स्तोत्र 89:9-13
उमड़ता सागर आपके नियंत्रण में है;
जब इसकी लहरें उग्र होने लगती हैं, आप उन्हें शांत कर देते हैं.
आपने ही विकराल जल जंतु रहब को ऐसे कुचल डाला मानो वह एक खोखला शव हो;
यह आपका ही भुजबल था, कि आपने अपने शत्रुओं को पछाड़ दिया.
स्वर्ग के स्वामी आप हैं तथा पृथ्वी भी आपकी ही है;
आपने ही संसार संस्थापित किया और वह सब भी बनाया जो, संसार में है.
उत्तर दिशा आपकी रचना है और दक्षिण दिशा भी;
आपकी महिमा में ताबोर और हरमोन पर्वत उल्लास में गाने लगते हैं.
सामर्थ्य आपकी भुजा में व्याप्त है;
बलवंत है आपका हाथ तथा प्रबल है आपका दायां हाथ.