स्तोत्र 74:18-23 HCV

स्तोत्र 74:18-23

याहवेह, स्मरण कीजिए शत्रु ने कैसे आपका उपहास किया था,

कैसे मूर्खों ने आपकी निंदा की थी.

अपने कबूतरी का जीवन हिंसक पशुओं के हाथ में न छोड़िए;

अपनी पीड़ित प्रजा के जीवन को सदा के लिए भूल न जाइए.

अपनी वाचा की लाज रख लीजिए,

क्योंकि देश के अंधकारमय स्थान हिंसा के अड्डे बन गए हैं.

दमित प्रजा को लज्जित होकर लौटना न पड़े;

कि दरिद्र और दुःखी आपका गुणगान करें.

परमेश्वर, उठ जाइए और अपने पक्ष की रक्षा कीजिए;

स्मरण कीजिए कि मूर्ख कैसे निरंतर आपका उपहास करते रहे हैं.

अपने विरोधियों के आक्रोश की अनदेखी न कीजिए,

आपके शत्रुओं का वह कोलाहल, जो निरंतर बढ़ता जा रहा है.

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