येरेमियाह 4:10-31
इस पर मैं कह उठा, “प्रभु याहवेह! आपने तो येरूशलेम के निवासियों को यह आश्वासन देते हुए पूर्णतः धोखे में रखा हुआ है, ‘तुम शांत एवं सुरक्षित रहोगे,’ जबकि उनके गर्दन पर तलवार रखी हुई है!”
उस समय इस प्रजा एवं येरूशलेम से कहा जाएगा, “मरुभूमि की वनस्पतिहीन ऊंचाइयों से मेरे आदेश पर एक प्रबल उष्ण वायु प्रवाह उठेगा, उसका लक्ष्य होगा मेरी प्रजा की पुत्री; यह वायु सुनसान तथा समाप्ति के लिए नहीं है. अब मैं उनके विरुद्ध न्याय-दंड घोषित करूंगा.”
देखो! वह घुमड़ते मेघों के सदृश बढ़ा चला आ रहा है,
उसके रथ बवंडर सदृश हैं,
उसके घोड़े गरुड़ों से अधिक द्रुतगामी हैं.
धिक्कार है हम पर! हम मिट गए है!
येरूशलेम, अपने दुष्ट हृदय को धोकर साफ़ करो, कि तुम सुरक्षित रह सको.
और कब तक तुममें कुविचारों का निवास रहेगा?
दान से एक स्वर कह रहा है,
एफ्राईम पर्वत से बुराई का प्रचार किया जा रहा है.
“इसी समय राष्ट्रों में सूचना प्रसारित की जाए,
येरूशलेम में इसका प्रचार किया जाए:
‘जो नगर की घेराबंदी करेंगे वे दूर देश से आ रहे हैं,
वे यहूदिया के नगरों के विरुद्ध अपने स्वर उठाएंगे.
खेत के प्रहरियों सदृश वे अपना घेरा छोटा करते जा रहे हैं,
यह इसलिये कि उसने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है,’ ”
यह याहवेह की वाणी है.
“तुम्हारे आचरण एवं तुम्हारे कार्यों के
कारण यह स्थिति आई है.
तुम्हारा है यह संकट.
कितना कड़वा!
इसने तुम्हारे हृदय को बेध दिया है!”
मेरे प्राण, ओ मेरे प्राण!
मैं अकाल पीड़ा में हूं.
आह मेरा हृदय! मेरे अंदर में हृदय धड़क रहा है,
मैं शांत नहीं रह सकता.
क्योंकि मेरे प्राण, मैंने नरसिंगा नाद,
युद्ध की ललकार, सुनी है.
विध्वंस पर विध्वंस की वाणी की गई है;
क्योंकि देश उध्वस्त किया जा चुका है.
अचानक मेरे तंबू ध्वस्त हो गए हैं,
मेरे पर्दे क्षण मात्र में नष्ट हो गए हैं.
मैं कब तक झंडा-पताका को देखता रहूं
और कब तक नरसिंगा नाद मेरे कानों में पड़ता रहेगा?
“क्योंकि निर्बुद्धि है मेरी प्रजा;
वह मुझे नहीं जानती.
वे मूर्ख बालक हैं;
उनमें समझ का अभाव है.
अधर्म के लिए उनमें बुद्धि अवश्य है;
किंतु सत्कर्म उनसे किया नहीं जाता है.”
मैंने पृथ्वी पर दृष्टि की,
और पाया कि वह आकार रहित तथा रिक्त थी;
मैंने आकाश की ओर दृष्टि उठाई और मैंने पाया,
कि वहां कोई ज्योति-स्रोत न था.
मैंने पर्वतों की ओर दृष्टि की,
और देखा कि वे कांप रहे थे;
और पहाड़ियां इधर-उधर सरक रही थी.
मैंने ध्यान दिया, कि वहां कोई मनुष्य नहीं था;
तथा आकाश के सारे पक्षी पलायन कर चुके थे.
मैंने देखा, और यह पाया कि फलदायी देश अब निर्जन प्रदेश हो चुका था;
तथा इस देश के सारे नगर याहवेह
तथा उनके उग्र कोप के समक्ष ध्वस्त हो चुके थे.
यह याहवेह की वाणी है:
“सारा देश निर्जन हो जाएगा,
फिर भी मैं इसका पूरा विनाश न करूंगा.
इसके लिए पृथ्वी विलाप करेगी
तथा ऊपर आकाश काला पड़ जाएगा,
इसलिये कि मैं यह कह चुका हूं और मैं निर्धारित कर चुका हूं,
मैं न अपना विचार परिवर्तित करूंगा और न ही मैं पीछे हटूंगा.”
घुड़सवार एवं धनुर्धारियों की ध्वनि सुन हर एक
नगर भागने लगता है.
वे झाड़ियों में जा छिपते हैं;
वे चट्टानों पर चढ़ जाते हैं.
सभी नगर छोड़े जा चुके हैं;
उनमें कोई भी निवास नहीं कर रहा.
और तुम जो निर्जन हो, अब क्या करोगी?
यद्यपि तुम भड़कीले वस्त्र धारण किए हुए हो,
यद्यपि तुमने स्वयं को स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित किया है?
