罗马书 4 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

罗马书 4:1-25

亚伯拉罕的榜样

1那么,从我们的先祖亚伯拉罕身上,我们学到什么呢? 2亚伯拉罕如果是因行为而被称为义人,就可以夸口了,但他在上帝面前没有可夸的。 3圣经上不是说“亚伯拉罕信上帝,就被算为义人”4:3 创世记15:6吗? 4人工作得来的工钱不算是恩典,是应得的。 5但人不靠行为,只信称不敬虔之人为义人的上帝,他就因信而被算为义人。 6大卫也说不靠行为被上帝算为义人的人有福了,他说: 7“过犯得到赦免、罪恶被遮盖的人有福了。 8不被主算为有罪的人有福了。”4:8 诗篇32:12

9那么,这种福分只给受割礼的人吗?还是也给没有受割礼的人呢?因为我们说,亚伯拉罕信上帝,就被算为义人。 10他究竟是怎么被算为义人的呢?是他受割礼以前呢?还是以后呢?不是以后,而是以前。 11他后来受割礼只不过是一个记号,表明他在受割礼前已经因信被称为义人了。他因此成为一切未受割礼的信徒之父,使这些信徒也可以被算为义人。 12他也做了受割礼之人的父,这些人不只是受了割礼,还跟随我们先祖亚伯拉罕的脚步,效法他在未受割礼时的信心。

13上帝应许将世界赐给亚伯拉罕和他的子孙,不是因为亚伯拉罕遵行了律法,而是因为他因信被称为义人。 14如果只有遵行律法的人才可以承受应许,信心就没有价值,上帝的应许也就落了空。 15因为有律法,就有刑罚;哪里没有律法,哪里就没有违法的事。 16所以,上帝的应许是借着人的信心赐下的,好叫这一切都是出于上帝的恩典,确保应许归给所有亚伯拉罕的子孙,不单是律法之下的人,也包括一切效法亚伯拉罕信心的人。 17亚伯拉罕在上帝面前是我们所有人的父,正如圣经上说:“我已立你为万族之父。”4:17 创世记17:5他所信的上帝是能够使死人复活、使无变有的上帝。

18他在毫无指望的情况下仍然满怀盼望地相信上帝的应许,因而成为“万族之父”4:18 创世记15:5,正如上帝的应许:“你的后裔必这么多。” 19那时他将近百岁,知道自己的身体如同已死,撒拉也已经不能生育,但他的信心仍然没有动摇。 20他没有因不信而怀疑上帝的应许,反倒信心更加坚定,将荣耀归给上帝, 21完全相信上帝必能实现祂的应许。 22所以,他因信被算为义人。 23“他被算为义人”这句话不单单是写给他的, 24也是写给我们的。我们相信使我们主耶稣从死里复活的上帝,所以必被算为义人。 25耶稣受害而死是为了我们的过犯,祂复活是为了使我们被称为义人。

Hindi Contemporary Version

रोमियों 4:1-25

विश्वास—अब्राहाम की धार्मिकता

1हम अपने गोत्रपिता अब्राहाम के विषय में क्या कहें—क्या था इस विषय में उनका अनुभव? 2यदि कामों के द्वारा अब्राहाम को धार्मिकता प्राप्‍त हुई तो वह इसका घमंड अवश्य कर सकते थे, किंतु परमेश्वर के सामने नहीं. 3पवित्र शास्त्र का लेख क्या है? अब्राहाम ने परमेश्वर में विश्वास किया और इसी को उनकी धार्मिकता के रूप में मान्यता दी गई.4:3 उत्प 15:6

4मज़दूर की मज़दूरी उसका उपहार नहीं, अधिकार है. 5वह व्यक्ति, जो व्यवस्था का पालन तो नहीं करता किंतु परमेश्वर में, जो अधर्मी को निर्दोष घोषित करते हैं, विश्वास करता है, इसी विश्वास के द्वारा धर्मी व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्‍त करता है. 6जैसे दावीद ने उस व्यक्ति की धन्यता का वर्णन किया है, जिसे परमेश्वर ने व्यवस्था का पालन न करने पर भी धर्मी घोषित किया:

7धन्य हैं वे,

जिनके अपराध क्षमा कर दिए गए,

जिनके पापों को ढांप दिया गया है.

