विलापगीत 3:40-66
आइए हम अपनी नीतियों का परीक्षण करें
तथा अपने याहवेह की ओर लौट चलें:
आइए हम अपने हृदय एवं अपनी बांहें परमेश्वर की ओर उन्मुख करें
तथा अपने हाथ स्वर्गिक परमेश्वर की ओर उठाएं:
“हमने अपराध किए हैं, हम विद्रोही हैं,
आपने हमें क्षमा प्रदान नहीं की है.
“आपने स्वयं को कोप में भरकर हमारा पीछा किया;
निर्दयतापूर्वक हत्यायें की हैं.
आपने स्वयं को एक मेघ में लपेट रखा है,
कि कोई भी प्रार्थना इससे होकर आप तक न पहुंच सके.
आपने हमें राष्ट्रों के मध्य कीट
तथा कूड़ा बना छोड़ा है.
“हमारे सभी शत्रु बेझिझक
हमारे विरुद्ध निंदा के शब्द उच्चार रहे हैं.
आतंक, जोखिम, विनाश
तथा विध्वंस हम पर आ पड़े हैं.”
मेरी प्रजा के इस विनाश के कारण
मेरे नेत्रों के अश्रुप्रवाह नदी सदृश हो गए हैं.
बिना किसी विश्रान्ति
मेरा अश्रुपात होता रहेगा,
जब तक स्वर्ग से
याहवेह इस ओर दृष्टिपात न करेंगे.
अपनी नगरी की समस्त पुत्रियों की नियति ने
मेरे नेत्रों को पीड़ित कर रखा है.
उन्होंने, जो अकारण ही मेरे शत्रु हो गए थे,
पक्षी सदृश मेरा अहेर किया है.
उन्होंने तो मुझे गड्ढे में झोंक
मुझ पर पत्थर लुढ़का दिए हैं;
जब जल सतह मेरे सिर तक पहुंचने लगी,
मैं विचार करने लगा, अब मैं मिट जाऊंगा.
गड्ढे से मैंने,
याहवेह आपकी दोहाई दी.
आपने मेरी इस दोहाई सुन ली है:
“मेरी विमुक्ति के लिए की गई मेरी पुकार की ओर से,
अपने कान बंद न कीजिए.”
जब मैंने आपकी दोहाई दी, आप निकट आ गए;
आपने आश्वासन दिया, “डरो मत.”
प्रभु आपने मेरा पक्ष लेकर;
मेरे जीवन को सुरक्षा प्रदान की है.
याहवेह, आपने वह अन्याय देख लिया है, जो मेरे साथ किया गया है.
अब आप मेरा न्याय कीजिए!
उनके द्वारा लिया गया बदला आपकी दृष्टि में है,
उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्यंत्र आपको ज्ञात हैं.
याहवेह, आपने उनके द्वारा किए गए व्यंग्य सुने हैं,
उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्यंत्र आपको ज्ञात हैं—
मेरे हत्यारों के हृदय में सारे दिन जो विचार उभरते हैं
होंठों से निकलते हैं, मेरे विरुद्ध ही होते हैं.
आप ही देख लीजिए, उनका उठना-बैठना,
मैं ही हूं उनका व्यंग्य-गीत.
याहवेह, उनके कृत्यों के अनुसार,
उन्हें प्रतिफल तो आप ही देंगे.
आप उनके हृदय पर आवरण डाल देंगे,
उन पर आपका शाप प्रभावी हो जाएगा!
याहवेह, आप अपने स्वर्गलोक से
उनका पीछा कर उन्हें नष्ट कर देंगे.
विलापगीत 4:1-22
सोना खोटा कैसे हो गया,
सोने में खोट कैसे!
हर एक गली के मोड़ पर
पवित्र पत्थर बिखरे पड़े हैं.
ज़ियोन के वे उत्कृष्ट पुत्र,
जिनका मूल्य उत्कृष्ट स्वर्ण के तुल्य है,
अब मिट्टी के पात्रों-सदृश कुम्हार की
हस्तकृति माने जा रहे हैं!
सियार अपने बच्चों को
स्तनपान कराती है,
किंतु मेरी प्रजा की पुत्री क्रूर हो चुकी है,
मरुभूमि के शुतुरमुर्गों के सदृश.
अतिशय तृष्णा के कारण दूधमुंहे शिशु की जीभ
उसके तालू से चिपक गई है;
बालक भोजन की याचना करते हैं,
किंतु कोई भी भोजन नहीं दे रहा.
