以西结书 1 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

以西结书 1:1-28

以西结的异象

1第三十年四月五日,我正在迦巴鲁河畔被掳的人当中,那时天开了,我看见了上帝的异象。 2那是约雅斤王被掳第五年的四月五日, 3就在迦勒底人境内的迦巴鲁河畔,耶和华的话传给了布西的儿子以西结祭司,耶和华的手按在他身上。

4在异象中,我看见一阵狂风从北方刮来,有一大朵云闪耀着火光,四周环绕着灿烂的光芒,火的中心像发光的金属。 5火中有四个像人形的活物, 6每个活物有四张脸和四个翅膀。 7他们的腿是直的,脚如同牛犊的蹄,都亮如磨光的铜。 8四面的翅膀下都有人的手,四个活物都有脸和翅膀, 9翅膀彼此相连。他们移动时不必转身,各朝前面移动。 10四个活物的脸是这样的:正面是人的脸,右面是狮子的脸,左面是牛的脸,后面是鹰的脸。 11他们的翅膀向上展开,每个活物的一对翅膀与两侧活物的翅膀相连,另外一对翅膀遮蔽身体。 12每个活物都往前直行,耶和华的灵往哪里去,他们也往哪里去,移动时不用转身。 13四个活物的形象如燃烧的火炭,又像火把。活物之间有火上下移动,非常明亮,从火中发出闪电。 14这些活物像闪电一样往来飞驰。

15当我观看这些活物的时候,发现每个活物旁边的地上都有一个轮子。 16四个轮子的形状和结构都一样,好像轮套轮,如同闪耀的绿宝石。 17他们可以向四面移动,移动时轮子不必转向。 18轮圈高而可畏,周围布满了眼睛。 19活物行走,轮子也在旁边行走;活物上升,轮子也上升。 20灵往哪里去,活物也往哪里去,轮子也跟着往哪里去,因为活物的灵在轮子里。 21活物行走,轮子也行走;活物站立不动,轮子也站立不动;活物上升,轮子也跟着上升,因为活物的灵在轮子里。

22活物的头上好像铺展着茫茫的穹苍,如同顶着耀眼的水晶。 23穹苍下四个活物伸展翅膀,彼此相对,各用另两个翅膀遮蔽身体。 24他们移动时,我听见他们翅膀发出的响声如洪涛之声,既像全能者的声音,又像军队的呐喊。活物站住的时候,便将翅膀垂下。 25他们站立垂下翅膀时,有声音从他们头顶的穹苍之上传来。

26在他们头顶的穹苍之上仿佛有蓝宝石的宝座,有一位形状像人的高坐在宝座上。 27我看到祂的腰部以上好像烧红发亮的金属,好像有火四面环绕。腰部以下如同火焰。祂周围有耀眼的光辉, 28仿佛雨天云中的彩虹。

这是耶和华荣耀的形象。我一看见,便俯伏在地,随后听见有说话的声音。

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 1:1-28

यहेजकेल का आरंभिक दर्शन

1यह घटना मेरी बंधुआई के तीसवें वर्ष के चौथे माह के पांचवें दिन की है, जब मैं बंदियों के साथ खेबर नदी के तट पर था, तब आकाश खुल गया और मुझे परमेश्वर का दर्शन हुआ.

2—यह राजा यहोयाकिन के बंधुआई के पांचवें वर्ष के चौथे माह के पांचवें दिन की घटना है— 3बाबेलवासियों1:3 बाबेलवासियों यानी कसदियों के देश में खेबर नदी के तट पर, बुज़ी के पुत्र पुरोहित यहेजकेल के पास याहवेह का यह वचन आया. वहां याहवेह का हाथ उस पर था.

4मैंने देखा कि उत्तर दिशा से एक बड़ी आंधी आ रही थी—कड़कती बिजली के साथ एक बहुत बड़ा बादल और चारों तरफ तेज प्रकाश था. आग का बीच वाला भाग तपता हुआ लाल धातु के समान दिख रहा था, 5और आग में चार जीवित प्राणी जैसे दिख रहे थे. दिखने में उनका स्वरूप मानव जैसे था, 6पर इनमें से हर एक के चार-चार मुंह और चार-चार पंख थे. 7उनके पैर सीधे थे; उनके पांव बछड़े के खुर के समान थे और चिकने कांसे के समान चमक रहे थे. 8उनके चारों तरफ पंखों के नीचे उनके मनुष्य के समान हाथ थे. उन चारों के मुंह और पंख थे, 9उनके पंख एक दूसरे के पंख को छू रहे थे. हर एक आगे सीधा जा रहा था, और वे बिना मुड़े आगे बढ़ रहे थे.

