सूक्ति संग्रह 23:19-28 HCV

सूक्ति संग्रह 23:19-28

सोलहवां सूत्र

मेरे बालक, मेरी सुनकर विद्वत्ता प्राप्‍त करो,

अपने हृदय को सुमार्ग के प्रति समर्पित कर दो:

उनकी संगति में न रहना, जो मद्यपि हैं

और न उनकी संगति में, जो पेटू हैं.

क्योंकि मतवालों और पेटुओं की नियति गरीबी है,

और अति नींद उन्हें चिथड़े पहनने की स्थिति में ले आती है.

सत्रहवां सूत्र

अपने पिता की शिक्षाओं को ध्यान में रखना, वह तुम्हारे जनक है,

और अपनी माता के वयोवृद्ध होने पर उन्हें तुच्छ न समझना.

सत्य को मोल लो, किंतु फिर इसका विक्रय न करना;

ज्ञान, अनुशासन तथा समझ संग्रहीत करते जाओ.

सबसे अधिक उल्‍लसित व्यक्ति होता है धर्मी व्यक्ति का पिता;

जिसने बुद्धिमान पुत्र को जन्म दिया है, वह पुत्र उसके आनंद का विषय होता है.

वही करो कि तुम्हारे माता-पिता आनंदित रहें;

एवं तुम्हारी जननी उल्‍लसित.

अठारहवां सूत्र

मेरे पुत्र, अपना हृदय मुझे दे दो;

तुम्हारे नेत्र मेरी जीवनशैली का ध्यान करते रहें,

वेश्या एक गहरा गड्ढा होती है,

पराई स्त्री एक संकरा कुंआ है.

वह डाकू के समान ताक लगाए बैठी रहती है

इसमें वह मनुष्यों में विश्‍वासघातियों की संख्या में वृद्धि में योग देती जाती है.

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