येरेमियाह 18:1-23, येरेमियाह 19:1-15, येरेमियाह 20:1-18 HCV

येरेमियाह 18:1-23

कुम्हार के घर में

वह संदेश जो याहवेह द्वारा येरेमियाह के लिए प्रगट किया गया: “कुम्हार के घर जाओ, वहीं मैं तुम पर अपनी बातें प्रकाशित करूंगा.” मैं कुम्हार के आवास पर गया, जहां वह अपने चक्र पर कुछ गढ़ रहा था. किंतु वह बर्तन, जिसे वह मिट्टी से बना रहा था, वह उसके हाथों में ही विकृत हो गया; इसलिये उसने उसी से जैसा उसे उपयुक्त लगा, एक अन्य बर्तन का निर्माण कर दिया.

तब याहवेह ने अपना संदेश मुझे इस प्रकार प्रगट किया. “इस्राएल वंशजों, क्या तुम्हारे साथ मैं भी वही नहीं कर सकता, जो यह कुम्हार किया करता है?” यह याहवेह की वाणी है. “यह समझ लो इस्राएल वंशजों: मेरे हाथों में तुम्हारी स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसी कुम्हार के हाथों में उस मिट्टी की होती है. यह संभव है कि मैं एक क्षण किसी राष्ट्र अथवा किसी राज्य के अंत, पतन अथवा विध्वंस की वाणी करूं. किंतु वह राष्ट्र, जिसके संबंध में मैंने विध्वंस की वाणी की थी, यदि अपने कुकृत्यों से विमुख हो जाता है ओर मैं उसके विरुद्ध योजित विध्वंस का विचार ही त्याग दूं. अथवा दूसरे क्षण में किसी राष्ट्र, किसी राज्य के विषय में उसके निर्माण अथवा रोपण का विचार व्यक्त करूं, यदि वह राष्ट्र अथवा राज्य मेरे आदेश की अवज्ञा करते हुए मेरी दृष्टि में बुरा करता है, तब मैं उसके कल्याण के लिए की गई अपनी प्रतिज्ञा पर पुनर्विचार करूंगा.

“इसलिये अब जाकर यहूदिया तथा येरूशलेम के निवासियों से जाकर यह कहना, ‘याहवेह का संदेश यह है: यह समझ लो! मैं तुम्हारे विरुद्ध घोर विपत्ति नियोजित कर रहा हूं और तुम्हारे विरुद्ध एक योजना बना रहा हूं. ओह! तुममें से हर एक अपनी बुराई का परित्याग कर मेरे निकट लौट आए, अपनी जीवनशैली एवं आचरण को परिशुद्ध कर ले.’ किंतु उनका प्रत्युत्तर होगा, ‘इससे कोई भी लाभ न होगा. क्योंकि हमने अपनी रणनीति पहले ही निर्धारित कर ली है; हममें से हर एक अपने बुरे हृदय की कठोरता के ही अनुरूप कदम उठाएगा.’ ”

इसलिये याहवेह का आदेश यह है:

“अब राष्ट्रों के मध्य जाकर यह पूछताछ करो:

क्या कभी किसी ने भी इस प्रकार की घटना के विषय में सुना है?

कुंवारी कन्या इस्राएल ने

अत्यंत भयावह कार्य किया है.

क्या लबानोन का हिम खुले

मैदान की चट्टान से विलीन हो जाता है?

अथवा अन्य देश से प्रवाहित शीतल जल

कभी छीना जा सका है?

किंतु मेरी प्रजा है कि उसने मुझे भूलना पसंद कर दिया है;

वे निस्सार देवताओं के लिए धूप जलाते हैं,

तथा वे पूर्व मार्गों पर

चलते हुए लड़खड़ा गए हैं.

वे मुख्य मार्ग पर

न चलकर कदमडंडी पर चलने लगें.

कि उनका देश निर्जन हो जाए

चिरस्थायी घृणा का विषय;

हर एक जो वहां से निकलेगा चकित हो जाएगा

और आश्चर्य में सिर हिलाएगा.

मैं उन्हें शत्रु के समक्ष

पूर्वी वायु प्रवाह-सदृश बिखरा दूंगा;

मैं उनके संकट के समय उनके समक्ष अपनी पीठ कर दूंगा

न कि अपना मुखमंडल.”