यद्यपि तुमने अपने नेत्रों का श्रृंगार कर उन्हें सजाया है?
स्वयं को ऐसा सुरम्य स्वरूप देना व्यर्थ है.
तुम्हारे प्रेमियों के लिए तो तुम अब घृणित हो गई हो;
वे तो अब तुम्हारे प्राणों के प्यासे हैं.
मुझे ऐसी कराहट सुनाई दी मानो कोई प्रसूता की कराहट हो ऐसी वेदना का स्वर,
जैसा उस स्त्री को होता है जिसका पहला प्रसव हो रहा हो.
यह पुकार ज़ियोन की पुत्री की चिल्लाहट है जिसका श्वांस फूल रहा है,
वह अपने हाथ फैलाकर कह रही है,
“हाय! धिक्कार है मुझ पर;
मुझे तो हत्यारों के समक्ष मूर्च्छा आ रही है.”
येरेमियाह 5:1-31
परमेश्वर की प्रजा का पूर्ण भ्रष्टाचार
“येरूशलेम के मार्गों पर इधर-उधर ध्यान करो,
इसी समय देखो और ध्यान दो,
उसके खुले चौकों में खोज कर देख लो.
यदि वहां एक भी ऐसा मनुष्य है
जो अपने आचार-व्यवहार में खरा है और जो सत्य का खोजी है,
तो मैं सारे नगर को क्षमा कर दूंगा.
यद्यपि वे अपनी शपथ में यह अवश्य कहते हैं, ‘जीवित याहवेह की शपथ,’
वस्तुस्थिति यह है कि उनकी शपथ झूठी होती है.”
याहवेह, क्या आपके नेत्र सत्य की अपेक्षा नहीं करते?
आपने उन्हें दंड अवश्य दिया, किंतु उन्हें वेदना नहीं हुई;
आपने उन्हें कुचल भी दिया, किंतु फिर भी उन्होंने अपने आचरण में सुधार करना अस्वीकार कर दिया.
उन्होंने अपने मुखमंडल वज्र सदृश कठोर बना लिए हैं
और उन्होंने प्रायश्चित करना अस्वीकार कर दिया है.
तब मैंने विचार किया, “वे तो मात्र निर्धन हैं;
वे निर्बुद्धि हैं,
क्योंकि उन्हें याहवेह की नीतियों का ज्ञान ही नहीं है,
अथवा अपने परमेश्वर के नियम वे जानते नहीं हैं.
मैं उनके अगुए से भेंट करूंगा;
क्योंकि उन्हें तो याहवेह की नीतियों का बोध है,
वे अपने परमेश्वर के नियम जानते हैं.”
किंतु उन्होंने भी एक मत होकर जूआ उतार दिया है
तथा उन्होंने बंधन तोड़ फेंके हैं.
तब वन से एक सिंह आकर उनका वध करेगा,
मरुभूमि का भेड़िया उन्हें नष्ट कर देगा,
एक चीता उनके नगरों को ताक रहा है, जो कोई नगर से बाहर निकलता है
वह फाड़ा जाकर टुकड़े-टुकड़े कर दिया जाएगा,
क्योंकि बड़ी संख्या है उनके अपराधों की
और असंख्य हैं उनके मन के विचार.
“मैं भला तुम्हें क्षमा क्यों करूं?
तुम्हारे बालकों ने मुझे भूलना पसंद कर दिया है.
उन्होंने उनकी शपथ खाई है जो देवता ही नहीं हैं.
यद्यपि मैं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करता रहा,
फिर भी उन्होंने व्यभिचार किया,
उनका जनसमूह यात्रा करते हुए वेश्यालयों को जाता रहा है.
वे उन घोड़ों के सदृश हैं, जो पुष्ट हैं तथा जिनमें काम-वासना समाई हुई है,
हर एक अपने पड़ोसी की पत्नी को देख हिनहिनाने लगता है.
क्या मैं ऐसे लोगों को दंड न दूं?”
यह याहवेह की वाणी है.
“क्या मैं स्वयं ऐसे राष्ट्र से
बदला न लूं?
“जाओ इस देश की द्राक्षालता की पंक्तियों के मध्य जाकर उन्हें नष्ट कर दो,
किंतु यह सर्वनाश न हो.
उसकी शाखाएं तोड़ डालो,
क्योंकि वे याहवेह की नहीं हैं.
क्योंकि इस्राएल वंश तथा यहूदाह गोत्र ने
मेरे साथ घोर विश्वासघात किया है,”
यह याहवेह की वाणी है.
उन्होंने याहवेह के विषय में झूठी अफवाएं प्रसारित की हैं;
उन्होंने कहा, “वह कुछ नहीं करेंगे!
हम पर न अकाल की विपत्ति आएगी;
हम पर न अकाल का प्रहार होगा, न तलवार का.
उनके भविष्यद्वक्ता मात्र वायु हैं
उनमें परमेश्वर का आदेश है ही नहीं;
यही किया जाएगा उनके साथ.”
