सूक्ति संग्रह 20:5-14
मनुष्य के मन में निहित युक्तियां गहरे सागर समान होती हैं,
ज्ञानवान ही उन्हें निकाल बाहर ला सकता है.
अनेक अपने उत्कृष्ट प्रेम का दावा करते हुए खड़े हो जाएंगे,
किंतु एक सच्चा व्यक्ति किसे प्राप्त होता है?
धर्मी जन निष्कलंक जीवन जीता है;
उसके बाद आनेवाली संतानें धन्य हैं.
न्याय-सिंहासन पर विराजमान राजा मात्र
अपनी दृष्टि ही से बुराई को भांप लेता है.
कौन यह दावा कर सकता है, “मैंने अपने हृदय को पवित्र कर लिया है;
मैं पाप से शुद्ध हो चुका हूं”?
याहवेह के समक्ष असमान तुला
और असमान माप घृणास्पद हैं.
एक किशोर के लिए भी यह संभव है, कि वह अपने चालचलन द्वारा अपनी विशेषता के लक्षण प्रकट कर दे,
कि उसकी गतिविधि शुद्धता तथा पवित्रता की ओर है अथवा नहीं?
वे कान, जो सुनने के लिए, तथा वे नेत्र, जो देखने के लिए निर्धारित किए गए हैं,
याहवेह द्वारा निर्मित हैं.
नींद का मोह तुम्हें गरीबी में डुबो देगा;
अपने नेत्र खुले रखो कि तुम्हारे पास भोजन की भरपूरी रहे.
ग्राहक तो विक्रेता से यह अवश्य कहता है, “अच्छी नहीं है यह सामग्री!”
किंतु वहां से लौटकर वह अन्यों के समक्ष अपनी उत्कृष्ट खरीद की बड़ाई करता है.