Mmebusɛm 3 – AKCB & HCV

Akuapem Twi Contemporary Bible

Mmebusɛm 3:1-35

Nyansa De Yiyedi Ba

1Me ba, mma wo werɛ mfi me nkyerɛkyerɛ,

kora me mmara wɔ wo koma mu,

2na ɛbɛma wo nkwa aware, mfe bebree

na ɛde yiyedi abrɛ wo.

3Mma adɔe ne nokware mmfi wo nkyɛn

fa yan wo kɔn mu

kyerɛw gu wo koma pon so.

4Na wubenya adom ne din pa

wɔ Onyankopɔn ne nnipa anim.

5Fa wo koma nyinaa to Awurade so,

na mfa wo ho nto wʼankasa ntease so;

6hu no wʼakwan nyinaa mu,

na ɔbɛteɛ wʼakwan.

7Nnye wo ho nni sɛ woyɛ onyansafo;

suro Awurade na kyi bɔne.

8Ɛde ahoɔden bɛbrɛ wo nipadua,

na ayɛ aduan ama wo nnompe.

9Fa wʼahonya hyɛ Awurade anuonyam,

ne wo nnɔbae a edi kan nyinaa;

10na ɛno na ɛbɛma wo pata ayɛ ma abu so,

na nsa foforo abu afa wʼahina so.

11Me ba, sɛ Awurade teɛ wo so a, tie no yiye,

na mmu nʼanimka so,

12Efisɛ, obiara a Awurade pɛ nʼasɛm no, ɔtwe nʼaso,

sɛnea agya teɛ ɔba a ɔdɔ no no.

13Nhyira nka onipa a ohu nyansa,

onipa a onya ntease,

14efisɛ, nimdeɛ so mfaso sen dwetɛ,

na nea efi mu ba sen sikakɔkɔɔ.

15Ne bo yɛ den sen bota;

na worentumi mfa wʼapɛde biara ntoto no ho.

16Nkwa tenten wɔ ne nsa nifa mu;

ahonyade ne anuonyam wɔ ne nsa benkum mu.

17Nʼakwan yɛ ahomeka,

na nʼanammɔnkwan nyinaa yɛ asomdwoe.

18Ɔyɛ nkwadua ma wɔn a woso ne mu;

wɔn a wokura no mu no benya nhyira.

19Nyansa mu na Awurade yɛɛ asase fapem,

na ntease mu na ɔde ɔsoro tim hɔ.

20Efi ne nimdeɛ mu na ɔkyekyɛɛ ebun mu,

na omununkum nso tɔɔ obosu.

21Me ba, fa atemmu pa ne nhumu sie,

na mma emfi wʼani so;

22ɛbɛyɛ nkwa ama wo,

nnwinne a ɛma wo kɔn anuonyam wie pɛyɛ.

23Afei wo kwan so bɛyɛ wo dwoodwoo,

na wo nan renhintiw;

24sɛ woda a worensuro;

sɛ woda a wʼani bekum.

25Nsuro mpofirim amanehunu

anaa ɔsɛe a ɛba amumɔyɛfo so,

26efisɛ Awurade bɛwɔ wʼafa

na ɔbɛkora wo nan afi afiri mu.

27Mfa ade pa nkame wɔn a wɔfata,

bere a tumi wɔ wo nsam.

28Nka nkyerɛ wo yɔnko se:

“Kɔ na bra; mede bɛma wo ɔkyena”

wɔ bere a wowɔ no saa bere no.

29Mpam ɔhaw mma wo yɔnko

bere a ɔne wo te yiye.

30Mmɔ obi sobo kwa

bere a ɔnyɛɛ wo bɔne biara ɛ.

31Mma wʼani mmere basabasayɛfo,

na mfa nʼakwan no mu biara,

32efisɛ Awurade kyi basabasayɛfo

na ɔde ne werɛ hyɛ ɔtreneeni mu.

33Awurade nnome wɔ omumɔyɛfo fi so,

na ohyira ɔtreneeni fi.

34Odi fɛwdifo a wɔyɛ ahantan no ho fɛw,

na ɔdom ahobrɛasefo ne wɔn a wɔhyɛ wɔn so no.

35Anyansafo benya anuonyam adi,

nanso nkwaseafo de, ɔma wɔn anim gu ase.

Hindi Contemporary Version

सूक्ति संग्रह 3:1-35

बुद्धि से भलाई

1मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना,

मेरे आदेशों को अपने हृदय में रखे रहना,

2क्योंकि इनसे तेरी आयु वर्षों वर्ष बढ़ेगी

और ये तुझे शांति और समृद्धि दिलाएंगे.

3प्रेम और ईमानदारी तुमसे कभी अलग न हो;

इन्हें अपने कण्ठ का हार बना लो,

इन्हें अपने हृदय-पटल पर लिख लो.

4इसका परिणाम यह होगा कि तुम्हें परमेश्वर

तथा मनुष्यों की ओर से प्रतिष्ठा तथा अति सफलता प्राप्‍त होगी.