जिनका आहार उत्कृष्ट भोजन हुआ करता था,
आज गलियों में नष्ट हुए जा रहे हैं.
जिनके परिधान बैंगनी वस्त्र हुआ करते थे,
आज भस्म में बैठे हुए हैं.
मेरी प्रजा की पुत्री पर पड़ा अधर्म
सोदोम के दंड से कहीं अधिक प्रचंड है,
किसी ने हाथ तक नहीं लगाया
और देखते ही देखते उसका सर्वनाश हो गया.
उस नगरी के शासक तो हिम से अधिक विशुद्ध,
दुग्ध से अधिक श्वेत थे,
उनकी देह मूंगे से अधिक गुलाबी,
उनकी देह रचना नीलम के सौंदर्य से भी अधिक उत्कृष्ट थी.
अब उन्हीं के मुखमंडल श्यामवर्ण रह गए हैं;
मार्ग चलते हुए उन्हें पहचानना संभव नहीं रहा.
उनकी त्वचा सिकुड़ कर अस्थियों से चिपक गई है;
वह काठ-सदृश शुष्क हो चुकी है.
वे ही श्रेष्ठतर कहे जाएंगे, जिनकी मृत्यु तलवार प्रहार से हुई थी,
उनकी अपेक्षा, जिनकी मृत्यु भूख से हुई;
जो घुल-घुल कर कूच कर गए
क्योंकि खेत में उपज न हो सकी थी.
ये उन करुणामयी माताओं के ही हाथ थे,
जिन्होंने अपनी ही संतान को अपना आहार बना लिया,
जब मेरी प्रजा की पुत्री विनाश के काल में थी
ये बालक उनका आहार बनाए गए थे.
याहवेह ने अपने कोप का प्रवाह पूर्णतः
निर्बाध छोड़ दिया.
उन्होंने अपना भड़का कोप उंडेल दिया और फिर उन्होंने ज़ियोन में ऐसी अग्नि प्रज्वलित कर दी,
जिसने इसकी नीवों को ही भस्म कर दिया.
न तो संसार के राजाओं को,
और न ही पृथ्वी के निवासियों को इसका विश्वास हुआ,
कि विरोधी एवं शत्रु येरूशलेम के
प्रवेश द्वारों से प्रवेश पा सकेगा.
इसका कारण था उसके भविष्यवक्ताओं के पाप
तथा उसके पुरोहितों की पापिष्ठता,
जिन्होंने नगर के मध्य ही
धर्मियों का रक्तपात किया था.
अब वे नगर की गलियों में दृष्टिहीनों-सदृश भटक रहे हैं;
वे रक्त से ऐसे दूषित हो चुके हैं
कि कोई भी उनके वस्त्रों को
स्पर्श करने का साहस नहीं कर पा रहा.
उन्हें देख लोग चिल्ला उठते है, “दूर, दूर अशुद्ध!
दूर, दूर! मत छूना उसे!”
अब वे छिपते, भागते भटक रहे हैं,
राष्ट्रों में सभी यही कहते फिरते हैं,
“अब वे हमारे मध्य में निवास नहीं कर सकते.”
उन्हें तो याहवेह ने ही इस तरह बिखरा दिया है;
अब वे याहवेह के कृपापात्र नहीं रह गए.
न तो पुरोहित ही सम्मान्य रह गए हैं,
और न ही पूर्वज किसी कृपा के योग्य.
हमारे नेत्र दृष्टिहीन हो गए,
सहायता की आशा व्यर्थ सिद्ध हुई;
हमने उस राष्ट्र से सहायता की आशा की थी,
जिसमें हमारी सहायता की क्षमता ही न थी.
उन्होंने इस रीति से हमारा पीछा करना प्रारंभ कर दिया,
कि मार्ग पर हमारा आना-जाना दूभर हो गया;
हमारी मृत्यु निकट आती गई, हमारा जीवनकाल सिमटता चला गया,
वस्तुतः हमारा जीवन समाप्त ही हो गया था.
वे, जो हमारा पीछा कर रहे थे,
उनकी गति आकाशगामी गरुड़ों से भी द्रुत थी;
उन्होंने पर्वतों तक हमारा पीछा किया
और निर्जन प्रदेश में वे हमारी घात में रहे.
