但以理书 7 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

但以理书 7:1-28

但以理梦见四兽

1巴比伦伯沙撒元年,但以理在床上做了一个梦,脑中出现了异象,便把梦记录下来,讲述其中的大意。 2但以理说:“我在夜间的异象中看见天上有四股风吹来,搅动大海。 3接着,四只巨兽从海中上来,各有不同的形状。 4第一只兽像狮子,但有鹰的翅膀。我观看时,见它的翅膀被拔掉。它被扶起来,像人一样双脚站在地上,并被赋予人的头脑。 5第二只兽像熊,用两只后腿站立,牙齿间叼着三根肋骨,有声音对它说,‘起来,多吞吃肉吧!’

6“此后,我继续观看,见还有一只兽像豹,背上有四个如鸟翼般的翅膀。这兽有四个头,并被赋予权柄。 7此后,我在夜间的异象中看见第四只兽,恐怖可怕,极其强壮,长着大铁牙吞吃、咬碎猎物,用脚践踏所剩的。这兽与前三只兽不同,它有十个角。 8我观看这些角时,见其中又长出一个小角,先前的角中有三个被连根拔出,由它取而代之。这小角有人的眼睛和说狂言的口。

9“我看见宝座已设立,

上面坐着亘古长存者,

祂的衣服洁白如雪,

头发如纯净的羊毛。

祂的宝座是火焰,

宝座的轮子是烈火。

10从祂面前流出火河,

事奉祂的有千千,

侍立在祂面前的有万万。

祂坐下要审判,

案卷已经展开。

11“因为小角口出狂言,我便继续观看,一直到那兽被杀,身体被毁并被扔进火中。 12至于其余的兽,它们的权柄都被夺去,但获准再存活一段时间。

13“我在夜间的异象中看见一位像人子的驾着天上的云而来,到亘古长存者那里,被引到祂面前。 14祂得到权柄、荣耀和国度,各国、各邦、各语种的人都要事奉祂。祂的统治直到永远、没有穷尽,祂的国度永不灭亡。

解释异象

15“我但以理心灵不安,脑中出现的异象让我恐惧, 16便走近一位侍立一旁的,问他这些事的意思。他就向我解释说, 17‘这四只巨兽是指四个将要在世上兴起的王。 18但至高者的圣民必承受这国度,并永永远远拥有这国度。’

19“那时,我想知道关于第四兽的事,它与其余三兽不同,极其可怕,有铁牙铜爪,吞吃、咬碎猎物,用脚践踏所剩的。 20我也想知道有关它头上的十角及后来长出的小角的事。有三个角在这小角面前断落,这角有眼和说狂言的口,看起来比其他角更强大。 21我看见这小角与圣民争战,并占了上风。 22后来亘古长存的至高者来为祂的圣民申冤。圣民拥有国度的时候到了。

23“那位侍立一旁的说,‘第四只兽是指世上将兴起的第四个国,与其他各国不同,它将吞吃、践踏、咬碎天下。 24十角是指这国中将兴起十个王,后来又兴起一王,与先前的王不同,他将制服三个王。 25他必亵渎至高者,迫害至高者的圣民,试图改变节期和律法。圣民将被交在他手中三年半。 26然而,审判者将坐下来审判,夺去并永远废除他的权柄。 27那时,国度、权柄和天下万国的尊荣必赐给至高者的圣民。祂的国度直到永远,一切掌权者都要事奉祂,顺服祂。’

28“这就是我的梦。我但以理心中十分害怕,脸色苍白,但我没有把这事告诉别人。”

Hindi Contemporary Version

दानिएल 7:1-28

दानिएल का चार पशुओं का स्वप्न

1बाबेल के राजा बैलशत्सर के शासन के पहले साल में, दानिएल जब अपने पलंग पर लेटा हुआ था, तो उसने एक स्वप्न तथा मन में दर्शन देखे. उसने अपने स्वप्न के सारांश को लिख लिया.

2दानिएल ने कहा: “रात में मैंने अपने दर्शन में देखा कि आकाश से चारों दिशाओं से महासागर पर मंथन हवा चलने लगी. 3तब चार बड़े-बड़े पशु समुद्र से निकले, और ये एक दूसरे से भिन्‍न थे.

4“पहला पशु सिंह के समान था, जिसके गरुड़ के समान पंख थे. मेरे देखते ही देखते उसके पंखों को नोच डाला गया और उसे भूमि पर से उठाकर मनुष्य के समान दो पैरों पर खड़ा किया गया, और उसे एक मनुष्य का मन दिया गया.

5“उसके बाद मैंने दूसरे पशु को देखा, जो भालू के समान दिखता था, उसे उसके एक तरफ से उठाया गया, और उसके मुंह में उसके दांतों के बीच तीन पसलियां थी. उसे कहा गया, ‘उठ और संतुष्ट होते तक मांस खा!’

6“उसके बाद, मैंने एक दूसरे पशु को देखा, जो चीते के समान दिखता था. और उसकी पीठ पर पक्षी के समान चार पंख थे. इस पशु के चार सिर थे, और उसे शासन करने का अधिकार दिया गया.

7“उसके बाद, रात को मैंने अपने दर्शन में एक चौथे पशु को देखा, जो भयंकर, डरावना और बहुत शक्तिशाली था. इसके बड़े-बड़े लोहे के दांत थे. वह अपने शिकार को दबाकर खा जाता था और जो कुछ बच जाता था, उसे पांव से कुचल डालता था. वह इसके पहले के सब पशुओं से भिन्‍न था, और इसके दस सींग थे.

