सूक्ति संग्रह 19:13-22 HCV

सूक्ति संग्रह 19:13-22

मूर्ख संतान पिता के विनाश का कारक होती है,

और झगड़ालू पत्नी नित

टपक रहे जल समान.

घर और संपत्ति पूर्वजों का धन होता है,

किंतु बुद्धिमती पत्नी याहवेह की ओर से प्राप्‍त होती है.

आलस्य का परिणाम होता है गहन नींद,

ढीला व्यक्ति भूखा रह जाता है.

वह, जो आदेशों को मानता है, अपने ही जीवन की रक्षा करता है,

किंतु जो अपने चालचलन के विषय में असावधान रहता है, मृत्यु अपना लेता है.

वह, जो निर्धनों के प्रति उदार मन का है, मानो याहवेह को ऋण देता है;

याहवेह उसे उत्तम प्रतिफल प्रदान करेंगे.

यथासंभव अपनी संतान पर अनुशासन रखो उसी में तुम्हारी आशा निहित है;

किंतु ताड़ना इस सीमा तक न की जाए, कि इसमें उसकी मृत्यु ही हो जाए.

अति क्रोधी व्यक्ति को इसका दंड भोगना होता है;

यदि तुम उसे दंड से बचाओगे तो तुम समस्त प्रक्रिया को दोहराते रहोगे.

परामर्श पर विचार करते रहो और निर्देश स्वीकार करो,

कि तुम उत्तरोत्तर बुद्धिमान होते जाओ.

मनुष्य के मन में अनेक-अनेक योजनाएं उत्पन्‍न होती रहती हैं,

किंतु अंततः याहवेह का उद्देश्य ही पूरा होता है.

मनुष्य में खराई की अपेक्षा की जाती है;

तथा झूठ बोलनेवाले की अपेक्षा निर्धन अधिक उत्तम है.

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