以西结书 48 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

以西结书 48:1-35

分地

1“以下是各支派分得的土地:

的地业在北部:从希特伦哈马口大马士革边界的哈萨·以难,北面靠近哈马,横跨东西两地。 2亚设的地业从东到西与的地业接壤。 3拿弗他利的地业从东到西与亚设的地业接壤。 4玛拿西的地业从东到西与拿弗他利的地业接壤。 5以法莲的地业从东到西与玛拿西的地业接壤。 6吕便的地业从东到西与以法莲的地业接壤。 7犹大的地业从东到西与吕便的地业接壤。

8犹大边界以南将是你们划分出来的那块地,宽十二公里半,由东至西的长度与其他各支派的地相同,圣殿在那块地的中央。 9你们献给耶和华的圣地长十二公里半、宽五公里, 10南北面各长十二公里半,东西面各宽五公里。耶和华的圣所在这块地的中央。 11这块地要归给忠心事奉我的圣洁祭司撒督的子孙。当以色列人步入歧途时,他们没有与利未人同流合污。 12这块从圣地中划出的至圣之地要归给他们,它与利未人所得的地业相邻。 13利未人的地与祭司的地并排挨着,长十二公里半,宽五公里。 14他们不可把这块地出卖或交换,不可把这块最好的地转让给他人,因为它是归给耶和华的圣地。

15“剩下的十二公里半长、两公里半宽的地方作公共用地,用来建城邑、房屋和草场,城要建在这地方的中央。 16城是正方形的,东、西、南、北各长两公里半。 17城四周要有郊野,东西南北各长一百二十五米, 18与圣地相邻,城外东西两侧剩下的地各长五公里,地里的出产要作城内工人的食物。 19所有在这城里做工的以色列各支派的人都要耕种这片土地。 20你们所献的这块圣地和城区是方形的,四面各长十二公里半。

21“圣地和城区东西两边的余地要归君王。两边的余地从圣地十二公里半宽的东西边界开始,沿各支派所分的地,分别向东向西延伸到以色列的东界和西界。圣地和圣殿在地的中央。 22利未人的产业和城区在君王土地的中央,君王的土地在犹大便雅悯支派之间。

23“以下是其他各支派所分的地业:

便雅悯的一份地业从东跨到西。 24西缅的一份地业从东到西与便雅悯的地业接壤。 25以萨迦的一份地业从东到西与西缅的地业接壤。 26西布伦的一份地业从东到西与以萨迦的地业接壤。 27迦得的一份地业从东到西与西布伦的地业接壤。 28迦得的南界是从他玛延伸到米利巴·加低斯泉,沿埃及小河,一直到地中海。 29这就是你们要抽签分给以色列各支派的土地,作为他们的产业。这是主耶和华说的。

30“以下是城的各个出口。北面的墙是两公里半长, 31有三道门,按以色列的各支派命名,分别是吕便门、犹大门和利未门。 32东面的墙是两公里半长,有三道门,分别是约瑟门、便雅悯门和门。 33南面的墙是两公里半长,有三道门,分别是西缅门、以萨迦门和西布伦门。 34西面的墙是两公里半长,有三道门,分别是迦得门、亚设门和拿弗他利门。 35城的四周共长九公里半,从那时起,这城必叫‘耶和华的所在’。”

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 48:1-35

भूमि का विभाजन

1“सूची में लिखे गोत्रों के नाम ये हैं:

“उत्तरी सीमांत पर दान का एक भाग होगा; यह हेथलोन के मार्ग से लेबो हामाथ के बाद होगा; हाज़ार-एनान और हामाथ से लगा दमेशेक की उत्तरी सीमा इसकी सीमा का भाग होगा, जो पूर्व तरफ से पश्चिम तरफ होगा.

2आशेर का एक भाग होगा; इसकी सीमा पूर्व से पश्चिम तक दान के क्षेत्र से लगी होगी.

3आशेर की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम तक नफताली का एक भाग होगा.

4नफताली की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम तक मनश्शेह का एक भाग होगा.

5मनश्शेह की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम तक एफ्राईम का एक भाग होगा.

6एफ्राईम की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम तक रियूबेन का एक भाग होगा.

7रियूबेन की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम तक यहूदाह का एक भाग होगा.

8“यहूदाह की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम एक भाग होगा, जिसे तुम्हें एक विशेष भेंट के रूप में देना है. इसकी चौड़ाई लगभग तेरह किलोमीटर, और पूर्व से लेकर पश्चिम तक इसकी लंबाई दूसरे गोत्र को दिये गए भाग की लंबाई के बराबर होगी; पवित्र स्थान इसके बीच में होगा.

9“जो विशेष भाग, तुम्हें याहवेह को अर्पण करना है, उसकी लंबाई लगभग तेरह किलोमीटर और चौड़ाई लगभग पांच किलोमीटर होगी. 10पुरोहितों के लिये यह पवित्र भाग होगा. उत्तर की तरफ इसकी लंबाई लगभग तेरह किलोमीटर, पश्चिम की तरफ इसकी चौड़ाई लगभग पांच किलोमीटर, चौड़ा अंश पुरोहितों के लिए होगा. इसके बीच में याहवेह का पवित्र स्थान होगा. 11यह भाग सादोक के वंश के उन पवित्र किए हुए पुरोहितों के लिये होगा, जो मेरी सेवा करने में विश्वासयोग्य थे और उन लेवियों की तरह भटके नहीं, जो इस्राएलियों के भटकने पर वे भी भटक गए. 12यह देश के पवित्र भाग से उनके लिये एक विशेष भेंट होगी, एक परम पवित्र भाग, जो लेवियों की सीमा से लगा होगा.

