स्तोत्र 103:13-22 HCV

स्तोत्र 103:13-22

जैसे पिता की मनोहरता उसकी संतान पर होती है,

वैसे ही याहवेह की मनोहरता उनके श्रद्धालुओं पर स्थिर रहती है;

क्योंकि उन्हें हमारी सृष्टि ज्ञात है,

उन्हें स्मरण रहता है कि हम मात्र धूल ही हैं.

मनुष्य से संबंधित बातें यह है, कि उसका जीवन घास समान है,

वह मैदान के पुष्प समान खिलता है,

उस पर उष्ण हवा का प्रवाह होता है और वह नष्ट हो जाता है,

किसी को यह स्मरण तक नहीं रह जाता, कि पुष्प किस स्थान पर खिला था,

किंतु याहवेह का करुणा-प्रेम उनके श्रद्धालुओं

पर अनादि से अनंत तक,

तथा परमेश्वर की धार्मिकता उनकी संतान की संतान पर स्थिर बनी रहती है.

जो उनकी वाचा का पालन करते

तथा उनके आदेशों का पालन करना याद रखते हैं.

याहवेह ने अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थापित किया है,

समस्त बनाई वस्तुओं पर उनका शासन है.

तुम, जो उनके स्वर्गदूत हो, याहवेह का स्तवन करो,

तुम जो शक्तिशाली हो, तुम उनके आदेशों का पालन करते हो,

उनके मुख से निकले वचन को पूर्ण करते हो.

स्वर्ग की संपूर्ण सेना और तुम, जो उनके सेवक हो,

और जो उनकी इच्छा की पूर्ति करते हो, याहवेह का स्तवन करो.

उनकी समस्त सृष्टि, जो समस्त रचना में व्याप्‍त हैं,

याहवेह का स्तवन करें.

मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो.

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