民数记 24 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

民数记 24:1-25

巴兰第三次预言

1巴兰见耶和华乐意赐福给以色列人,就不再像先前两次那样去求兆头,而是转向旷野。 2他举目眺望,看见以色列人按支派扎营。上帝的灵降在他身上, 3他便吟诗预言说:

比珥之子巴兰的预言,

是眼睛明亮者的话,

4他得听上帝之言,

俯伏在地,眼目睁开

得见全能者的异象。

5雅各啊,

你的帐篷何等华美!

以色列啊,

你的居所何等佳美!

6像连绵的山谷,

如河畔的园子;

像耶和华栽种的沉香,

如水边的香柏树。

7他们沐浴充沛的甘霖,

撒种于湿润的沃土。

他们的君王高过亚甲

国度名震四方。

8上帝带他们出埃及

24:8 “祂”或译“他们”。的力量如野牛之角。

他们要吞灭敌国,

打碎敌人的骨头,

用利箭射穿仇敌。

9他们蹲伏如雄狮,

躺卧如母狮,谁敢招惹?

愿祝福他们的人蒙祝福!

愿咒诅他们的人受咒诅!”

10巴勒听了大怒,用力击掌,对巴兰说:“我请你来咒诅我的仇敌,你竟三次祝福他们。 11现在快回家去吧!我说过要给你重赏,但耶和华不让你得到。” 12巴兰说:“我不是对你派来的使臣说过吗? 13就是你把满屋的金银都给我,我也不能违背耶和华的命令、凭自己的意思行事——无论好事坏事。我只能说耶和华让我说的话。 14现在我要回本族去了。但我要告诉你日后以色列人会怎样对待你的人民。”

巴兰第四次预言

15巴兰吟诗预言说:

比珥之子巴兰的预言,

是眼睛明亮者的话,

16他得听上帝之言,

明白至高者的旨意,

俯伏在地,眼目睁开,

得见全能者的异象。

17我所见的尚未发生,

我目睹的关乎将来。

一颗星要从雅各家升起,

一位君王要从以色列兴起。

他要打烂摩押的前额,

击碎塞特人的头颅。

18他必征服以东

占领敌疆西珥

以色列必勇往直前。

19雅各的后裔必掌权,

消灭城中的余民。”

巴兰最后的预言

20巴兰观看亚玛力人,并以诗歌预言说:

亚玛力原是列国之首,

但他的结局却是灭亡。”

21巴兰又观看基尼人,并以诗歌预言说:

“虽然你的居所坚固,

你的巢筑在峭壁,

22但你必遭灭顶,

亚述掳去。”

23巴兰又以诗歌预言说:

“唉!若上帝做这事,

谁能存活呢?

24船只从基提驶来,

征服亚述希伯

但他也要灭亡。”

25说完,巴兰动身返回家乡,巴勒也回去了。

Hindi Contemporary Version

गणना 24:1-25

1जब बिलआम ने यह ध्यान दिया कि इस्राएल को आशीर्वाद देने पर याहवेह प्रसन्‍न होते हैं, उसने पूर्व अवसरों के समान शकुन ज्ञात करने का प्रयास नहीं किया. उसने निर्जन प्रदेश की ओर अपना मुख स्थिर किया. 2जब बिलआम ने दृष्टि की, तो उसे गोत्र के अनुसार व्यवस्थित इस्राएली डेरे डाले हुए दिखाई दिए. परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा. 3उसने अपना वचन शुरू कर दिया:

“बेओर के पुत्र बिलआम की वाणी,

उस व्यक्ति की वाणी, जिसे दृष्टि दी गई है,

4यह उसकी वाणी है, जो परमेश्वर के वचन सुनता है,

जो सर्वशक्तिमान का दर्शन देखा करता है,

वह भूमि पर दंडवत पड़ा है, उसकी दृष्टि खुली है:

5“याकोब कैसे सुंदर लग रहे हैं, तुम्हारे शिविर,

इस्राएल, तुम्हारे डेरे!

6“जो फैली हुई घाटी के समान है,

जो नदी तट के बगीचे के समान है,

जो याहवेह द्वारा रोपित अगरू पौधे के समान,

जो जल के निकट के देवदार वृक्ष के समान है.

7जल उसके जल पात्रों से हमेशा बहता रहेगा,

उसका बीज जल भरे खेतों के निकट होगा.

“उसका राजा, अगाग से भी अधिक महान होगा,

उसका राज्य बढ़ता जाएगा.

