स्तोत्र 127:1-5 HCV

स्तोत्र 127:1-5

स्तोत्र 127

आराधना के लिए यात्रियों का गीत. शलोमोन की रचना.

यदि गृह-निर्माण याहवेह द्वारा न किया गया हो तो,

श्रमिकों का परिश्रम निरर्थक होता है.

यदि नगर की सुरक्षा याहवेह न करें,

तो रखवाले द्वारा की गई चौकसी व्यर्थ होती है.

तुम्हारा सुबह जाग उठना

देर तक जागे रहना,

संकटपूर्ण श्रम का भोजन करना व्यर्थ है;

क्योंकि याहवेह द्वारा नींद का अनुदान उनके लिए है, जिनसे वह प्रेम करते हैं.

संतान याहवेह के दिए हुए निज भाग होते हैं,

तथा बालक उनका दिया हुआ उपहार.

युवावस्था में उत्पन्‍न हुई संतान वैसी ही होती है,

जैसे योद्धा के हाथों में बाण.

कैसा धन्य होता है वह पुरुष,

जिसका तरकश इन बाणों से भरा हुआ है!

नगर द्वार पर शत्रुओं का प्रतिकार करते हुए

उन्हें लज्जित नहीं होना पड़ेगा.

Read More of स्तोत्र 127