8धन्य है वह व्यक्ति,

जिसके पापों का हिसाब प्रभु कभी न लेंगे.4:8 स्तोत्र 32:1, 2

9क्या यह आशीषें मात्र ख़तना वालों तक ही सीमित है या इसमें ख़तना रहित भी शामिल हैं? हमारा मत यह है: अब्राहाम के विश्वास को उनकी धार्मिकता के रूप में मान्यता दी गई. 10उन्हें यह मान्यता किस अवस्था में दी गई थी? जब उनका ख़तना हुआ तब या जब वह ख़तना रहित ही थे? ख़तना की अवस्था में नहीं परंतु ख़तना रहित अवस्था में. 11उन्होंने ख़तना का चिह्न—विश्वास की धार्मिकता की मोहर—उस समय प्राप्‍त किया, जब वह ख़तना रहित ही थे इसका उद्देश्य था उन्हें उन सबके पिता-स्वरूप प्रतिष्ठित किया जाए, जो बिना ख़तना के विश्वास करेंगे, कि इस विश्वास को उनकी धार्मिकता के रूप में मान्यता प्राप्‍त हो; 12साथ ही अब्राहाम को उन ख़तना किए हुओं के पिता के रूप में प्रतिष्ठित किया जाए, जो ख़तना किए हुए ही नहीं परंतु जो हमारे पिता अब्राहाम के उस विश्वास का स्वभाव रखते हैं, जो उन्होंने अपने ख़तना के पहले ही दिखाया था.

13उस प्रतिज्ञा का आधार, जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों से की गई थी कि अब्राहाम पृथ्वी के वारिस होंगे, व्यवस्था नहीं परंतु विश्वास की धार्मिकता थी. 14यदि व्यवस्था का पालन करने से उन्हें मीरास प्राप्‍त होती है तो विश्वास खोखला और प्रतिज्ञा बेअसर साबित हो गई है. 15व्यवस्था क्रोध का पिता है किंतु जहां व्यवस्था है ही नहीं, वहां व्यवस्था का उल्लंघन भी संभव नहीं!

16परिणामस्वरूप विश्वास ही उस प्रतिज्ञा का आधार है, कि परमेश्वर के अनुग्रह में अब्राहाम के सभी वंशजों को यह प्रतिज्ञा निश्चित रूप से प्राप्‍त हो सके—न केवल उन्हें, जो व्यवस्था के अधीन हैं परंतु उन्हें भी, जिनका विश्वास वैसा ही है, जैसा अब्राहाम का, जो हम सभी के गोत्रपिता हैं. 17जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है: “मैंने तुम्हें अनेक राष्ट्रों का पिता ठहराया है.”4:17 उत्प 17:5 हमारे गोत्रपिता अब्राहाम ने उन्हीं परमेश्वर में विश्वास किया, जो मरे हुओं को जीवन देते हैं तथा अस्तित्व में आने की आज्ञा उन्हें देते हैं, जो हैं ही नहीं.

18बिलकुल निराशा की स्थिति में भी अब्राहाम ने उनसे की गई इस प्रतिज्ञा के ठीक अनुरूप उस आशा में विश्वास किया: वह अनेकों राष्ट्रों के पिता होंगे, ऐसे ही होंगे तुम्हारे वंशज.4:18 उत्प 15:5 19अब्राहाम जानते थे कि उनका शरीर मरी हुए दशा में था क्योंकि उनकी आयु लगभग सौ वर्ष थी तथा साराह का गर्भ तो मृत था ही. फिर भी वह विश्वास में कमजोर नहीं हुए. 20उन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा के संबंध में अपने विश्वास में विचलित न होकर, स्वयं को उसमें मजबूत करते हुए परमेश्वर की महिमा की 21तथा पूरी तरह निश्चिंत रहे कि वह, जिन्होंने यह प्रतिज्ञा की है, उसे पूरा करने में भी सामर्थ्यी हैं. 22इसलिये अब्राहाम के लिए यही विश्वास की धार्मिकता मानी गई. 23उनके लिए धार्मिकता मानी गई, ये शब्द मात्र उन्हीं के विषय में नहीं हैं, 24परंतु इनका संबंध हमसे भी है, जिन्हें परमेश्वर की ओर से धार्मिकता की मान्यता प्राप्‍त होगी—हम, जिन्होंने विश्वास उनमें किया है—जिन्होंने हमारे प्रभु येशु मसीह को मरे हुओं से दोबारा जीवित किया, 25जो हमारे अपराधों के कारण मृत्यु दंड के लिए सौंपे गए तथा हमें धर्मी घोषित कराने के लिए दोबारा जीवित किए गए.