स्तोत्र 119:113-120 HCV

स्तोत्र 119:113-120

दुविधा से ग्रस्त मन का पुरुष मेरे लिए घृणास्पद है,

मुझे प्रिय है आपकी व्यवस्था.

आप मेरे आश्रय हैं, मेरी ढाल हैं;

मेरी आशा का आधार है आपका वचन.

अधर्मियो, दूर रहो मुझसे,

कि मैं परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सकूं!

याहवेह, अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे सम्भालिए, कि मैं जीवित रहूं;

मेरी आशा भंग न होने पाए.

मुझे थाम लीजिए कि मैं सुरक्षित रहूं;

मैं सदैव आपकी विधियों पर भरोसा करता रहूंगा.

वे सभी, जो आपके नियमों से भटक जाते हैं, आपकी उपेक्षा के पात्र हो जाते हैं,

क्योंकि निरर्थक होती है उनकी चालाकी.

संसार के सभी दुष्टों को आप मैल के समान फेंक देते हैं;

यही कारण है कि मुझे आपकी चेतावनियां प्रिय हैं.

आपके भय से मेरी देह कांप जाती है;

आपके निर्णयों का विचार मुझमें भय का संचार कर देता है.

ע अयिन

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