सूक्ति संग्रह 13:20-25, सूक्ति संग्रह 14:1-4 HCV

सूक्ति संग्रह 13:20-25

वह, जो ज्ञानवान की संगति में रहता है, ज्ञानवान हो जाता है,

किंतु मूर्खों के साथियों को हानि का सामना करना होगा.

विपत्ति पापियों के पीछे लगी रहती है,

किंतु धर्मी का प्रतिफल होता है कल्याण.

सज्जन संतान की संतान के लिए धन छोड़ जाता है,

किंतु पापियों की निधि धर्मी को प्राप्‍त होती है.

यह संभव है कि साधारण किसान की भूमि उत्तम उपज लाए,

किंतु अन्यायी उसे हड़प लेता है.

जो पिता अपने पुत्र को दंड नहीं देता, उसे अपने पुत्र से प्रेम नहीं है,

किंतु जिसे अपने पुत्र से प्रेम है, वह बड़ी सावधानीपूर्वक उसे अनुशासन में रखता है.

धर्मी को उसकी भूख मिटाने के लिए पर्याप्‍त भोजन रहता है,

किंतु दुष्ट सदैव अतृप्‍त ही बने रहते हैं.

Read More of सूक्ति संग्रह 13

सूक्ति संग्रह 14:1-4

बुद्धिमान स्त्री एक सशक्त परिवार का निर्माण करती है,

किंतु मूर्ख अपने ही हाथों से उसे नष्ट कर देती है.

जिस किसी के जीवन में याहवेह के प्रति श्रद्धा है, उसके जीवन में सच्चाई है;

परंतु वह जो प्रभु को तुच्छ समझता है, उसका आचरण छल से भरा हुआ है!

मूर्ख के मुख से निकले शब्द ही उसके दंड के कारक बन जाते हैं,

किंतु बुद्धिमानों के होंठों से निकले शब्द उनकी रक्षा करते हैं.

जहां बैल ही नहीं हैं, वहां गौशाला स्वच्छ रहती है,

किंतु बैलों की शक्ति से ही धन की भरपूरी निहित है.

Read More of सूक्ति संग्रह 14