2 राजा 3:1-27, 2 राजा 4:1-37 HCV

2 राजा 3:1-27

इस्राएल के विरुद्ध मोआब का विद्रोह

यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात के शासनकाल के अठारहवें साल में अहाब का पुत्र यहोराम3:1 यहोराम कुछ पाण्डुलिपियों में योराम शमरिया में राजा हो गया, और उसने बारह साल तक शासन किया. याहवेह की दृष्टि में उसका व्यवहार गलत था; हालांकि उतना नहीं जैसा उसके पिता और माता का था; क्योंकि उसने अपने पिता द्वारा बनवाए हुए बाल के खंभों को हटा दिया. फिर भी वह नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के उन पापों में लगा रहा, जिन्हें करने के लिए वह इस्राएल को उकसाता रहा. वह इनसे दूर न हुआ.

मेषा मोआब का राजा भेड़ पालता था. उसे इस्राएल के राजा को हर साल एक लाख मेमने और एक लाख भेड़ों का ऊन देना होता था. अहाब की मृत्यु होते ही मोआब के राजा ने इस्राएल के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. तब राजा यहोराम शमरिया से बाहर निकल पड़ा और उसने सारी इस्राएली सेना को इकट्ठी की. तब उसने जाकर यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात को यह संदेश भेजा, “मोआब का राजा मेरे विरुद्ध विद्रोह पर उतर आया है. क्या मोआब से युद्ध में आप मेरा साथ देंगे?”

यहोशाफ़ात ने उत्तर दिया, “ज़रूर मैं आपके साथ हूं. जो मेरे सैनिक हैं, वे आपके भी सैनिक हैं. मेरे घोड़े आपके घोड़े हैं.”

तब यहोशाफ़ात ने पूछा, “हमें किस दिशा से हमला करना है?”

यहोराम ने उत्तर दिया, “एदोम के बंजर भूमि के मार्ग से.”

तब इस्राएल के राजा के साथ यहूदिया और एदोम के राजा भी शामिल हो गए. वे सात दिन तक घूम-घूमकर चलते रहे. इसमें न तो सैनिकों के पीने के लिए पानी मिला और न साथ चल रहे पशुओं के लिए.

यह देख इस्राएल का राजा मन में कहने लगा, “हाय! ऐसा लग रहा है याहवेह ने तीन राजा मोआब को सौंप देने के लिए इकट्ठा किए हैं.”

यहोशाफ़ात ने उससे पूछा, “क्या यहां याहवेह का कोई भविष्यद्वक्ता नहीं है, कि हम उसके द्वारा याहवेह की इच्छा मालूम कर सकें?”

इस्राएल के राजा के एक सेवक ने उत्तर दिया, “शाफात के पुत्र एलीशा यहीं रहते हैं, जो एलियाह के हाथों को धुलाया करते थे3:11 एलियाह के हाथों को धुलाया करते थे अर्थात् एलियाह के निजी सेवक.”

यहोशाफ़ात कह उठे, “उनके पास याहवेह का संदेश पहुंचता है.” तब इस्राएल का राजा, यहूदिया का राजा और एदोम का राजा, तीनों ही एलीशा से मिलने के लिए चले गए.

एलीशा ने इस्राएल के राजा से कहा, “मेरा और आपका कोई संबंध नहीं है. जाइए अपने पिता और अपनी माता के भविष्यवक्ताओं के पास.”

इस्राएल के राजा ने उन्हें उत्तर दिया, “नहीं! खुद याहवेह ने तीन राजाओं को मोआब के अधीन कर देने के लिए ही इकट्ठा किया है.”

एलीशा ने उत्तर दिया, “जीवित याहवेह की शपथ, मैं जिनके सामने खड़ा रहता हूं; अगर मेरे मन में यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात के लिए आदर न होता, तो मैं न तो तुम्हें देखना चाहता और न ही तुम्हारी ओर दृष्टि करता. मगर अब मेरे लिए एक बजानेवाले का इंतजाम किया जाए.”

