सूक्ति संग्रह 11:29-31
जो कोई अपने परिवार की विपत्ति का कारण होता है, वह केवल हवा का वारिस होगा,
मूर्ख को कुशाग्रबुद्धि के व्यक्ति के अधीन ही सेवा करनी पड़ती है.
धर्मी का प्रतिफल है जीवन वृक्ष और ज्ञानवान है वह,
जो आत्माओं का विजेता है.
यदि पार्थिव जीवन में ही धर्मी को उसके सत्कर्मों का प्रतिफल प्राप्त हो जाता है,
तो दुष्टों और पापियों को क्यों नहीं!
सूक्ति संग्रह 12:1-7
अनुशासन प्रिय व्यक्ति को बुद्धिमता से प्रेम है,
किंतु मूर्ख होता है वह, जिसे अप्रिय होती है सुधारना.
धर्मी व्यक्ति को याहवेह की कृपादृष्टि प्राप्त हो जाती है,
किंतु जो दुष्कर्म की युक्ति करता रहता है, उसके लिए याहवेह का दंड नियत है.
किसी को स्थिर करने में दुष्टता कोई भी योग नहीं देती,
किंतु धर्मी के मूल को कभी उखाड़ा नहीं जा सकता.
अच्छे चाल-चलनवाली पत्नी अपने पति का शिरोमणि होती है, किंतु वह पत्नी,
जो पति के लिए लज्जा का विषय है, मानो पति की अस्थियों में लगा रोग है.
धर्मी की धारणाएं न्याय संगत होती हैं,
किंतु दुष्ट व्यक्ति के परामर्श छल-कपट पूर्ण होते हैं.
दुष्ट व्यक्ति के शब्द ही रक्तपात के लिए उच्चारे जाते हैं.
किंतु सज्जन व्यक्ति की बातें लोगों को छुड़ाने वाली होती हैं.
बुराइयां उखाड़ फेंकी जाती हैं और उनकी स्मृति भी शेष नहीं रहती,
किंतु धार्मिक का परिवार स्थिर खड़ा रहता है.