以弗所书 4 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

以弗所书 4:1-32

信徒同属一体

1所以,我这为主被囚禁的劝你们,既然蒙了上帝的呼召,就要过与所蒙的呼召相称的生活。 2凡事要谦卑、温柔、忍耐,用爱心互相宽容, 3以和平彼此联结,竭力持守圣灵所赐的合一。 4正如你们蒙召后同有一个盼望、一个身体、一位圣灵、 5一位主、一个信仰、一种洗礼、 6一位上帝,就是万人之父,祂超越万物,贯穿万物,且在万物之中。

7然而,我们各人都是按照基督所赐之量领受恩典。 8因此圣经上说:

“祂升上高天时,

带着许多俘虏,

将恩赐赏给众人。”4:8 诗篇68:18

9既然说“升上”,岂不表示祂曾经降到地上吗? 10降下的是祂,升到诸天之上的也是祂,这样祂可以充满万物。 11祂赐恩让一些人做使徒,一些人做先知,一些人做传福音的,一些人做牧师和教师, 12为要装备圣徒,使他们各尽其职,建立基督的身体, 13直到我们对上帝的儿子有一致的信仰和认识,逐渐成熟,达到基督那样完美的生命。 14这样,我们就不再像小孩子,被各种异端邪说之风吹得飘来飘去,被人的阴谋诡计欺骗。 15相反,我们说话要凭爱心坚持真理,在各方面都要追求长进,更像元首基督。 16整个身体靠祂巧妙地结合在一起,筋骨相连,各部位各尽其职,身体便渐渐成长,在爱中建立起来。

新人新生命

17因此,我奉主的名郑重劝告各位,不要再像不信的外族人一样过着心灵空虚的日子。 18他们因为愚昧无知、心里刚硬而理智受到蒙蔽,并与上帝所赐的生命隔绝了。 19他们麻木不仁,放纵情欲,沉溺于各种污秽的事。

20但基督并未这样教导你们。 21你们如果听过祂的事,领受了祂的教导,就是在祂里面的真理, 22就应该与从前的生活方式一刀两断,脱去因私欲的迷惑而渐渐败坏的旧人, 23洗心革面, 24穿上照着上帝形象所造的新人。这新人有从真理而来的公义和圣洁。

25所以不要再说谎,大家都要彼此说真话,因为我们都是一个身体的肢体。 26不要因生气而犯罪,4:26 诗篇4:4不要到日落时还怒气未消, 27不要让魔鬼有机可乘。 28从前偷窃的要改过自新,自食其力,做正当事,以便能够与有需要的人分享所得。 29污言秽语一句都不可出口,要随时随地说造就人的好话,使听的人得益处。 30不要让上帝的灵担忧,你们已经盖上了圣灵的印记,将来必蒙救赎。 31要从你们当中除掉一切苦毒、恼恨、怒气、争吵、毁谤和邪恶。 32总要以恩慈、怜悯的心彼此相待,要互相饶恕,正如上帝在基督里饶恕了你们一样。

Hindi Contemporary Version

इफ़ेसॉस 4:1-32

एकता के लिए बुलाया जाना

1इसलिये मैं, जो प्रभु के लिए बंदी हूं, तुमसे विनती करता हूं कि तुम्हारी जीवनशैली तुम्हारी बुलाहट के अनुरूप हो. 2तुममें विशुद्ध विनम्रता, सौम्यता तथा धीरज के साथ आपस में प्रेम में सहने का भाव भर जाए. 3शांति के बंधन में पवित्र आत्मा की एकता को यथाशक्ति संरक्षित बनाए रखो. एक ही शरीर है, एक ही आत्मा. 4ठीक इसी प्रकार वह आशा भी एक ही है जिसमें तुम्हें बुलाया गया है; 5एक ही प्रभु, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा; 6और सारी मानव जाति के पिता, जो सबके ऊपर, सबके बीच और सब में एक ही परमेश्वर हैं.

