1 शमुएल 1:1-28, 1 शमुएल 2:1-26 HCV

1 शमुएल 1:1-28

शमुएल का जन्म तथा समर्पण

एफ्राईम के पहाड़ी प्रदेश में रमाथाइम-ज़ोफ़िम नगर में एलकाना नामक एक व्यक्ति था. वह एफ्राईमवासी येरोहाम के पुत्र था और येरोहाम एलिहू के, एलिहू तोहू के तथा तोहू एफ्राईमवासी सूफ़ के पुत्र था. एलकाना की दो पत्नियां थी; पहली का नाम था हन्‍नाह और दूसरी का पेनिन्‍नाह. स्थिति यह थी कि पेनिन्‍नाह के तो बच्‍चे थे, मगर हन्‍नाह बांझ थी.

यह व्यक्ति हर साल अपने नगर से सर्वशक्तिमान याहवेह की वंदना करने तथा उन्हें बलि चढ़ाने शीलो नगर जाया करता था. यहीं एली के दो पुत्र, होफ़नी तथा फिनिहास याहवेह के पुरोहितों के रूप में सेवा करते थे. जब कभी एलकाना बलि चढ़ाता था, वह बलि में से कुछ भाग अपनी पत्नी पेनिन्‍नाह तथा उसकी संतान को दे दिया करता था. मगर वह अपनी पत्नी हन्‍नाह को इसका दो गुणा भाग देता था, क्योंकि उन्हें हन्‍नाह ज्यादा प्रिय थी, यद्यपि याहवेह ने हन्‍नाह को संतान पैदा करने की क्षमता नहीं दी थी. हन्‍नाह की सौत उसे कुढ़ाने के उद्देश्य से उसे सताती रहती थी. यह काम हर साल चलता रहता था. जब कभी हन्‍नाह याहवेह के मंदिर जाती थी, पेनिन्‍नाह उसे इस प्रकार चिढ़ाती थी, कि हन्‍नाह रोती रह जाती थी, तथा उसके लिए भोजन करना मुश्किल हो जाता था. यह देख उसके प्रति एलकाना ने उससे कहा, “हन्‍नाह, तुम क्यों रो रही हो? तुमने भोजन क्यों छोड़ रखा है? इतनी दुःखी क्यों हो रही हो? क्या मैं तुम्हारे लिए दस पुत्रों से बढ़कर नहीं हूं?”

शीलो में एक मौके पर, जब वे खा-पी चुके थे, हन्‍नाह उठकर याहवेह के सामने चली गई. इस समय पुरोहित एली याहवेह के मंदिर के द्वार पर अपने आसन पर बैठे थे. जब हन्‍नाह याहवेह से प्रार्थना कर रही थी, वह मन में बहुत ही दुःखी थी. उसका रोना भी बहुत तेज होता जा रहा था. प्रार्थना करते हुए उसने यह शपथ की: “सर्वशक्तिमान याहवेह, यदि आप अपनी दासी की व्यथा पर करुणा-दृष्टि करें, मुझे स्मरण करें, तथा मेरी स्थिति को भुला न दें और अपनी दासी को पुत्र दें, तो मैं उसे आजीवन के लिए आपको समर्पित कर दूंगी. उसके केश कभी काटे न जाएंगे.”

जब वह याहवेह से प्रार्थनारत थी, एली उसके मुख को ध्यान से देख रहे थे. हन्‍नाह यह प्रार्थना अपने मन में कर रही थी. यद्यपि उनके ओंठ हिल रहे थे, उसका स्वर सुनाई नहीं देता था. यह देख एली यह समझे कि हन्‍नाह नशे में है. तब उन्होंने हन्‍नाह से कहा, “और कब तक रहेगा तुम पर यह नशा? बस करो अब यह दाखमधु पान.”

इस पर हन्‍नाह ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरे प्रभु, स्थिति यह नहीं है, मैं बहुत ही गहन वेदना में हूं. न तो मैंने दाखमधु पान किया है, और न ही द्राक्षारस. मैं अपनी पूरी वेदना याहवेह के सामने उंडेल रही थी. अपनी सेविका को निकम्मी स्त्री न समझिए, क्योंकि यहां मैं अपनी घोर पीड़ा और संताप में यह सम्भाषण कर रही थी.”

इस पर एली ने उससे कहा, “शांति में यहां से विदा हो. इस्राएल के परमेश्वर तुम्हारी अभिलाषित इच्छा पूरी करें.”

