सूक्ति संग्रह 20:15-24 HCV

सूक्ति संग्रह 20:15-24

स्वर्ण और मूंगे की कोई कमी नहीं है,

दुर्लभ रत्नों के समान दुर्लभ हैं ज्ञान के उद्गार.

जो किसी अनजान के ऋण की ज़मानत देता है, वह अपने वस्त्र तक गंवा बैठता है;

जब कोई अनजान व्यक्तियों की ज़मानत लेने लगे, तब प्रतिभूति सुरक्षा में उसका वस्त्र भी रख ले.

छल से प्राप्‍त किया गया भोजन उस व्यक्ति को बड़ा स्वादिष्ट लगता है,

किंतु अंत में वह पाता है कि उसका मुख कंकड़ों से भर गया है.

किसी भी योजना की सिद्धि का मर्म है सुसंगत परामर्श;

तब युद्ध के पूर्व उपयुक्त निर्देश प्राप्‍त कर रखो.

कानाफूसी आत्मविश्वास को धोखा देती है;

तब ऐसे बकवादी की संगति से दूर रहना ही भला है.

जो अपने पिता और अपनी माता को शाप देता है,

उसका दीपक घोर अंधकार की स्थिति में ही बुझ जाएगा.

प्रारंभ में सरलतापूर्वक और शीघ्रता से

प्राप्‍त की हुई संपत्ति अंततः सुखदायक नहीं होती.

मत कहो, “मैं इस अन्याय का प्रतिशोध अवश्य लूंगा!”

याहवेह के निर्धारित अवसर की प्रतीक्षा करो, वही तुम्हारा छुटकारा करेंगे.

असमान माप याहवेह के समक्ष घृणास्पद,

तथा छलपूर्ण तुलामान कुटिलता है.

जब मनुष्य का चलना याहवेह द्वारा ठहराया जाता है,

तब यह कैसे संभव है कि हम अपनी गतिविधियों को स्वयं समझ सकें?

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