जब बजाने वाला बजाने लगा, एलीशा को याहवेह की ओर से शक्ति मिली. एलीशा ने कहना शुरू किया, “याहवेह का संदेश यह है, ‘इस घाटी को खाइयों में बदल दो.’ क्योंकि यह याहवेह की घोषणा है, तुम्हें न तो हवा दिखाई देगी और न ही बारिश; फिर भी घाटी पानी से भर जाएगी, कि तुम्हें पीने के लिए पानी मिल जाए; तुम्हें, तुम्हारे घोड़ों को और तुम्हारे सभी पशुओं को भी. याहवेह की नज़रों में यह बहुत ही आसान सा काम है. याहवेह मोआबियों को भी आपके अधीन कर देंगे. इसके अलावा तुम हर एक गढ़नगर और प्रमुख नगर पर हमला करोगे, हर एक अच्छे पेड़ को गिरा दोगे, सारे पानी के स्रोतों को बंद कर दोगे और हर एक उपजाऊ खेत को पत्थरों से पाट दोगे.”

अगली सुबह को, जब बलि चढ़ाने का समय हुआ, यह देखा गया कि एदोम प्रदेश की दिशा से पानी बहने लगा और सारा इलाका पानी से भर गया.

जब मोआब देश की प्रजा ने यह सुना कि राजा उनसे युद्ध करने आए हैं, तो बालक से लेकर बूढ़े तक को, जो हथियार उठा सकते थे, बुलवाया गया और उन सबको नगर सीमा पर खड़ा कर दिया गया. सुबह को सूरज उगने के समय, जागने पर, जब मोआबवासियों की दृष्टि सूरज से चमकते जल पर पड़ी, तो वह जल उन्हें लहू सा दिखाई दिया. वे आपस में कहने लगे, “यह खून है! लगता है राजा आपस में ही लड़ पड़े और एक दूसरे को मार चुके हैं. तब तो हे मोआबियों चलो, लूट का सामान उठाने!”

मगर जब वे इस्राएलियों की छावनी तक पहुंचे, इस्राएली सेना ने उठकर मोआबी सेना को मारना शुरू कर दिया. तब मोआबी पीठ दिखाकर भागने लगे. इस्राएली सेना मोआबियों को मारते हुए मोआबियों के देश तक प्रवेश करती गई, और मोआबियों को मारती चली गई. इस प्रकार उन्होंने नगर खत्म कर दिए और हर एक व्यक्ति ने बढ़ते हुए अच्छी-अच्छी उपजाऊ भूमि पर पत्थर डालकर खेतों को पाट दिया. इसी तरह उन्होंने सारे जल के स्रोत बंद कर दिए और सभी उत्तम, हरे-भरे पेड़ों को गिरा दिया. अब कीर-हेरासेथ की ज़मीन पर पत्थर ही पत्थर दिखाई दे रहे थे. वे, जो गोफन का इस्तेमाल कर रहे थे, उन्होंने कीर-हेरासेथ को घेरकर उस पर हमला कर दिया.

जब मोआब के राजा ने यह पाया कि उसकी सेना हार रही है, उसने 700 तलवारधारी सैनिकों को साथ लेकर एदोम के राजा की ओर बड़ी शक्ति के साथ हमला किया, मगर वे अपने लक्ष्य में असफल ही रहे. तब मोआब के राजा ने अपने उत्तराधिकारी, जेठे पुत्र को नगर की शहरपनाह पर बलि के रूप में चढ़ा दिया. इससे उनमें इस्राएली सेना के विरुद्ध बड़ा क्रोध छा गया और वे अपने देश लौट गए.

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2 राजा 4:1-37

विधवा स्त्री और तेल पात्र

भविष्यद्वक्ता मंडल के भविष्यवक्ताओं में से एक की पत्नी ने एलीशा की दोहाई दी, “आपके सेवक, मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है. आपको मालूम ही है कि आपके सेवक के मन में याहवेह के लिए कितना भय था. अब हालत यह है कि जिसका वह कर्ज़दार था वह मेरे दोनों पुत्रों को अपने दास बनाने के लिए आ खड़ा हुआ है.”

एलीशा ने उससे पूछा, “मैं तुम्हारे लिए क्या करूं? बताओ क्या-क्या बाकी रह गया है तुम्हारे घर में?”

उस स्त्री ने उत्तर दिया, “आपकी सेविका के घर में अब तेल का एक पात्र के अलावा कुछ भी बचा नहीं रह गया है.”

एलीशा ने उससे कहा, “जाओ और अपने सभी पड़ोसियों से खाली बर्तन मांग लाओ और ध्यान रहे कि ये बर्तन गिनती में कम न हों. तब उन्हें ले तुम अपने पुत्रों के साथ कमरे में चली जाना और दरवाजा बंद कर लेना. तब इन सभी बर्तनों में तेल उण्डेलना शुरू करना. जो जो बर्तन भर जाएं उन्हें अलग रखते जाना.”