हन्‍नाह ने उत्तर दिया, “आपकी सेविका पर आपका अनुग्रह बना रहे.” यह कहते हुए अपने स्थान को लौट गई और वहां उसने भोजन किया. अब उसके चेहरे पर उदासी नहीं देखी गई.

प्रातः उन्होंने जल्दी उठकर याहवेह की आराधना की और वे अपने घर रामाह लौट गए. एलकाना तथा हन्‍नाह के संसर्ग होने पर याहवेह ने उसे याद किया. सही समय पर हन्‍नाह ने गर्भधारण किया और एक पुत्र को जन्म दिया. उसने यह याद करते हुए शमुएल1:20 शमुएल अर्थ परमेश्वर ने सुना नाम दिया, “मैंने याहवेह से इसकी याचना की थी.”

हन्‍नाह ने शमुएल को याहवेह को समर्पित किया

एलकाना सपरिवार याहवेह को अपनी वार्षिक बलि चढ़ाने और शपथ पूरी करने चला गया, मगर हन्‍नाह उसके साथ नहीं गई. उसने अपने पति से कहा, “जैसे ही शिशु दूध पीना छोड़ देगा, मैं उसे ले जाकर याहवेह के सामने प्रस्तुत करूंगी और फिर वह तब से हमेशा वहीं रहेगा.”

उसके पति एलकाना ने उससे कहा, “तुम्हें जो कुछ सही लगे वही करो. शिशु के दूध छोड़ने तक तुम यहीं ठहरी रहो. याहवेह अपने वचन को पूरा करें.” तब हन्‍नाह घर पर ही ठहरी रहीं और बालक का दूध छुड़ाने तक उसका पालन पोषण करती रहीं.

जब बालक ने दूध पीना छोड़ दिया, और बालक आयु में कम ही था, हन्‍नाह उसे और उसके साथ तीन बछड़े दस किलो आटा तथा एक कुप्पी भर अंगूर का रस लेकर शीलो नगर में याहवेह के मंदिर को गई. जब वे बछड़ों की बलि चढ़ा चुके, वह बालक को एली के पास ले गई. हन्‍नाह ने एली से कहा, “मेरे स्वामी, आपके जीवन की शपथ, मैं वही स्त्री हूं, जो आपकी उपस्थिति में एक दिन याहवेह से प्रार्थना कर रही थी. मैंने इस पुत्र की प्राप्‍ति की प्रार्थना की थी, और याहवेह ने मेरी विनती स्वीकार की है. अब मैं यह बालक याहवेह को ही समर्पित कर रही हूं. आज से यह बालक आजीवन याहवेह के लिए समर्पित है.” फिर उन सभी ने वहां याहवेह की स्तुति की.

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1 शमुएल 2:1-26

हन्‍नाह का प्रार्थना गीत

फिर हन्‍नाह ने यह प्रार्थना गीत गाया:

“मेरा हृदय याहवेह में आनंद कर रहा है;

याहवेह ने मेरे सींग को ऊंचा किया है,

मैं ऊंचे स्वर में शत्रुओं के विरुद्ध बोलूंगी,

क्योंकि मैं अपनी जय में आनंदित हूं.

“पवित्रता में कोई भी याहवेह समान नहीं है;

आपके अलावा दूसरा कोई भी नहीं है;

हमारे परमेश्वर समान चट्टान कोई नहीं.

“घमण्ड़ की बातें अब खत्म कर दी जाए,

कि कोई भी अहंकार भरी बातें तुम्हारे मुंह से न निकले,

क्योंकि याहवेह वह परमेश्वर हैं, जो सर्वज्ञानी हैं,

वह मनुष्य के कामों को परखते रहते हैं.

“वीरों के धनुष तोड़ दिए गए हैं,

मगर जो कमजोर थे उनका बल स्थिर हो गया.

वे, जो भरपेट भोजन कर संतुष्ट रहते थे, वे अब मजदूरी पाने के लिए काम ढूंढ़ रहे हैं.

मगर अब, जो भूखे रहा करते थे, भूखे न रहे.

वह जो बांझ हुआ करती थी, आज सात संतान की जननी है,

मगर वह, जो अनेक संतान की माता है, उसकी स्थिति दयनीय हो गई है.

“याहवेह ही हैं, जो प्राण ले लेते तथा जीवनदान देते हैं;

वही अधोलोक में भेज देते, तथा वही जीवित करते हैं.