8“जब मैं इन सींगों के बारे में सोच ही रहा था, कि मैंने देखा उन सींगों के बीच एक और छोटा सींग था, और इस सींग के निकलने से वहां पहले के तीन सींग अपने जड़ से उखड़ गए. मैंने देखा कि इस सींग में मनुष्य के समान आंखें थी और एक मुंह भी था जो घमंड से भरी बातें कर रहा था.

9“जैसे कि मैंने देखा,

“वहां सिंहासन रखे गए,

और वह अति प्राचीन अपने आसन पर बैठा.

उसके कपड़े हिम के समान सफेद थे;

उसके सिर के बाल शुद्ध ऊन की तरह थे.

उसका सिंहासन आग से ज्वालामय था,

और सिंहासन के पहियों से लपटें निकल रही थी.

10उसके सामने से एक आग का दरिया

निकलकर बह रहा था.

हजारों हजार लोग उसकी सेवा में लगे थे;

लाखों लोग उसके सामने खड़े थे.

तब न्यायाधीश बैठ गये,

और पुस्तकें खोली गईं.

11“वह सींग घमंड से भरी बातें कर रहा था इसलिये मैं उधर लगातार देखता रहा. मैं तब तक देखता रहा जब तक कि उसका वध करके उसके शरीर को नष्ट न कर दिया गया और धधकती आग में न फेंक दिया गया. 12(दूसरे पशुओं का अधिकार छीन लिया गया था, पर कुछ समय के लिये उन्हें प्राण दान दिया गया था.)

13“रात को मैंने अपने दर्शन में देखा कि मनुष्य के पुत्र के समान कोई आकाश के बादलों के साथ आ रहा था. वह अति प्राचीन के पास आया और उसे उनके सामने लाया गया. 14उसे अधिकार, महिमा और सर्वोच्च शक्ति दी गई; सब जाति और हर भाषा के लोग उसकी आराधना किए. उसका प्रभुत्व चिरस्थायी है, जो कभी खत्म नहीं होगा, और उसका राज्य ऐसा राज्य है, जो कभी नाश न होगा.

स्वप्न का अर्थ

15“मैं, दानिएल, मन में बहुत व्याकुल हुआ, और जो दर्शन मैंने अपने मन में देखा, उससे मैं विचलित हो गया. 16वहां खड़े लोगों में से एक के पास मैं गया और उससे इन सारी बातों का अर्थ पूछा.

“उसने यह कहकर मुझे इन बातों का अर्थ बताया: 17‘चार बड़े पशु चार राजा हैं, जिनका पृथ्वी पर उदय होगा. 18पर सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र लोगों को ही राज्य मिलेगा और वे उसे अपने अधिकार में सदाकाल तक रखेंगे—जी हां, सदाकाल तक.’

19“तब मेरे मन में उस चौथे पशु के अर्थ को जानने की इच्छा हुई, जो दूसरे सारे पशुओं से भिन्‍न था और जो अपने लोहे के दांतों और कांसे के पंजों के साथ बहुत डरावना था—वह पशु जो अपने शिकार को दबाकर खा जाता था और बचे हुए भाग को अपने पांवों से कुचल डालता था. 20मुझे इन बातों का भी अर्थ जानने की इच्छा हुई; उसके सिर के दस सींग, और वह दूसरा सींग, जिसके निकल आने से, वहां के पहले के तीन सींग गिर गए—यह सींग जो दूसरे सीगों से ज्यादा रोबदार दिखता था और जिसकी आंखें और एक मुंह था, जिससे वह घमंड से भरी बातें करता था. 21जैसा कि मैंने देखा, कि वह सींग पवित्र लोगों से युद्ध कर रहा था और उनको तब तक हराता रहा, 22जब तक कि अति प्राचीन ने आकर सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र लोगों के पक्ष में न्याय का फैसला न दे दिया, और वह समय आया, जब उन्होंने राज्य पर अधिकार कर लिया.

23“उसने मुझे यह अर्थ बताया: ‘वह चौथा पशु एक चौथा राज्य है, जो पृथ्वी पर प्रगट होगा. यह दूसरे सब राज्यों से भिन्‍न होगा. यह सारी पृथ्वी को रौंदते और कुचलते हुए नाश कर डालेगा. 24वे दस सींग दस राजा हैं, जो इस राज्य से आएंगे. उनके बाद, एक दूसरा राजा आयेगा, जो पहले के राजाओं से भिन्‍न होगा; वह तीन राजाओं को अपने अधीन कर लेगा. 25वह सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध बोलेगा और उसके पवित्र लोगों को सताएगा और ठहराए गये समयों और कानूनों को बदलने की कोशिश करेगा. पवित्र लोग एक समय, समयों और आधा समय7:25 एक समय, समयों और आधा समय अर्थात् एक साल, दो साल और आधा साल के लिए उसके अधीन कर दिए जाएंगे.

26“ ‘पर न्यायाधीश बैठेंगे, और उसकी शक्ति उससे छीन ली जाएगी और उसे हमेशा के लिये पूरी तरह नाश कर दिया जाएगा. 27तब सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र लोगों को आकाश के नीचे के सब राज्यों की सत्ता, शक्ति और महानता दे दी जाएगी. उसका राज्य सदाकाल तक बना रहनेवाला राज्य होगा, और सब शासक उसकी आराधना करेंगे और उसकी बात मानेंगे.’

28“यहां उस विषय का अंत होता है. मैं, दानिएल, अपने विचारों से बहुत व्याकुल हो गया, और मेरा चेहरा पीला पड़ गया, पर यह बात मैं अपने मन में ही रखी.”