तब कुछ लोग विचार-विमर्श करने लगे, “येरेमियाह के विरुद्ध कोई युक्ति गढ़ी जाए; निश्चयतः पुरोहित से तो व्यवस्था-विधान दूर होगा नहीं और न बुद्धिमानों से परामर्श की क्षमता बंद होगी, उसी प्रकार भविष्यवक्ताओं से परमेश्वर का संदेश भी समाप्‍त नहीं किया जा सकेगा. चलो, हम उस पर वाकबाण चलाएं तथा उसके वचन को अनसुनी कर दें.”

याहवेह, मेरी विनय पर ध्यान दीजिए;

तथा मेरे विरोधियों की बातों को सुन लीजिए!

क्या संकट के द्वारा कल्याण का प्रतिफल दिया जा सकता है?

उन्होंने तो मेरे लिए गड्ढा खोद रखा है.

स्मरण कीजिए मैं आपके समक्ष कैसे ठहरा रहता था

और उनकी सहायता में ही मत दिया करता था,

कि उनके प्रति आपका क्रोध दूर किया जा सके.

इसलिये अब उनकी संतान को अकाल को सौंप दीजिए;

तथा उन्हें तलवार की शक्ति के अधीन कर दीजिए.

उनकी पत्नियों को संतानहीन तथा विधवा हो जाने दीजिए;

उनके पतियों को मृत्यु का आहार हो जाने दीजिए,

उनके लड़के युद्ध में तलवार के ग्रसित हो जाएं.

जब आप उन पर लुटेरों का आक्रमण होने दें,

तब उनके आवासों से चिल्लाहट सुनाई पड़े,

क्योंकि मुझे पकड़ने के लिए उन्होंने मेरे लिए गड्ढा खोद रखा है,

और उन्होंने मेरे मार्ग में फंदे बिछा रखे हैं.

फिर भी, याहवेह, मेरे समक्ष

उनकी घातक युक्तियां आपको ज्ञात हैं.

उनकी पापिष्ठता को क्षमा न कीजिए

और न उनके पाप आपकी दृष्टि से ओझल हों.

आपके ही समक्ष वे नष्ट हो जाएं;

जब आप क्रुद्ध हों तब आप उनके लिए उपयुक्त कदम उठाएं.

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येरेमियाह 19:1-15

याहवेह ने आदेश दिया: “जाकर कुम्हार से एक मिट्टी का बर्तन खरीदो, तथा कुछ प्राचीन नागरिकों तथा कुछ प्राचीन पुरोहितों को एकत्र करो तब बेन-हिन्‍नोम की घाटी में जाओ, इसके लिए तुम्हें टूटे हुए बर्तनों के प्रवेश द्वार से जाना होगा. वहां तुम उस संदेश की वाणी करना जो मैं तुम्हें भेजा करूंगा, तुम कहना, ‘यहूदिया के राजाओं तथा येरूशलेम वासियों याहवेह का संदेश सुनो. सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: मैं इस स्थान पर घोर विपत्ति लाने पर हूं, ऐसी जिसके विषय में सुनते ही हर एक श्रोता के कान झनझना उठेंगे. यह इसलिये कि उन्होंने मेरा परित्याग कर इस स्थान को अरुचिकर बना छोड़ा है; उन्होंने इस स्थान पर परकीय देवताओं के लिए बलि अर्पित की है, जिन्हें न तो उनके पूर्वजों ने, न यहूदिया के राजाओं ने कभी जाना-पहचाना था तथा इसलिये भी कि उन्होंने इस स्थान को निर्दोष लोगों के रक्त से रंजित कर रखा है. उन्होंने बाल के लिए अपने पुत्रों की होमबलि अर्पित करने के उद्देश्य से बाल के लिए पूजा-स्थल प्रतिष्ठित किए हैं. यह वह कृत्य है, जिसका मैंने उन्हें न तो आदेश दिया और न ही मैंने कभी इसका उल्लेख किया और न यह विचार ही कभी मेरे मस्तिष्क में आया. इसलिये यह देखना कि वे दिन आ रहे हैं, यह याहवेह की वाणी है, जब इस स्थान की पहचान तोफेथ अथवा बेन-हिन्‍नोम की घाटी नहीं रह जाएगी, बल्कि तब यह नरसंहार घाटी के रूप में प्रख्यात हो जाएगी.