5याहवेह पर अपने संपूर्ण हृदय से भरोसा करना,

स्वयं अपनी ही समझ का सहारा न लेना;

6अपने समस्त कार्य में याहवेह को मान्यता देना,

वह तुम्हारे मार्गों में तुम्हें स्मरण करेंगे.

7अपनी ही दृष्टि में स्वयं को बुद्धिमान न मानना;

याहवेह के प्रति भय मानना, और बुराई से अलग रहना.

8इससे तुम्हारी देह पुष्ट

और तुम्हारी अस्थियां सशक्त बनी रहेंगी.

9अपनी संपत्ति के द्वारा,

अपनी उपज के प्रथम उपज के द्वारा याहवेह का सम्मान करना;

10तब तुम्हारे भंडार विपुलता से भर जाएंगे,

और तुम्हारे कुंडों में द्राक्षारस छलकता रहेगा.

11मेरे पुत्र, याहवेह के अनुशासन का तिरस्कार न करना,

और न उनकी डांट पर बुरा मानना,

12क्योंकि याहवेह उसे ही डांटते हैं, जिससे उन्हें प्रेम होता है,

उसी पुत्र के जैसे, जिससे पिता प्रेम करता है.

13धन्य है वह, जिसने ज्ञान प्राप्‍त कर ली है,

और वह, जिसने समझ को अपना लिया है,

14क्योंकि इससे प्राप्‍त बुद्धि, चांदी से प्राप्‍त बुद्धि से सर्वोत्तम होती है

और उससे प्राप्‍त लाभ विशुद्ध स्वर्ण से उत्तम.

15ज्ञान रत्नों से कहीं अधिक मूल्यवान है;

आपकी लालसा की किसी भी वस्तु से उसकी तुलना नहीं की जा सकती.

16अपने दायें हाथ में वह दीर्घायु थामे हुए है;

और बायें हाथ में समृद्धि और प्रतिष्ठा.

17उसके मार्ग आनन्द-दायक मार्ग हैं,

और उसके सभी मार्गों में शांति है.

18जो उसे अपना लेते हैं, उनके लिए वह जीवन वृक्ष प्रमाणित होता है;

जो उसे छोड़ते नहीं, वे धन्य होते हैं.

19याहवेह द्वारा ज्ञान में पृथ्वी की नींव रखी गई,

बड़ी समझ के साथ उन्होंने आकाशमंडल की स्थापना की है;

20उनके ज्ञान के द्वारा ही महासागर में गहरे सोते फूट पड़े,

और मेघों ने ओस वृष्टि प्रारंभ की.

21मेरे पुत्र इन्हें कभी ओझल न होने देना,

विशुद्ध बुद्धि और निर्णय-बुद्धि;

22ये तुम्हारे प्राणों के लिए संजीवनी सिद्ध होंगे

और तुम्हारे कण्ठ के लिए हार.

23तब तुम सुरक्षा में अपने मार्ग में आगे बढ़ते जाओगे,

और तुम्हारे पांवों में कभी ठोकर न लगेगी.

24जब तुम बिछौने पर जाओगे तो निर्भय रहोगे;

नींद तुम्हें आएगी और वह नींद सुखद नींद होगी.

25मेरे पुत्र, अचानक आनेवाले आतंक अथवा दुर्जनों पर

टूट पड़ी विपत्ति को देख भयभीत न हो जाना,

26क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा याहवेह में होगी,

वही तुम्हारे पैर को फंदे में फंसने से बचा लेंगे.

27यदि तुममें भला करने की शक्ति है और किसी को इसकी आवश्यकता है,

तो भला करने में आनाकानी न करना.

28यदि तुम्हारे पास कुछ है, जिसकी तुम्हारे पड़ोसी को आवश्यकता है,

तो उससे यह न कहना, “अभी जाओ, फिर आना;

कल यह मैं तुम्हें दे दूंगा.”

29अपने पड़ोसी के विरुद्ध बुरी युक्ति की योजना न बांधना,

तुम पर विश्वास करते हुए उसने तुम्हारे पड़ोस में रहना उपयुक्त समझा है.

30यदि किसी ने तुम्हारा कोई नुकसान नहीं किया है,

तो उसके साथ अकारण झगड़ा प्रारंभ न करना.

31न तो हिंसक व्यक्ति से ईर्ष्या करो

और न उसकी जीवनशैली को अपनाओ.

32कुटिल व्यक्ति याहवेह के लिए घृणास्पद है

किंतु धर्मी उनके विश्वासपात्र हैं.

33दुष्ट का परिवार याहवेह द्वारा शापित होता है,

किंतु धर्मी के घर पर उनकी कृपादृष्टि बनी रहती है.

34वह स्वयं ठट्ठा करनेवालों का उपहास करते हैं

किंतु दीन जन उनके अनुग्रह के पात्र होते हैं.

35ज्ञानमान लोग सम्मान पाएंगे,

किंतु मूर्ख लज्जित होते जाएंगे.