सूक्ति संग्रह 15:11-20 HCV

सूक्ति संग्रह 15:11-20

जब मृत्यु और विनाश याहवेह के समक्ष खुली पुस्तक-समान हैं,

तो मनुष्य के हृदय कितने अधिक स्पष्ट न होंगे!

हंसी मजाक करनेवाले को डांट पसंद नहीं है,

इसलिए वे ज्ञानी से दूर रखते हैं.

प्रसन्‍न हृदय मुखमंडल को भी आकर्षक बना देता है,

किंतु दुःखित हृदय आत्मा तक को निराश कर देता है.

विवेकशील हृदय ज्ञान की खोज करता रहता है,

किंतु मूर्खों का वार्तालाप उत्तरोत्तर मूर्खता विकसित करता है.

गरीबी-पीड़ित के सभी दिन क्लेशपूर्ण होते हैं,

किंतु उल्‍लसित हृदय के कारण प्रतिदिन उत्सव सा आनंद रहता है.

याहवेह के प्रति श्रद्धा में सीमित धन ही उत्तम होता है,

इसकी अपेक्षा कि अपार संपदा के साथ विपत्तियां भी संलग्न हों.

प्रेमपूर्ण वातावरण में मात्र सादा साग का भोजन ही उपयुक्त होता है,

इसकी अपेक्षा कि अनेक व्यंजनों का आमिष भोज घृणा के साथ परोसा जाए.

क्रोधी स्वभाव का व्यक्ति कलह उत्पन्‍न करता है,

किंतु क्रोध में विलंबी व्यक्ति कलह को शांत कर देता है.

मूर्खों की जीवनशैली कंटीली झाड़ी के समान होती है,

किंतु धर्मी के जीवन का मार्ग सीधे-समतल राजमार्ग समान होता है.

बुद्धिमान पुत्र अपने पिता के लिए आनंद एवं गर्व का विषय होता है,

किंतु मूर्ख होता है वह, जिसे अपनी माता से घृणा होती है.

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