सूक्ति संग्रह 14:25-35 HCV

सूक्ति संग्रह 14:25-35

सच्चा साक्षी अनेकों के जीवन को सुरक्षित रखता है,

किंतु झूठा गवाह धोखेबाज है.

जिसके हृदय में याहवेह के प्रति श्रद्धा होती है, उसे दृढ़ गढ़ प्राप्‍त हो जाता है,

उसकी संतान सदैव सुरक्षित रहेगी.

याहवेह के प्रति श्रद्धा ही जीवन का सोता है,

उससे मानव मृत्यु के द्वारा बिछाए गए जाल से बचता जाएगा.

प्रजा की विशाल जनसंख्या राजा के लिए गौरव का विषय होती है,

किंतु प्रजा के अभाव में प्रशासक नगण्य रह जाता है.

वह बुद्धिमान ही होता है, जिसका अपने क्रोधावेग पर नियंत्रण होता है,

किंतु जिसे शीघ्र ही क्रोध आ जाता है, वह मूर्खता की वृद्धि करता है.

शांत हृदय देह के लिए संजीवनी सिद्ध होता है,

किंतु ईर्ष्या अस्थियों में लगे घुन-समान है.

वह, जो निर्धन को उत्पीड़ित करता है, उसके सृजनहार को अपमानित करता है,

किंतु वह, जो निर्धन के प्रति उदारता प्रदर्शित करता है, उसके सृजनहार को सम्मानित करता है.

दुष्ट के विनाश का कारण उसी के कुकृत्य होते हैं,

किंतु धर्मी अपनी मृत्यु के अवसर पर निराश्रित नहीं छूट जाता.

बुद्धिमान व्यक्ति के हृदय में ज्ञान का निवास होता है,

किंतु मूर्खों के हृदय में ज्ञान गुनहगार अवस्था में रख दिया जाता है.

धार्मिकता ही राष्ट्र को उन्‍नत बनाती है,

किंतु किसी भी समाज के लिए पाप निंदनीय ही होता है.

चतुर सेवक राजा का प्रिय पात्र होता है,

किंतु वह सेवक, जो लज्जास्पद काम करता है, राजा का कोप को भड़काता है.

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