योहन 7:45-53, योहन 8:1-11 HCV

योहन 7:45-53

यहूदी अगुओं का अविश्वास

संतरियों के लौटने पर प्रधान पुरोहितों और फ़रीसियों ने उनसे पूछा, “तुम उसे लेकर क्यों नहीं आए?”

संतरियों ने उत्तर दिया, “ऐसा बतानेवाला हमने आज तक नहीं सुना.”

तब फ़रीसियों ने कटाक्ष किया, “कहीं तुम भी तो उसके बहकावे में नहीं आ गए? क्या प्रधानों या फ़रीसियों में से किसी ने भी उसमें विश्वास किया है? व्यवस्था से अज्ञान भीड़ तो वैसे ही शापित है.”

तब निकोदेमॉस ने, जो प्रधानों में से एक थे तथा मसीह येशु से पहले मिल चुके थे, उनसे कहा, “क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति की सुने बिना और उसकी गतिविधि जाने बिना उसे अपराधी घोषित करती है?”

इस पर उन्होंने निकोदेमॉस से पूछा, “कहीं तुम भी तो गलीली नहीं हो? शास्त्रों का मनन करो और देखो कि किसी भी भविष्यवक्ता का आना गलील प्रदेश से नहीं होता.”

[वे सभी अपने-अपने घर लौट गएं]7:53 कुछ प्राचीनतम मूल हस्तलेखों में यह पाया नहीं जाता.

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योहन 8:1-11

और येशु जैतून पर्वत पर चले गये.

भोर को वह दोबारा मंदिर में आए और लोगों के मध्य बैठकर उनको शिक्षा देने लगे. उसी समय फ़रीसियों व शास्त्रियों ने व्यभिचार के कार्य में पकड़ी गई एक स्त्री को लाकर मध्य में खड़ा कर दिया और मसीह येशु से प्रश्न किया, “गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते हुए पकड़ी गई है. मोशेह ने व्यवस्था में हमें ऐसी स्त्रियों को पथराव द्वारा मार डालने की आज्ञा दी है; किंतु आप क्या कहते हैं?” उन्होंने मसीह येशु को परखने के लिए यह प्रश्न किया था कि उन पर आरोप लगाने के लिए उन्हें कोई आधार मिल जाए.

किंतु मसीह येशु झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगे. जब वे मसीह येशु से बार-बार प्रश्न करते रहे, मसीह येशु ने सीधे खड़े होकर उनसे कहा, “तुममें से जिस किसी ने कभी कोई पाप न किया हो, वही उसे सबसे पहला पत्थर मारे.” और वह दोबारा झुककर भूमि पर लिखने लगे.

यह सुनकर वरिष्ठ से प्रारंभ कर एक-एक करके सब वहां से चले गए—केवल वह स्त्री और मसीह येशु ही वहां रह गए. मसीह येशु ने सीधे खड़े होते हुए स्त्री की ओर देखकर उससे पूछा, “हे स्त्री! वे सब कहां हैं? क्या तुम्हें किसी ने भी दंडित नहीं किया?”

उसने उत्तर दिया, “किसी ने भी नहीं, प्रभु.”

मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं भी तुम्हें दंडित नहीं करता. जाओ, अब फिर पाप न करना.”

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