याहवेह द्वारा अभिषिक्त, हमारे जीवन की सांस
उनके फन्दों में जा फंसे.
हमारा विचार तो यह रहा था,
कि उनकी छत्रछाया में हम राष्ट्रों के मध्य निवास करते रहेंगे.
एदोम की पुत्री, तुम, जो उज़ देश में निवास करती हो,
हर्षोल्लास में मगन हो जाओ.
प्याला तुम तक भी पहुंचेगा;
तुम मदोन्मत्त होकर पूर्णतः निर्वस्त्र हो जाओगी.
ज़ियोन की पुत्री, निष्पन्न हो गया तुम्हारी पापिष्ठता का दंड;
अब वह तुम्हें निर्वासन में रहने न देंगे.
किंतु एदोम की पुत्री, वह तुम्हारी पापिष्ठता को दंडित करेंगे,
वह तुम्हारे पाप प्रकट कर सार्वजनिक कर देंगे.
विलापगीत 5:1-22
याहवेह, स्मरण कीजिए हमने क्या-क्या सहा है;
हमारी निंदा पर ध्यान दीजिए.
हमारा भाग अपरिचितों को दिया गया है,
परदेशियों ने हमारे आवास अपना लिए हैं.
हम अनाथ एवं पितृहीन हो गए हैं,
हमारी माताओं की स्थिति विधवाओं के सदृश हो चुकी है.
यह आवश्यक है कि हम पेय जल के मूल्य का भुगतान करें;
जो काठ हमें दिया जाता है, उसका क्रय किया जाना अनिवार्य है.
वे जो हमारा पीछा कर रहे हैं, हमारे निकट पहुंच चुके हैं;
हम थक चुके हैं, हमें विश्राम प्राप्त न हो सका है.
पर्याप्त भोजन के लिए हमने मिस्र तथा अश्शूर
की अधीनता स्वीकार कर ली है.
पाप तो उन्होंने किए, जो हमारे पूर्वज थे, और वे कूच कर गए अब हम हैं,
जो उनकी पापिष्ठता का सम्वहन कर रहे हैं.
जो कभी हमारे दास थे, आज हमारे शासक बने हुए हैं,
कोई भी नहीं, जो हमें उनकी अधीनता से विमुक्त करे.
अपने प्राणों का जोखिम उठाकर हम अपने भोजन की व्यवस्था करते हैं,
क्योंकि निर्जन प्रदेश में तलवार हमारे पीछे लगी रहती है.
दुर्भिक्ष की ऊष्मा ने हमारी त्वचा ऐसी कालिगर्द हो गई है,
मानो यह तंदूर है.
ज़ियोन में स्त्रियां भ्रष्ट कर दी गई हैं,
यहूदिया के नगरों की कन्याएं.
शासकों को उनके हाथों से लटका दिया गया है;
पूर्वजों को कोई सम्मान नहीं दिया जा रहा.
युवाओं को चक्की चलाने के लिए बाध्य किया जा रहा है;
किशोर लट्ठों के बोझ से लड़खड़ा रहे हैं.
प्रौढ़ नगर प्रवेश द्वार से नगर छोड़ जा चुके हैं;
युवाओं का संबंध संगीत से टूट चुका है.
हमारे हृदय में अब कोई उल्लास न रहा है;
नृत्य की अभिव्यक्ति अब विलाप हो गई है.
हमारे सिर का मुकुट धूल में जा पड़ा है.
धिक्कार है हम पर, हमने पाप किया है!
परिणामस्वरूप हमारे हृदय रुग्ण हो गए हैं,
इन्हीं से हमारे नेत्र धुंधले हो गए हैं
इसलिये कि ज़ियोन पर्वत निर्जन हो चुका है,
वहां लोमड़ियों को विचरण करते देखा जा सकता है.
किंतु याहवेह, आपका शासन चिरकालिक है;
पीढ़ी से पीढ़ी तक आपका सिंहासन स्थायी रहता है.
आपने हमें सदा के लिए विस्मृत क्यों कर दिया है?
आपका यह परित्याग इतना दीर्घकालीन क्यों?
हमसे अपने संबंध पुनःस्थापित कर लीजिए, कि हमारी पुनःस्थापना हो जाए;
याहवेह, वही पूर्वयुग लौटा लाइए
हां, यदि आपने पूर्णतः हमारा परित्याग नहीं किया है
तथा आप हमसे अतिशय नाराज नहीं हो गए हैं.