तब वह वहां से चली गई. अपने पुत्रों के साथ कमरे में जाकर उसने दरवाजा बंद कर लिया. वह बर्तनों में तेल उंडेलती गई और पुत्र उसके सामने खाली बर्तन लाते गए. जब सारे बर्तन भर चुके, उसने अपने पुत्र से कहा, “और बर्तन ले आओ!”

पुत्र ने इसके उत्तर में कहा, “अब कोई बर्तन नहीं है.” तब तेल की धार थम गई.

उसने परमेश्वर के जन को इस बात की ख़बर दे दी. और परमेश्वर के जन ने उस स्त्री को आदेश दिया, “जाओ, यह तेल बेचकर अपना कर्ज़ भर दो.” जो बाकी रह जाए, उससे तुम और तुम्हारे पुत्र गुज़ारा करें.

एलीशा द्वारा शूनामी स्त्री के पुत्र का पुनर्जीवन

एक दिन एलीशा शूनेम नाम के स्थान पर गए. वहां एक धनी स्त्री रहती थी. उसने एलीशा को विनती करके भोजन पर बुलाया. इसके बाद जब कभी एलीशा वहां से जाते थे, वहीं रुक कर भोजन कर लेते थे. उस स्त्री ने अपने पति से कहा, “सुनिए, अब तो मैं यह समझ गई हूं कि यह व्यक्ति, जो हमेशा इसी मार्ग से जाया करते हैं, परमेश्वर के पवित्र जन हैं. हम छत पर दीवारें उठाकर एक छोटा कमरा बना लें, उनके लिए वहां एक बिछौना, एक मेज़ एक कुर्सी और एक दीपक रख दें, कि जब कभी वह यहां आएं, वहां ठहर सकें.”

एक दिन एलीशा वहां आए और उन्होंने उस कमरे में जाकर आराम किया. उन्होंने अपने सेवक गेहज़ी से कहा, “शूनामी स्त्री को बुला लाओ.” वह आकर उनके सामने खड़ी हो गई. एलीशा ने गेहज़ी को आदेश दिया, “उससे कहो, ‘देखिए, आपने हम दोनों का ध्यान रखने के लिए यह सब कष्ट किया है; आपके लिए क्या किया जा सकता है? क्या आप चाहती हैं कि किसी विषय में राजा के सामने आपकी कोई बात रखी जाए, या सेनापति से कोई विनती की जाए?’ ”

उस स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं तो अपनों ही के बीच में रह रही हूं!”

तब उन्होंने पूछा, “तब इस स्त्री के लिए क्या किया जा सकता है?”

गेहज़ी ने उत्तर दिया, “उसके कोई पुत्र नहीं है, और उसके पति ढलती उम्र के व्यक्ति हैं.”

एलीशा ने कहा, “उसे यहां बुलाओ.” जब वह स्त्री आकर द्वार पर खड़ी हो गई, एलीशा ने उससे कहा, “अगले साल इसी मौसम में लगभग इसी समय तुम्हारी गोद में एक पुत्र होगा.”

वह स्त्री कहने लगी, “नहीं, मेरे स्वामी! परमेश्वर के जन, अपनी सेविका को झूठी आशा न दीजिए.”

उस स्त्री ने गर्भधारण किया और अगले साल उसी समय वसन्त के मौसम में उसने एक पुत्र को जन्म दिया—ठीक जैसा एलीशा ने उससे कहा था.

बड़ा होता हुआ वह बालक, एक दिन कटनी कर रहे मजदूरों के बीच अपने पिता के पास चला गया. अचानक उसने अपने पिता से कहा, “अरे, मेरा सिर! मेरा सिर!”

पिता ने अपने सेवक को आदेश दिया, “इसे इसकी माता के पास ले जाओ.” सेवक ने उस बालक को उठाया और उसकी माता के पास ले गया. वह बालक दोपहर तक अपनी माता की गोद में ही बैठा रहा और वहीं उसकी मृत्यु हो गई. उस स्त्री ने बालक को ऊपर ले जाकर उस परमेश्वर के जन के बिछौने पर लिटा दिया और दरवाजा बंद करके चली गई.