13“पुरोहितों के क्षेत्र से लगा हुआ एक भाग लेवियों के लिये होगा, जो लगभग तेरह किलोमीटर लंबा और लगभग पांच किलोमीटर चौड़ा होगा. इसकी पूरी लंबाई लगभग तेरह किलोमीटर और चौड़ाई लगभग पांच किलोमीटर होगी. 14वे इसे न तो बेचें और न ही इसका कोई भाग अदला-बदली करें. यह देश का सबसे अच्छा भाग है और किसी भी हालत में इसे दूसरे के हाथों में न दिया जाए, क्योंकि यह याहवेह के लिये पवित्र है.

15“बचा हुआ लगभग ढाई किलोमीटर चौड़ा और लगभग तेरह किलोमीटर लंबा क्षेत्र शहर के साधारण उपयोग के लिये होगा, जिसमें घर और चरागाह होंगे. शहर इसके बीच में होगा 16और इसकी नाप इस प्रकार होगा: उत्तर की तरफ लगभग सवा दो किलोमीटर, दक्षिण की तरफ लगभग सवा दो किलोमीटर, पूर्व की तरफ लगभग सवा दो किलोमीटर, पश्चिम की तरफ लगभग सवा दो किलोमीटर. 17शहर के लिये चरागाह के लिये भूमि उत्तर की ओर लगभग सवा सौ मीटर, दक्षिण की ओर लगभग सवा सौ मीटर, पूर्व की ओर लगभग सवा सौ मीटर, और पश्चिम की ओर लगभग सवा सौ मीटर होगी. 18पवित्र भाग के सीमा से लगा जो बचा हुआ भाग होगा और पवित्र भाग के लंबाई की तरफ होगा, वह पूर्व की ओर लगभग पांच किलोमीटर और पश्चिम की ओर लगभग पांच किलोमीटर होगा. इसकी उपज से शहर के श्रमिक भोजन प्राप्‍त करेंगे. 19शहर के जो श्रमिक इसमें खेतीबाड़ी करेंगे, वे इस्राएल के सारे गोत्रों में से होंगे. 20यह पूरा भाग वर्गाकार होगा, हर तरफ लगभग तेरह किलोमीटर. एक विशेष भेंट के रूप में पवित्र भाग को, तुम शहर की संपत्ति के साथ अलग रखना.

21“पवित्र भाग से बने हुए क्षेत्र के दोनों तरफ जो भाग बच जाता है, वह और शहर की संपत्ति राजकुमार की होगी. यह लगभग तेरह किलोमीटर पूर्वी सीमा की ओर और लगभग तेरह किलोमीटर पश्चिमी सीमा की ओर फैली होगी. ये दोनों क्षेत्र राजकुमार के होंगे, जो गोत्र के भागों के लंबाई में होंगे, और इनके बीच पवित्र भाग के साथ मंदिर का पवित्र स्थान होगा. 22इस प्रकार लेवियों की संपत्ति और शहर की संपत्ति उस क्षेत्र में होगी, जो राजकुमार की होगी. राजकुमार का क्षेत्र यहूदाह की सीमा और बिन्यामिन की सीमा के बीच होगा.

23“बाकी गोत्रों के लिए भाग इस प्रकार होगा:

“पूर्व की ओर से पश्चिम की ओर एक भाग बिन्यामिन का होगा.

24बिन्यामिन के क्षेत्र की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम की ओर एक भाग शिमओन का होगा.

25शिमओन के क्षेत्र की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम की ओर एक भाग इस्साखार का होगा.

26इस्साखार के क्षेत्र की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम की ओर एक भाग ज़ेबुलून का होगा.

27ज़ेबुलून के क्षेत्र की सीमा से लगकर पूर्व से पश्चिम की ओर एक भाग गाद का होगा.

28गाद की दक्षिणी सीमा दक्षिण की ओर तामार से मेरिबाह-कादेश के पानी के सोते तक जाएगी, तब मिस्र की नदी से होते हुए भूमध्य सागर तक होगी.

29“यह देश तुम इस्राएल के गोत्रों को एक उत्तराधिकार के रूप में देना, और ये उनके भाग होंगे,” परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.

नये शहर के द्वार

30“ये शहर के निकास होंगे:

“उत्तर की तरफ से शुरू होकर, जिसकी लंबाई लगभग ढाई किलोमीटर है, 31शहर के द्वारों को इस्राएल के गोत्रों के नाम दिये जाएंगे. उत्तर की तरफ तीन द्वारों के नाम—रियूबेन का द्वार, यहूदाह का द्वार और लेवी का द्वार होगा.

32पूर्व की तरफ, जिसकी लंबाई लगभग ढाई किलोमीटर है, तीन द्वार होंगे: योसेफ़ का द्वार, बिन्यामिन का द्वार और दान का द्वार.

33दक्षिण की तरफ, जिसकी लंबाई लगभग ढाई किलोमीटर है, तीन द्वार होंगे: शिमओन का द्वार, इस्साखार का द्वार और ज़ेबुलून का द्वार.

34पश्चिम की तरफ, जिसकी लंबाई लगभग ढाई किलोमीटर है, तीन द्वार होंगे: गाद का द्वार, आशेर का द्वार और नफताली का द्वार.

35“सब तरफ की दूरी लगभग दस किलोमीटर होगी.

“और उस समय से इस नगर का नाम होगा, ‘याहवेह शाम्मा’ अर्थात् याहवेह वहां है.”