8“परमेश्वर उसे मिस्र देश से निकाल लाए;

उसके लिए परमेश्वर जंगली सांड़ के सींग के समान हैं,

वह उन राष्ट्रों को चट कर जाएगा,

जो उसके विरुद्ध हैं, उनकी हड्डियां चूर-चूर हो जाएंगी,

वह अपने बाणों से उन्हें नाश कर देगा.

9वह शेर के समान लेटता तथा विश्राम करता है,

किसमें साहस है कि इस शेर को छेड़ें?

“सराहनीय हैं वे सब, जो उसे आशीर्वाद देते हैं,

शापित हैं, वे सब जो उसे शाप देते हैं!”

10बिलआम के प्रति बालाक का क्रोध भड़क उठा, अपने हाथ पीटते हुए बिलआम से कहा, “मैंने तुम्हें अपने शत्रुओं को शाप देने के उद्देश्य से यहां बुलाया था और अब देख लो, तुमने उन्हें तीनों बार आशीष ही देने की हठ की है. 11इसलिये अब भाग जाओ यहां से अपने देश को. मैंने चाहा था, तुम्हें बहुत ही सम्मानित करूंगा; किंतु देख लो, याहवेह ने यह सम्मान भी तुमसे दूर ही रखा है.”

12बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “क्या, मैंने आपके द्वारा भेजे गए दूतों के सामने यह स्पष्ट न किया था, 13‘चाहे बालाक मेरे घर को चांदी-सोने से भर दे, मेरे लिए याहवेह के आदेश के विरुद्ध अपनी ओर से अच्छाई या बुराई करना असंभव होगा. मैं तो वही कहूंगा, जो याहवेह मुझसे कहेंगे’? 14फिर अब यह सुन लीजिए: मैं अपने लोगों के बीच में लौट रहा हूं, मैं आपको चेतावनी दूंगा कि भविष्य में ये लोग आपकी प्रजा के साथ क्या-क्या करने पर हैं.”

बिलआम की चौथी नबूवत

15उसने अपना वचन इस प्रकार शुरू किया:

“बेओर के पुत्र बिलआम की वाणी,

उस व्यक्ति की वाणी, जिसे दृष्टि प्रदान कर दी गई है,

16उस व्यक्ति की वाणी, जो परमेश्वर का वचन सुनता है,

जिसे उन परम प्रधान के ज्ञान की जानकारी है,

जो सर्वशक्तिमान के दिव्य दर्शन देखता है,

वह है तो भूमि पर दंडवत, किंतु उसकी आंखें खुली हैं:

17“मैं उन्हें देख अवश्य रहा हूं, किंतु इस समय नहीं;

मैं उनकी ओर दृष्टि तो कर रहा हूं, किंतु वह निकट नहीं है.

याकोब से एक तारा उदय होगा;

इस्राएल से एक राजदंड उभरेगा,

जो मोआब के मुंह को कुचल देगा,

वह शेत के सभी वंशजों को फाड़ देगा.

18एदोम अधीनता में जा पड़ेगा;

सेईर भी, जो इसके शत्रु हैं,

अधीन हो जाएंगे.

19याकोब के घराने में से एक महान अधिकारी हो जाएगा,

वही इस नगर के बचे हुए भाग को नाश कर देगा.”

बिलआम की पांचवी नबूवत

20उसने अमालेकियों की ओर दृष्टि की और यह वचन शुरू किया:

“अमालेक उन राष्ट्रों में आगे था,

किंतु उसका अंत विनाश ही है.”

बिलआम की छठी नबूवत

21इसके बाद बिलआम ने केनियों की ओर अपनी दृष्टि उठाई, तथा अपना वचन इस प्रकार ज़ारी रखा:

“तुम्हारा निवास तो अति दृढ़ है,

तुम्हारा बसेरा चट्टान की सुरक्षा में बसा है;

22यह होने पर भी केनी उजड़ हो जाएगा;

अश्शूर तुम्हें कब तक बंदी रखेगा?”

बिलआम की सातवीं नबूवत

23इसके बाद बिलआम ने अपने वचन में यह कहा:

“परमेश्वर द्वारा ठहराए गए के अलावा जीवित कौन रह सकता है?

24किंतु जहाज़ कित्तिम तट से आते रहेंगे;

वे अश्शूर को ताड़ना देंगे, एबर को ताड़ना देंगे,

इस प्रकार उनका अंत भी नाश ही होगा.”

25इसके बाद बिलआम अपने नगर को लौट गया तथा बालाक भी अपने स्थान पर लौट गया.