तब उसने अपने पति को यह संदेश भेजा, “मेरे पास अपना एक सेवक और गधा भेज दीजिए कि मैं जल्दी ही परमेश्वर के जन से भेंटकर लौट आऊं.”

पति ने प्रश्न किया, “तुम आज ही क्यों जाना चाह रही हो? आज न तो नया चांद है, और न ही शब्बाथ.”

उसका उत्तर था, “सब कुछ कुशल ही होगा.”

तब उसने गधे को तैयार किया और अपने सेवक को आदेश दिया, “गधे को तेज हांको! मेरे लिए रफ़्तार धीमी न होने पाए, जब तक मैं इसके लिए आदेश न दूं.” वह चल पड़ी और कर्मेल पर्वत पर परमेश्वर के जन के घर तक पहुंच गई.

जब परमेश्वर के जन ने उसे अपनी ओर आते देखा, उन्होंने अपने सेवक गेहज़ी से कहा, “वह देखो! शूनामी स्त्री! तुरंत उससे मिलने के लिए दौड़ो और उससे पूछो, ‘क्या आप सकुशल हैं? क्या आपके पति सकुशल हैं? क्या आपका पुत्र सकुशल है?’ ”

उसने उसे उत्तर दिया, “सभी कुछ सकुशल है.”

तब, जैसे ही वह पर्वत पर परमेश्वर के जन के पास पहुंची, उसने एलीशा के पैर पकड़ लिए. जब गेहज़ी उसे हटाने वहां पहुंचा, परमेश्वर के जन ने उससे कहा, “ऐसा कुछ न करो, क्योंकि इसका मन भारी दर्द से भरा हुआ है. इसके बारे में मुझे याहवेह ने कोई सूचना नहीं दी है, इसे गुप्‍त ही रखा है.”

तब उस स्त्री ने कहना शुरू किया, “क्या अपने स्वामी से पुत्र की विनती मैंने की थी? क्या मैंने न कहा था, ‘मुझे झूठी आशा न दीजिए?’ ”

एलीशा ने गेहज़ी को आदेश दिया, “कमर कस लो और अपने साथ मेरी लाठी ले लो और चल पड़ो! मार्ग में अगर कोई मिले तो उससे हाल-चाल जानने के लिए न रुकना. यदि तुम्हें कोई नमस्कार करे तो उसका उत्तर न देना. जाकर मेरी लाठी उस बालक के मुंह पर रख देना.”

तब बालक की माता ने एलीशा से कहा, “जीवित याहवेह की शपथ और आपकी शपथ, मैं आपके बिना न लौटूंगी!” तब एलीशा उठे और उस स्त्री के साथ चल दिए.

गेहज़ी ने आगे-आगे जाकर बालक के मुंह पर लाठी टिका दी, मगर वहां न तो कोई आवाज सुनाई दिया गया और न ही उसमें जीवन का कोई लक्षण दिखाई दिया. तब गेहज़ी ने लौटकर एलीशा को ख़बर दी, “बालक तो जागा ही नहीं!”

जब एलीशा ने घर में प्रवेश किया, वह मरा हुआ बालक उनके ही बिछौने पर ही लिटाया हुआ था. तब एलीशा कमरे के भीतर चले गए और दरवाजा बंद कर लिया, वे दोनों बाहर ही थे. एलीशा ने याहवेह से प्रार्थना की. तब वह जाकर बालक के ऊपर लेट गए. उन्होंने अपना मुख बालक के मुख पर रखा, उनकी आंखें बालक की आंखों पर थी और उनके हाथ बालक के हाथों पर. जब वह उस बालक पर लेट गए, तब बालक के शरीर में गर्मी आने लगी. फिर वह नीचे उतरे और घर के भीतर ही टहलते रहे. तब वह दोबारा बिछौने पर चढ़ गए और बालक पर लेट गए. इससे उस बालक को सात बार छींक आई और उसने आंखें खोल दीं.

एलीशा ने गेहज़ी को पुकारा और आदेश दिया, “शूनामी स्त्री को बुलाओ.” तब गेहज़ी ने उसे पुकारा. जब वह भीतर आई, उन्होंने उस स्त्री से कहा, “उठा लो अपने पुत्र को.” वह आई और भूमि की ओर झुककर एलीशा के पैरों पर गिर पड़ी. इसके बाद उसने अपने पुत्र को गोद में उठाया और वहां से चली गई.

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