7किंतु हममें से हर एक को मसीह के वरदान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह प्रदान किया गया है. 8इसी संदर्भ में पवित्र शास्त्र का लेख है:

“जब वह सबसे ऊंचे पर चढ़ गए,

बंदियों को बंदी बनाकर ले गए और

उन्होंने मनुष्यों को वरदान प्रदान किए.”4:8 स्तोत्र 68:18

9(इस कहावत का मतलब क्या हो सकता है कि वह “सबसे ऊंचे पर चढ़ गए,” सिवाय इसके कि वह पहले अधोलोक में नीचे उतर गए? 10वह, जो नीचे उतरे, वही हैं, जो आसमानों से भी ऊंचे स्थान में बड़े सम्मान के साथ चढ़े कि सारे सृष्टि को परिपूर्ण कर दें.) 11उन्होंने कलीसिया को कुछ प्रेरित, कुछ भविष्यद्वक्ता, कुछ ईश्वरीय सुसमाचार सुनानेवाले तथा कुछ कलीसिया के रखवाले उपदेशक प्रदान किए, 12कि पवित्र सेवकाई के लिए सुसज्जित किए जाएं, कि मसीह का शरीर विकसित होता जाए 13जब तक हम सभी को विश्वास और परमेश्वर-पुत्र के बहुत ज्ञान की एकता उपलब्ध न हो जाए—सिद्ध मनुष्य के समान—जो मसीह का संपूर्ण डीलडौल है.

14तब हम बालक न रहेंगे, जो समुद्री लहरों जैसे इधर-उधर उछाले व फेंके जाते तथा मनुष्यों की ठग विद्या की आंधी और मनुष्य की चतुराइयों द्वारा बहाए जाते हैं. 15परंतु सच को प्रेमपूर्वक व्यक्त करते हुए हर एक पक्ष में हमारी उन्‍नति उनमें होती जाए, जो प्रधान हैं, अर्थात्, मसीह. 16जिनके द्वारा सारा शरीर जोड़ों द्वारा गठकर और एक साथ मिलकर प्रेम में विकसित होता जाता है क्योंकि हर एक अंग अपना तय किया गया काम ठीक-ठाक करता जाता है.

मसीह में नवजीवन

17इसलिये मैं प्रभु के साथ पुष्टि करते हुए तुमसे विनती के साथ कहता हूं कि अब तुम्हारा स्वभाव गैर-यहूदियों के समान खोखली मन की रीति से प्रेरित न हो. 18उनके मन की कठोरता से उत्पन्‍न अज्ञानता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग हैं और उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है. 19सुन्‍न होकर उन्होंने स्वयं को लोभ से भरकर सब प्रकार की कामुकता और अनैतिकता के अधीन कर दिया है.

20मसीह के विषय में ऐसी शिक्षा तुम्हें नहीं दी गई थी 21यदि वास्तव में तुमने उनके विषय में सुना और उनकी शिक्षा को ग्रहण किया है, जो मसीह येशु में सच के अनुरूप है. 22इसलिये अपने पुराने स्वभाव से प्रेरित स्वभाव को त्याग दो, जो छल की लालसाओं के कारण भ्रष्‍ट होता जा रहा है; 23कि तुम्हारे मन का स्वभाव नया हो जाए; 24नए स्वभाव को धारण कर लो, जिसकी रचना धार्मिकता और पवित्रता में परमेश्वर के स्वरूप में हुई है.

25इसलिये झूठ का त्याग कर, हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से सच ही कहे क्योंकि हम एक ही शरीर के अंग हैं. 26“यदि तुम क्रोधित होते भी हो, तो भी पाप न करो.”4:26 स्तोत्र 4:4 सूर्यास्त तक तुम्हारे क्रोध का अंत हो जाए, 27शैतान को कोई अवसर न दो. 28वह, जो चोरी करता रहा है, अब चोरी न करे किंतु परिश्रम करे कि वह अपने हाथों से किए गए उपयोगी कामों के द्वारा अन्य लोगों की भी सहायता कर सके, जिन्हें किसी प्रकार की ज़रूरत है.

29तुम्हारे मुख से कोई भद्दे शब्द नहीं परंतु ऐसा वचन निकले, जो अवसर के अनुकूल, अन्यों के लिए अनुग्रह का कारण तथा सुननेवालों के लिए भला हो. 30परमेश्वर की पवित्र आत्मा को शोकित न करो, जिनके द्वारा तुम्हें छुटकारे के दिन के लिए छाप दी गई है. 31सब प्रकार की कड़वाहट, रोष, क्रोध, झगड़ा, निंदा, आक्रोश तथा बैरभाव को स्वयं से अलग कर दो. 32एक दूसरे के प्रति कृपालु तथा सहृदय बने रहो, तथा एक दूसरे को उसी प्रकार क्षमा करो, जिस प्रकार परमेश्वर ने मसीह में तुम्हें क्षमा किया है.