“ ‘मैं इस स्थान पर यहूदिया तथा येरूशलेम की युक्ति निष्फल कर दूंगा. तथा मैं ऐसा करूंगा कि वे अपने शत्रुओं के समक्ष ही, जो उनके प्राणों के प्यासे हैं, उन्हीं के तलवार के ग्रसित हो जाएंगे. और मैं उनके शव आकाश के पक्षी तथा पृथ्वी के पशुओं का आहार बना दूंगा. इस नगर को मैं भय और घृणा का विषय बना दूंगा. इसके निकट से जाता हुआ हर एक व्यक्ति भयभीत होकर इसके घावों को देखेगा और उसका उपहास करेगा. मैं ऐसी स्थिति उत्पन्‍न करूंगा कि वे अपनी ही संतान का मांस खाने लगेंगे, जब नगर की घेराबंदी होगी, और उनके शत्रुओं की ओर से उन पर विपत्ति आएगी तथा जो उनके प्राण लेने के लिए तैयार हैं, उन्हें उत्पीड़ित करने लगेंगे, तब वे एक दूसरे का ही मांस खाने लगेंगे.’

“इसके बाद तुम्हें उन सभी के समक्ष जो तुम्हारे साथ वहां गए हुए हैं उस बर्तन को तोड़ देना होगा, तब तुम उनसे कहना, ‘यह सेनाओं के याहवेह का संदेश है: ठीक इसी प्रकार मैं इन लोगों को तथा इस नगर को चूर-चूर कर दूंगा, जैसे कोई कुम्हार द्वारा निर्मित बर्तन को तोड़ देता है, जिसे पुनर्निर्मित करना असंभव होता है. लोग शवों को तोफेथ में गाड़ेंगे, जब तक इन्हें गाड़ने के लिए स्थान शेष न रह जाएगा. यही करूंगा मैं इस स्थान एवं यहां के निवासियों के साथ, यह याहवेह की वाणी है, कि मैं इस नगर को तोफेथ सदृश बना दूंगा. येरूशलेम के आवास एवं यहूदिया के राजाओं के आवास इस स्थान तोफेथ के सदृश अशुद्ध हो जाएंगे. उन सभी आवासों के कारण, जिन पर उन्होंने आकाश की शक्तियों को होमबलि अर्पित की तथा परकीय देवताओं को पेय बलि अर्पित की थी.’ ”

तत्पश्चात येरेमियाह तोफेथ से लौट आए, जहां याहवेह ने उन्हें भविष्यवाणी के उद्देश्य से भेजा था, येरेमियाह जाकर याहवेह के भवन के आंगन में खड़े हो गए और उन्होंने वहां से उपस्थित जनसमूह को इस प्रकार संबोधित किया, “इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: ‘सुनो! मैं इस नगर तथा इसके सारे उपनगरों पर वे सारी विपत्तियां प्रभावी करने पर हूं, जिसकी मैं पूर्वघोषणा कर चुका हूं, क्योंकि उन्होंने मेरे आदेश को न सुनने के हठ में अपनी गर्दनें कठोर कर ली हैं.’ ”

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येरेमियाह 20:1-18

पशहूर तथा येरेमियाह

जब याहवेह के भवन के प्रमुख अधिकारी, इम्मर के पुत्र पुरोहित पशहूर ने येरेमियाह को इन विषयों पर भविष्यवाणी करते हुए सुना, तब उसने भविष्यद्वक्ता येरेमियाह को पिटवाया तथा ऊपरी बिन्यामिन द्वार में उन्हें काठ के बांक20:2 काठ के बांक पैरों को बांधने का पुराना उपकरण में जकड़ दिया, यह याहवेह के भवन के निकट ही था. अगले दिन, जब पशहूर ने उन्हें बांक से विमुक्त किया, येरेमियाह ने उससे कहा, “याहवेह द्वारा तुम्हें दिया गया नाम पशहूर नहीं, बल्कि मागोर-मिस्साबीब है. क्योंकि याहवेह का संदेश यह है: ‘तुम यह देखोगे कि मैं तुम्हें स्वयं के लिए तथा तुम्हारे सारे मित्रों के लिए आतंक बना देने पर हूं; तुम्हारे देखते-देखते वे अपने शत्रुओं की तलवार से वध किए जाएंगे. तब मैं सारे यहूदिया को बाबेल के राजा के हाथों में सौंप दूंगा, वह उन्हें बंदी बनाकर बाबेल ले जाएगा तथा तलवार से उनका संहार कर देगा. मैं इस नगर की सारी धन संपदा इसकी सारी उपज एवं इसकी सारी मूल्यवान सामग्री उसे सौंप दूंगा—यहां तक कि यहूदिया के राजाओं की सारी निधि मैं उनके शत्रुओं के हाथों में सौंप दूंगा. वे उन्हें लूट लेंगे, उन्हें बंदी बना लेंगे तथा उन्हें बाबेल ले जाएंगे. और तुम, पशहूर, तथा वे सभी जो तुम्हारे आवास में निवास कर रहे हैं, बंधुआई में ले जाए जाएंगे, तुम बाबेल में प्रवेश करोगे. और वहीं तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी वहीं तुम्हें गाड़ा जाएगा, तुम्हें तथा तुम्हारे उन सभी मित्रों को जिनके लिए तुमने झूठी भविष्यवाणी की थी.’ ”

येरेमियाह का मुकदमा

याहवेह, आपने मुझे प्रलोभित किया, कि मैं प्रलोभित हो गया;

आपने मुझे गुमराह किया और आप मुझ पर प्रबल भी हो गए.

