1 थेस्सलोनि 1:1-10, 1 थेस्सलोनि 2:1-16 HCV

1 थेस्सलोनि 1:1-10

पिता परमेश्वर तथा प्रभु येशु मसीह में थेस्सलोनिकेयुस नगर की कलीसिया को यह पत्र पौलॉस,

सिलवानॉस तथा तिमोथियॉस की ओर से है.

तुम्हें अनुग्रह तथा शांति मिलती रहे.

आभार व्यक्ति तथा प्रशंसा

अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हारा वर्णन करते हुए हम हमेशा तुम सभी के लिए परमेश्वर का आभार मानते हैं. हम हमेशा ही परमेश्वर, हमारे पिता के सामने तुम्हारे विश्वास के काम, प्रेम का परिश्रम तथा हमारे प्रभु येशु मसीह में तुम्हारी दृढ़ आशा को याद करते हैं.

क्योंकि, प्रिय भाई बहनो, परमेश्वर के प्रियो, हमें अहसास है कि तुम परमेश्वर के चुने हुए हो, हमारे द्वारा प्रस्तुत ईश्वरीय सुसमाचार तुम्हें सिर्फ शब्दों में नहीं परंतु सामर्थ्य, पवित्र आत्मा तथा पूरे धीरज के साथ पहुंचाया गया था. तुम्हारे बीच निवास करते हुए तुम्हारी ही भलाई के लिए हम किस प्रकार के व्यक्ति साबित हुए थे, यह तुमने स्वयं ही देख लिया है. प्रभु के संदेश को घोर क्लेश में, पवित्र आत्मा के आनंद में स्वीकार करते हुए तुम स्वयं हमारे तथा प्रभु के शिष्य बन गए थे. जिसका परिणाम यह हुआ कि तुम मकेदोनिया तथा आखाया प्रदेश में सभी विश्वासियों के लिए एक आदर्श बन गए. तुम्हारे द्वारा भेजा गया प्रभु का संदेश न केवल मकेदोनिया तथा आखाया प्रदेश में सुनाया गया और बढ़ता गया परंतु परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास भी सबको मालूम हो गया है. परिणामस्वरूप कोई ज़रूरत नहीं रह गई कि इस विषय में अब हम कुछ कहें, वे ही हर जगह इस बात का वर्णन कर रहे हैं कि तुम्हारे द्वारा किया गया हमारा स्वागत कैसा भव्य था तथा यह भी कि किस प्रकार तुम मूर्तियों से दूर होकर परमेश्वर की ओर झुक गए कि जीवित और सच्चे परमेश्वर की सेवा करने लगो और स्वर्ग से उनके पुत्र मसीह येशु के दोबारा आगमन की प्रतीक्षा करो, जिन्हें परमेश्वर ही ने मरे हुओं में से जीवित किया, मसीह येशु, जो हमें आनेवाले क्रोध से बचाते हैं.

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1 थेस्सलोनि 2:1-16

पौलॉस का आदर्श

प्रिय भाई बहनो, तुम्हें यह अहसास तो है ही कि तुमसे भेंट करने के लिए हमारा आना व्यर्थ नहीं था. जैसा कि तुम्हें मालूम ही है कि फ़िलिप्पॉय नगर में दुःख उठाने और उपद्रव सहने के बाद घोर विरोध की स्थिति में भी तुम्हें परमेश्वर का ईश्वरीय सुसमाचार सुनाने के लिए हमें परमेश्वर के द्वारा साहस प्राप्‍त हुआ. हमारा उपदेश न तो भरमा देनेवाली शिक्षा थी, न अशुद्ध उद्देश्य से प्रेरित और न ही छलावा. परंतु ठीक जिस प्रकार परमेश्वर के समर्थन में हमें ईश्वरीय सुसमाचार सौंपा गया. हम मनुष्यों की प्रसन्‍नता के लिए नहीं परंतु परमेश्वर की संतुष्टि के लिए, जिनकी दृष्टि हृदय पर लगी रहती है, ईश्वरीय सुसमाचार का संबोधन करते हैं. यह तो तुम्हें मालूम ही है कि न तो हमारी बातों में चापलूसी थी और न ही हमने लोभ से प्रेरित हो कुछ किया—परमेश्वर गवाह हैं; हमने मनुष्यों से सम्मान पाने की भी कोशिश नहीं की; न तुमसे और न किसी और से, मसीह के प्रेरित होने के कारण तुमसे सहायता पाना हमारा अधिकार था. तुम्हारे प्रति हमारा व्यवहार वैसा ही कोमल था,

जैसा एक शिशु का पोषण करती माता का, जो स्वयं बड़ी कोमलतापूर्वक अपने बालकों का पोषण करती है. इस प्रकार तुम्हारे प्रति एक मधुर लगाव होने के कारण हम न केवल तुम्हें ईश्वरीय सुसमाचार देने के लिए परंतु तुम्हारे साथ स्वयं अपना जीवन सहर्ष मिल-बांट कर संगति करने के लिए भी लालायित थे—क्योंकि तुम हमारे लिए अत्यंत प्रिय बन चुके थे. प्रिय भाई बहनो, जिस समय हम तुम्हारे बीच ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे, तुम्हें उस समय का हमारा परिश्रम तथा हमारी कठिनाइयां याद होंगी कि कैसे हमने रात-दिन श्रम किया कि हम तुममें से किसी पर भी बोझ न बन जाएं. तुम इसके गवाह हो और परमेश्वर भी कि तुम सभी विश्वासियों के साथ हमारा स्वभाव कितना सच्चा, धर्मी और निर्दोष था. तुम्हें यह भी मालूम है कि जैसे पिता अपनी निज संतान के लिए करता है, उसी प्रकार हम तुममें से हर एक को प्रोत्साहित करते हुए, सांत्वना और प्रेरणा देते हुए रहे, कि तुम्हारा स्वभाव परमेश्वर के योग्य हो, जिन्होंने तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुलाया है.

यही कारण है कि हम भी परमेश्वर के प्रति निरंतर धन्यवाद प्रकट करते हैं कि जिस समय तुमने हमसे परमेश्वर के वचन के संदेश को स्वीकार किया, तुमने इसे किसी मनुष्य के संदेश के रूप में नहीं परंतु उसकी सच्चाई में अर्थात् परमेश्वर ही के वचन के रूप में ग्रहण किया, जो तुममें, जिन्होंने विश्वास किया है, कार्य भी कर रहा है. क्योंकि प्रिय भाई बहनो, तुम मसीह येशु में परमेश्वर की उन कलीसियाओं के शिष्य बन गए हो, जो यहूदिया प्रदेश में हैं—तुमने भी स्वदेशवासियों द्वारा दिए गये उसी प्रकार के दुःखों को सहा है, जैसे यहूदिया प्रदेशवासियों ने यहूदियों द्वारा दिए गए दुःखों को, जिन्होंने प्रभु येशु मसीह तथा भविष्यद्वक्ताओं दोनों ही की हत्या की. इसके अलावा उन्होंने हमें भी वहां से निकाल दिया. वे परमेश्वर को क्रोधित कर रहे हैं तथा वे सभी के विरोधी हैं. जब हम अन्यजातियों को उनके उद्धार के विषय में संदेश देने का काम करते हैं, वे हमारी उद्धार की बातें बताने में बाधा खड़ी करते हैं. इसके फलस्वरूप वे स्वयं अपने ही पापों का घड़ा भर रहे हैं. अंततः उन पर परमेश्वर का क्रोध आ ही पड़ा है.

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