सूक्ति संग्रह 18:7-16 HCV

सूक्ति संग्रह 18:7-16

मूर्खों के मुख ही उनके विनाश का हेतु होता हैं,

उनके ओंठ उनके प्राणों के लिए फंदा सिद्ध होते हैं.

फुसफुसाहट में उच्चारे गए शब्द स्वादिष्ट भोजन-समान होते हैं;

ये शब्द मनुष्य के पेट में समा जाते हैं.

जो कोई अपने निर्धारित कार्य के प्रति आलसी है

वह विध्वंसक व्यक्ति का भाई होता है.

याहवेह का नाम एक सुदृढ़ मीनार समान है;

धर्मी दौड़कर इसमें छिप जाता और सुरक्षित बना रहता है.

धनी व्यक्ति के लिए उसका धन एक गढ़ के समान होता है;

उनको लगता हैं कि उस पर चढ़ना मुश्किल है!

इसके पूर्व कि किसी मनुष्य पर विनाश का प्रहार हो, उसका हृदय घमंडी हो जाता है,

पर आदर मिलने के पहले मनुष्य नम्र होता है!

यदि कोई ठीक से सुने बिना ही उत्तर देने लगे,

तो यह मूर्खता और लज्जा की स्थिति होती है.

रुग्ण अवस्था में मनुष्य का मनोबल उसे संभाले रहता है,

किंतु टूटे हृदय को कौन सह सकता है?

बुद्धिमान मस्तिष्क वह है, जो ज्ञान प्राप्‍त करता रहता है.

बुद्धिमान का कान ज्ञान की खोज करता रहता है.

उपहार उसके देनेवाले के लिए मार्ग खोलता है,

जिससे उसका महान व्यक्तियों के पास प्रवेश संभव हो जाता है.

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