सारे दिन मैं उपहास का बर्तन बना रहता हूं;

सभी मेरा उपहास करते रहते हैं.

जब भी मैं कुछ कहना चाहता हूं, मैं उच्च स्वर में रोने लगता हूं;

मेरी वाणी के विषय रह गए हैं हिंसा एवं विध्वंस.

क्योंकि मेरे संदर्भ में याहवेह के संदेश का परिणाम हुआ है

सतत निंदा एवं फटकार.

किंतु यदि मैं यह निश्चय करूं, “अब मैं याहवेह का उल्लेख ही नहीं करूंगा

अथवा अब मैं उनकी ओर से कोई भी संदेश भेजा न करूंगा,”

तब आपका संदेश मेरे हृदय में प्रज्वलित अग्नि का रूप ले लेता है,

वह प्रज्वलित अग्नि जो मेरी अस्थियों में बंद है.

अब यह मेरे लिए असह्य हो रही है;

इसे दूर रखते-रखते मैं व्यर्थ हो चुका हूं.

मैंने अनेकों को दबे स्वर में यह कहते सुना है,

“चारों ओर आतंक व्याप्‍त हो चुका है!

फटकार करो उनकी! निःसंदेह हमें उनकी फटकार करनी ही होगी!”

ये मेरे विश्वास्य मित्रों के शब्द हैं

जिन्हें मेरे पतन में रुचि है. वे विचार कर रहे हैं,

“संभव है वह फंदे में फंस जाए;

और हम उसे अपने वश में कर लें

तथा उससे अपना बदला ले लें.”

किंतु याहवेह मेरे साथ शक्तिवान योद्धा के सदृश हैं जिसका आतंक चारों ओर व्याप्‍त है;

इसलिये मेरे उत्पीड़क मुझ पर प्रबल न होंगे बल्कि लड़खड़ा जाएंगे.

अपनी विफलता पर उन्हें घोर लज्जा का सामना करना पड़ेगा यह ऐसी चिरस्थायी लज्जा होगी;

जिसे भूलना पसंद करना संभव न होगा.

फिर भी सेनाओं के याहवेह, आप तो सद्‍वृत्त की विवेचना करते रहते हैं,

आपकी दृष्टि मन एवं हृदय का आंकलन करती रहती है,

कुछ ऐसा कीजिए कि मैं आपके द्वारा उनसे लिए गए बदले का प्रत्यक्षदर्शी हो जाऊं,

क्योंकि अपना मुकदमा मैंने आपको ही सौंप रखा है.

याहवेह के लिए गायन हो!

याहवेह का स्तवन हो!

क्योंकि उन्होंने निस्सहाय के प्राणों को

बुरे बंधन से उद्धार प्रदान किया है.

शापित हो वह दिन जिसमें मैंने जन्म लिया!

जिस दिन मेरी माता ने मुझे जन्म दिया, उसे धन्य न कहा जाए!

शापित हो वह व्यक्ति जिसने मेरे पिता को अत्यंत हर्षित कर दिया,

जब उसने उन्हें यह संदेश दिया,

“आपका एक पुत्र पैदा हुआ है!”

उस संदेशवाहक की नियति वही हो जो उन नगरों की हुई थी,

जिन्हें याहवेह ने निर्ममता से नष्ट कर दिया था.

उसे प्रातःकाल से ही पीड़ा की कराहट सुनाई देने लगी,

तथा दोपहर में युद्ध की चेतावनी की वाणी.

क्योंकि मेरे जन्म के पूर्व ही मेरी जीवन लीला उसने समाप्‍त नहीं कर दी,

कि मेरी माता ही मेरी कब्र हो जाती,

और मेरी माता स्थायी रूप से गर्भवती रह जाती.

मैं गर्भ से बाहर ही क्यों आ गया

कि संकट और शोक देखूं,

कि मेरे जीवन के दिन लज्जा में जिए जाएं?

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