10उनका मुंह इस प्रकार दिखता था: चारों में से हर एक का एक मुंह मनुष्य का था, और दाहिने तरफ हर एक का मुंह सिंह का, और बायें तरफ हर एक मुंह बैल का; और हर एक का एक गरुड़ का मुंह भी था. 11इस प्रकार उनके मुंह थे. उनमें से हर एक के दो पंख ऊपर की ओर फैले थे, और ये पंख अपने दोनों तरफ के प्राणी को छू रहे थे और हर एक अन्य दो पंखों से अपने शरीर को ढांपे हुए थे. 12हर एक आगे सीधा जा रहा था. जहां कहीं भी आत्मा जाती थी, वे भी बिना मुड़े उधर ही जाते थे. 13उन जीवित प्राणियों का रूप आग के जलते कोयलों या मशालों के समान था. वह आग प्राणियों के बीच इधर-उधर खसक रही थी; यह चमकीला था, और इससे बिजली चमक रही थी. 14वे प्राणी बिजली की चमक समान तेजी से इधर-उधर हो रहे थे.

15जब मैं जीवित प्राणियों को देख रहा था, तब मैंने देखा कि उन चार मुहों वाले हर एक जीवित प्राणियों के बाजू में एक-एक पहिया था. 16उन पहियों का रूप और बनावट इस प्रकार थी: वे पुखराज के समान चमक रहे थे, और चारों एक जैसे दिखते थे. हर एक पहिया ऐसे बनाया गया दिखता था मानो एक पहिये के भीतर दूसरा पहिया हो. 17जब वे आगे बढ़ते थे, तो वे चारों दिशाओं में उस दिशा की ओर जाते थे, जिस दिशा में प्राणियों का चेहरा होता था; जब प्राणी चलते थे, तो पहिये अपनी दिशा नहीं बदलते थे. 18इन पहियों के घेरे ऊंचे और अद्भुत थे, और चारों पहियों के घेरो में सब तरफ आंखें ही आंखें थी.

19जब वे जीवित प्राणी आगे बढ़ते थे, तब उनके बाजू के पहिये भी आगे बढ़ते थे; और जब वे जीवित प्राणी भूमि पर से ऊपर उठते थे, तो पहिये भी ऊपर उठते थे. 20जहां कहीं भी आत्मा जाती थी, वे भी जाते थे, और वे पहिये उनके साथ ऊपर उठते थे, क्योंकि जीवित प्राणियों की आत्मा उन पहियों में थी. 21जब वे प्राणी आगे बढ़ते थे, तो ये भी आगे बढ़ते थे; जब वे प्राणी खड़े होते थे, तो ये भी खड़े हो जाते थे; और जब वे प्राणी भूमि से ऊपर उठते थे, तो ये पहिये भी उनके साथ ऊपर उठते थे, क्योंकि जीवित प्राणियों की आत्मा इन पहियों में थी.

22सजीव प्राणियों के सिर के ऊपर जो फैला हुआ था, वह गुम्बज के समान दिखता था, और स्फटिक के समान चमक रहा था, और अद्भुत था. 23गुम्बज के नीचे उनके पंख एक दूसरे की ओर फैले हुए थे, और हर एक प्राणी के दो पंख से उनके अपने शरीर ढके हुए थे. 24जब वे प्राणी आगे बढ़ते थे, तो मैंने सुना, उनके पंखों से तेजी से बहते पानी के गर्जन जैसी, सर्वशक्तिमान के आवाज जैसी, सेना के कोलाहल जैसी आवाज आती थी. जब वे खड़े होते थे, तो वे अपने पंख नीचे कर लेते थे.

25जब वे खड़े थे और उनके पंख झुके हुए थे, तब उनके सिर के ऊपर स्थित गुम्बज के ऊपर से एक आवाज आई. 26उनके सिर के ऊपर स्थित गुम्बज के ऊपर कुछ ऐसा था जो नीलमणि के सिंहासन जैसे दिखता था, और इस ऊंचे सिंहासन के ऊपर मनुष्य के जैसा कोई दिख रहा था. 27मैंने देखा कि उसके कमर से ऊपर वह चमकते धातु की तरह दिखता था, मानो वह आग से भरा हो, और उसके कमर से नीचे वह आग के समान दिखता था, और वह चमकते प्रकाश से घिरा हुआ था. 28जैसे किसी बरसात के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही उसके चारों ओर प्रकाश की चमक थी.

याहवेह के तेज के जैसा यह रूप था. जब मैंने उसे देखा, तो मैं मुंह के बल ज़मीन पर गिरा, और मैंने किसी के बात करने की आवाज सुनी.