स्तोत्र 19:1-6 HCV

स्तोत्र 19:1-6

स्तोत्र 19

संगीत निर्देशक के लिये. दावीद का एक स्तोत्र.

स्वर्ग परमेश्वर की महिमा को प्रगट करता है;

अंतरीक्ष उनकी हस्तकृति का प्रघोषण करता है.

हर एक दिन आगामी दिन से इस विषय में वार्तालाप करता है;

हर एक रात्रि आगामी रात्रि को ज्ञान की शक्ति प्रगट करती है.

इस प्रक्रिया में न तो कोई बोली है, न ही कोई शब्द;

यहां तक कि इसमें कोई आवाज़ भी नहीं है.

इनका स्वर संपूर्ण पृथ्वी पर गूंजता रहता है,

इनका संदेश पृथ्वी के छोर तक जा पहुंचता है.

परमेश्वर ने स्वर्ग में सूर्य के लिए एक मंडप तैयार किया है.

और सूर्य एक वर के समान है, जो अपने मंडप से बाहर आ रहा है,

एक बड़े शूरवीर के समान, जिसके लिए दौड़ एक आनन्दप्रदायी कृत्य है.

वह आकाश के एक सिरे से उदय होता है,

तथा दूसरे सिरे तक चक्कर मारता है;

उसके ताप से कुछ भी छुपा नहीं रहता.

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