तब याहवेह सेनाओं के परमेश्वर की बात यह है:
“इसलिये कि तुमने ऐसा कहा है,
यह देखना कि तुम्हारे मुख में मेरा संदेश अग्नि में परिवर्तित हो जाएगा
तथा ये लोग लकड़ी में, जिन्हें अग्नि निगल जाएगी.
इस्राएल वंश यह देखना,” यह याहवेह की वाणी है,
“मैं दूर से तुम्हारे विरुद्ध आक्रमण करने के लिए एक राष्ट्र को लेकर आऊंगा—
यह सशक्त, स्थिर तथा प्राचीन राष्ट्र है,
उस देश की भाषा से तुम अपरिचित हो,
उनकी बात को समझना तुम्हारे लिए संभव नहीं.
उनका तरकश रिक्त कब्र सदृश है;
वे सभी शूर योद्धा हैं.
वे तुम्हारी उपज तथा तुम्हारा भोजन निगल जाएंगे,
वे तुम्हारे पुत्र-पुत्रियों को निगल जाएंगे;
वे तुम्हारी भेड़ों एवं पशुओं को निगल जाएंगे,
वे तुम्हारी द्राक्षालताओं तथा अंजीर वृक्षों को निगल जाएंगे.
वे तुम्हारे उन गढ़ नगरों को, जिनकी सुरक्षा में तुम्हारा भरोसा टिका है,
तलवार से ध्वस्त कर देंगे.
“फिर भी उन दिनों में,” यह याहवेह की वाणी है, “मैं तुम्हें पूर्णतः नष्ट नहीं करूंगा. यह उस समय होगा जब वे यह कह रहे होंगे, ‘याहवेह हमारे परमेश्वर ने हमारे साथ यह सब क्यों किया है?’ तब तुम्हें उनसे यह कहना होगा, ‘इसलिये कि तुमने मुझे भूलना पसंद कर दिया है तथा अपने देश में तुमने परकीय देवताओं की उपासना की है, तब तुम ऐसे देश में अपरिचितों की सेवा करोगे जो देश तुम्हारा नहीं है.’
“याकोब वंशजों में यह प्रचार करो
और यहूदाह गोत्रजों में यह घोषणा करो:
मूर्ख और अज्ञानी लोगों, यह सुन लो,
तुम्हारे नेत्र तो हैं किंतु उनमें दृष्टि नहीं है,
तुम्हारे कान तो हैं किंतु उनमें सुनने कि क्षमता है ही नहीं:
क्या तुम्हें मेरा कोई भय नहीं?” यह याहवेह की वाणी है.
“क्या मेरी उपस्थिति में तुम्हें थरथराहट नहीं हो जाती?
सागर की सीमा-निर्धारण के लिए मैंने बांध का प्रयोग किया है,
यह एक सनातन आदेश है, तब वह सीमा तोड़ नहीं सकता.
लहरें थपेड़े अवश्य मारती रहती हैं, किंतु वे सीमा पर प्रबल नहीं हो सकती;
वे कितनी ही गरजना करे, वे सीमा पार नहीं कर सकती.
किंतु इन लोगों का हृदय हठी एवं विद्रोही है;
वे पीठ दिखाकर अपने ही मार्ग पर आगे बढ़ गए हैं.
यह विचार उनके हृदय में आता ही नहीं,
‘अब हम याहवेह हमारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा रखेंगे,
याहवेह जो उपयुक्त अवसर पर वृष्टि करते हैं, शरत्कालीन वर्षा एवं वसन्तकालीन वर्षा,
जो हमारे हित में निर्धारित कटनी के सप्ताह भी लाते हैं.’
तुम्हारे अधर्म ने इन्हें दूर कर दिया है;
तुम्हारे पापों ने हित को तुमसे दूर रख दिया है.
“मेरी प्रजा में दुष्ट व्यक्ति भी बसे हुए हैं
वे छिपे बैठे चिड़ीमार सदृश ताक लगाए रहते है
और वे फंदा डालते हैं, वे मनुष्यों को पकड़ लेते हैं.
जैसे पक्षी से पिंजरा भर जाता है,
वैसे ही उनके आवास छल से परिपूर्ण हैं;
वे धनिक एवं सम्मान्य बने बैठे हैं
और वे मोटे हैं और वे चिकने हैं.
वे अधर्म में भी बढ़-चढ़ कर हैं;
वे निर्सहायक का न्याय नहीं करते.
वे पितृहीनों के पक्ष में निर्णय इसलिये नहीं देते कि अपनी समृद्धि होती रहे;
वे गरीबों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते.
क्या मैं ऐसे व्यक्तियों को दंड न दूं?”
यह याहवेह की वाणी है.
“क्या मैं इस प्रकार के राष्ट्र से
अपना बदला न लूं?
“देश में भयावह
तथा रोमांचित स्थिति देखी गई है:
भविष्यद्वक्ता झूठी भविष्यवाणी करते हैं,
पुरोहित अपने ही अधिकार का प्रयोग कर राज्य-काल कर रहे है,
मेरी प्रजा को यही प्रिय लग रहा है.
यह सब घटित हो चुकने पर तुम क्या करोगे?