके साथ बलात्कार किया. 3याकोब की पुत्री दीनाह से उसे प्रेम था और उसके प्रति उसका व्यवहार अच्छा था. 4शेकेम ने अपने पिता हामोर से कहा, “मेरा विवाह इस युवती से कर दीजिए.”

5जब याकोब को पता चला कि शेकेम ने उनकी पुत्री को दूषित कर दिया है, उस समय उनके पुत्र पशुओं के साथ मैदान में थे; इसलिये याकोब उनके लौटने तक शांत रहे.

6इसी समय शेकेम का पिता हामोर याकोब से मिलने आये. 7जब याकोब के पुत्र लौटे और उन्हें सब बात पता चली तब वे बहुत उदास और नाराज हुए, क्योंकि उसने याकोब की पुत्री से संभोग द्वारा इस्राएल में मूर्खता का काम कर डाला था, एक ऐसा काम, जो अनुचित था.

8किंतु हामोर ने उनसे कहा, “मेरा पुत्र शेकेम आपकी पुत्री को चाहता है. कृपया उसका विवाह मेरे पुत्र से कर दीजिए. 9हमारे साथ वैवाहिक संबंध बना लीजिए आप हमें अपनी पुत्रियां दीजिए और आप हमारी पुत्रियां लीजिए. 10इस प्रकार आप हमारे साथ इस देश में मिलकर रह पायेंगे. आप इस देश में रहिये, व्यवसाय34:10 व्यवसाय या आज़ादी से घूम फिरना कीजिए तथा संपत्ति प्राप्‍त करते जाइए.”

11शेकेम ने दीनाह के पिता तथा उसके भाइयों से यह भी कहा, “यदि मैंने आपकी कृपादृष्टि प्राप्‍त कर ली है, तो आप अपने मन की बात कह दीजिए कि मैं उसे पूरा कर सकूं. 12आप वधू के लिए जो भी मांगेंगे उसे मैं पूरा करूंगा. किंतु मेरा विवाह उसी युवती से कीजिए.”

13तब याकोब के पुत्रों ने शेकेम को तथा उसके पिता हामोर को छलपूर्ण उत्तर दिया, क्योंकि शेकेम ने उनकी बहन दीनाह को दूषित कर दिया था. 14उन्होंने उन्हें उत्तर दिया, “यह हमारे लिए संभव नहीं है कि हम किसी ख़तना रहित को अपनी बहन दे सकें. क्योंकि यह हमारे लिए शर्मनाक है. 15एक ही शर्त पर यह बात हो सकती है: आपके देश के हर एक पुरुष का ख़तना किया जाए, ताकि आप हमारे समान हो जाएं. 16तब हममें पुत्रियों का लेना देना हो सकेगा और हम आपके बीच रह सकेंगे, और हम एक ही लोग बन जाएंगे. 17यदि आपको हमारी बात सही नहीं लगी, तो हम अपनी पुत्री को लेकर यहां से चले जाएंगे.”

18उनकी यह बात हामोर तथा उसके पुत्र शेकेम को पसंद आई. 19याकोब की पुत्री शेकेम को बहुत पसंद थी कि उसने इस काम को करने में देरी नहीं की. अपने पिता के परिवार में वह सम्मानित व्यक्ति था. 20इसलिये हामोर एवं उसके पुत्र शेकेम ने नगर में जाकर नगर के सब लोगों से कहा, 21“ये लोग हमारे साथ हैं, इसलिये हम इन्हें इस देश में रहने देंगे, इनके साथ व्यापार करेंगे, क्योंकि हमारा देश इनके लिए पर्याप्‍त है. हम इनकी कन्याएं लें तथा अपनी कन्याएं इन्हें दे. 22ये एक ही शर्त पर हमारे साथ रहने के लिए सहमत हुए हैं, कि हम सभी पुरुषों का ख़तना किया जाए, जैसा उनका किया जाता है कि हम सभी एक हो जाएं. 23तब इनका पशु धन, इनकी संपत्ति तथा इनके समस्त पशु हमारे ही तो हो जाएंगे न? बस, हम उनसे यहां सहमत हो जाएं, कि वे हमारे साथ ही निवास करने लगें.”

24उन सभी ने, जो नगर से निकल रहे थे, हामोर तथा उसके पुत्र शेकेम की बात मान ली. उस नगर द्वार से बाहर निकलते हुए हर एक पुरुष का ख़तना कर दिया गया.

25तीन दिन बाद, जब नगर का हर एक पुरुष पीड़ा में था, याकोब के दोनों बेटे शिमओन और लेवी ने, जो दीनाह के भाई थे, अचानक हमला कर दिया तथा हर एक पुरुष की हत्या कर दी. 26उन्होंने तलवार से हामोर तथा उसके पुत्र शेकेम की हत्या की और शेकेम के घर से दीनाह को लेकर आये. 27और याकोब के अन्य पुत्रों ने नगर को लूट लिया, क्योंकि उन्होंने उनकी बहन को दूषित कर दिया था. 28उन्होंने नगर के लोग भेड़-बकरी, उनके पशु, गधे, नगर में जो कुछ उनका था जो कुछ खेतों में था, सभी कुछ ले लिया. 29उन्होंने उनकी पूरी संपत्ति पर अधिकार करके उसे लूट लिया, यहां तक कि उन्होंने उनकी पत्नियों एवं उनके बालकों को बंदी बनाकर सभी कुछ, जो उनके घरों में था, लूट लिया.

30यह सब देख याकोब ने शिमओन तथा लेवी से कहा, “तुमने तो मुझे इन देशवासियों के लिए दुश्मन बनाकर कनानियों एवं परिज्ज़ियों के बीच विपत्ति में डाल दिया है. यदि वे सब एकजुट होकर मुझ पर आक्रमण कर देंगे, तो मैं नष्ट हो जाऊंगा, मैं और मेरा संपूर्ण परिवार, क्योंकि हम गिनती में कम हैं.”

31उन्होंने कहा, “क्या हमारी बहन से उन्होंने जो एक वेश्या के समान बर्ताव किया; क्या वह सही था?”