स्तोत्र 140:6-13 HCV

स्तोत्र 140:6-13

मैं याहवेह से कहता हूं, “आप ही मेरे परमेश्वर हैं.”

याहवेह, कृपा करके मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए.

याहवेह, मेरे प्रभु, आप ही मेरे उद्धार का बल हैं,

युद्ध के समय आप ही मेरे सिर का आवरण बने.

दुष्टों की अभिलाषा पूर्ण न होने दें, याहवेह;

उनकी बुरी युक्ति आगे बढ़ने न पाए अन्यथा वे गर्व में ऊंचे हो जाएंगे.

जिन्होंने इस समय मुझे घेरा हुआ है;

उनके होंठों द्वारा उत्पन्‍न कार्य उन्हीं के सिर पर आ पड़े.

उनके ऊपर जलते हुए कोयलों की वृष्टि हो;

वे आग में फेंक दिए जाएं,

वे दलदल के गड्ढे में डाल दिए जाएं, कि वे उससे बाहर ही न निकल सकें.

निंदक इस भूमि पर अपने पैर ही न जमा सकें;

हिंसक पुरुष अति शीघ्र बुराई द्वारा पकड़े जाएं.

मैं जानता हूं कि याहवेह दुखित का पक्ष अवश्य लेंगे

तथा दीन को न्याय भी दिलाएंगे.

निश्चयतः धर्मी आपके नाम का आभार मानेंगे,

सीधे आपकी उपस्थिति में निवास करेंगे.

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