सूक्ति संग्रह 24:5-14 HCV

सूक्ति संग्रह 24:5-14

बाईसवां सूत्र

ज्ञानवान व्यक्ति शक्तिमान व्यक्ति होता है,

विद्वान अपनी शक्ति में वृद्धि करता जाता है.

क्योंकि कुशल दिशा-निर्देश के द्वारा ही युद्ध में तुम आक्रमण कर सकते हो,

अनेक परामर्शदाताओं के परामर्श से विजय सुनिश्चित हो जाती है.

तेईसवां सूत्र

मूर्ख के लिए ज्ञान पहुंच के बाहर होता है;

बुद्धिमानों की सभा में वह चुप रह जाता है.

चौबीसवां सूत्र

वह, जो अनर्थ की युक्ति करता है

वह षड़्‍यंत्रकारी के रूप में कुख्यात हो जाता है.

मूर्खतापूर्ण योजना वस्तुतः पाप ही है,

और ज्ञान का ठट्ठा करनेवाला सभी के लिए तिरस्कार बन जाता है.

पच्चीसवां सूत्र

कठिन परिस्थिति में तुम्हारा हताश होना

तुम्हारी सीमित शक्ति का कारण है.

जिन्हें मृत्यु दंड के लिए ले जाया जा रहा है, उन्हें विमुक्त कर दो;

और वे, जो लड़खड़ाते पैरों से अपने ही वध की ओर बढ़ रहे हैं, उन्हें वहीं रोक लो.

यदि तुम यह कहो, “देखिए, इस विषय में हमें तो कुछ भी ज्ञात नहीं था.”

क्या वे, परमेश्वर जो मन को जांचनेवाले हैं, यह सब नहीं समझते?

क्या उन्हें, जो तुम्हारे जीवन के रक्षक हैं, यह ज्ञात नहीं?

क्या वह सभी को उनके कार्यों के अनुरूप प्रतिफल न देंगे?

छब्बीसवां सूत्र

मेरे प्रिय बालक, मधु का सेवन करो क्योंकि यह भला है;

छत्ते से टपकता हुआ मधु स्वादिष्ट होता है.

यह भी समझ लो, कि तुम्हारे जीवन में ज्ञान भी ऐसी ही है:

यदि तुम इसे अपना लोगे तो उज्जवल होगा तुम्हारा भविष्य,

और तुम्हारी आशाएं अपूर्ण न रह जाएंगी.

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