स्तोत्र 40:1-8 HCV

स्तोत्र 40:1-8

स्तोत्र 40

संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र.

मैं धैर्यपूर्वक याहवेह की प्रतीक्षा करता रहा;

उन्होंने मेरी ओर झुककर मेरा रोना सुना.

उन्होंने मुझे सत्यानाश के गड्ढे में से बचा लिया,

दलदल और कीच के गड्ढे से निकाला;

उन्होंने मुझे एक चट्टान पर ले जा खड़ा कर दिया

अब मेरे पांव स्थिर स्थान पर है.

उन्होंने मुझे हमारे परमेश्वर के स्तवन में,

एक नए गीत को सिखाया.

अनेक यह देखेंगे, श्रद्धा से भयभीत हो जाएंगे

और याहवेह में विश्वास करेंगे.

धन्य है वह पुरुष,

जो याहवेह पर भरोसा रखता है,

जो अभिमानियों से कोई आशा नहीं रखता, अथवा उनसे,

जो झूठे देवताओं की शरण में हैं.

याहवेह, मेरे परमेश्वर,

आपके द्वारा किए गए चमत्कार चिन्ह अनेक-अनेक हैं,

और हमारे लिए आपके द्वारा योजित योजनाएं.

आपके तुल्य कोई भी नहीं है;

यदि मैं उनका वर्णन करना प्रारंभ भी करूं,

तो उनके असंख्य होने के कारण उनकी गिनती करना असंभव होगा.

आपको बलि और भेंट की कोई अभिलाषा नहीं,

किंतु आपने मेरे कान खोल दिए.

आपने अग्निबलि और पापबलि की भी चाहत नहीं की.

तब मैंने यह कहा, “देखिए मैं आ रहा हूं;

पुस्तिका में यह मेरे ही विषय में लिखा है.

मेरे परमेश्वर, मुझे प्रिय है आपकी ही इच्छापूर्ति;

आपकी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है.”

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