याहवेह ही कंगाल बनाते, तथा वही धनी बनाते हैं;

वही गिराते हैं और वही उन्‍नत करते हैं.

वह निर्धन को धूलि से उठाते हैं,

वही दरिद्रों को भस्म के ढेर से उठाकर उन्‍नत करते हैं;

कि वे प्रधानों के सामने बैठ सम्मानित किए जाएं,

तथा वे ऊंचे पद पर बैठाए जाएं.

“पृथ्वी की नींव याहवेह की है;

उन्होंने इन्हीं पर पृथ्वी की स्थापना की है.

वह अपने श्रद्धालुओं की रक्षा करते रहते हैं,

मगर दुष्टों को अंधकार में निःशब्द कर दिया जाता है.

“क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने बल के कारण विजयी नहीं होता;

याहवेह के विरोधी चकनाचूर कर दिए जाएंगे.

याहवेह स्वर्ग से उनके विरुद्ध बिजली गिराएंगे;

याहवेह का न्याय पृथ्वी के एक छोर से दूसरे तक होता है.

“वह अपने राजा को शक्ति-सम्पन्‍न करते हैं,

तथा अपने अभिषिक्त के सींग को ऊंचा कर देते हैं.”

यह सब होने के बाद एलकाना रामाह नगर में अपना घर लौट गए, मगर वह बालक पुरोहित एली की उपस्थिति में रहकर याहवेह की सेवा करने लगा.

एली के पुत्रों द्वारा पवित्र पद की अवमानना

एली के पुत्र बुरे चरित्र के थे. उनके लिए न तो याहवेह के अधिकार का कोई महत्व था; और न ही बलि चढ़ाने की प्रक्रिया में जनसाधारण के साथ पुरोहितों की सामान्य रीति का. होता यह था कि जब बलि चढ़ाई जा चुकी थी, और बर्तन में मांस उबाला जा रहा था, पुरोहित का सेवक एक तीन तरफा कांटा लिए हुए बर्तन के निकट आता था, वह इसे बर्तन में डालकर चुभोता था और जितना मांस तीन तरफा कांटा में लगा हुआ आता था, उसे पुरोहित अपने लिए रख लेता था. ऐसा वे शीलो नगर में आए सभी इस्राएलियों के साथ करते थे. यहां तक कि सांस्कारिक रीति से चर्बी के जलाए जाने के पहले ही पुरोहित के सेवक आकर बलि चढ़ाने वाले व्यक्ति को आदेश देते थे, “बर्तन में डाले जाने के पहले ही पुरोहित के लिए निर्धारित मांस हमें कच्चा ही दे दो कि उसे भूनकर प्रयुक्त किया जा सके.”

यदि बलि अर्पित करनेवाला व्यक्ति उत्तर में यह कहता था, “ज़रा वसा तो जल जाने दो, फिर जो चाहे वह अंश ले लेना,” वे कहते थे, “नहीं, यह तो हम अभी ही ले जाएंगे; यदि नहीं दोगे, तो हम ज़बरदस्ती ले जाएंगे.”

याहवेह की दृष्टि में यह बहुत ही गंभीर पाप था; क्योंकि ऐसा करते हुए वे याहवेह को चढ़ाई गई बलि का अपमान कर रहे थे.

इस समय शमुएल याहवेह की उपस्थिति में रहते हुए सेवा कर रहे थे. वह पुरोहितों के समान ही वस्त्र धारण करते थे. जब उनकी माता अपने पति के साथ वार्षिक बलि चढ़ाने के लिए वहां आती थी, वह बालक शमुएल के लिए नियमित रूप से ऐसे वस्त्र बनाकर लाया करती थी. एलकाना तथा उनकी पत्नी के लिए एली इस प्रकार के आशीर्वाद दिया करते थे: “याहवेह तुम्हारे लिए इस स्त्री के द्वारा संतान प्रदान करें, कि जिस बालक को इसने याहवेह को समर्पित किया है, उसका खालीपन भर जाए.” तब वे अपने घर लौट जाते थे. तब याहवेह ने अपनी कृपादृष्टि में हन्‍नाह की सुधि ली. उसने गर्भधारण किया और उनके तीन पुत्र और दो पुत्रियां पैदा हुए. बालक शमुएल याहवेह के भवन में विकसित होते चले गए.

इस समय एली बहुत ही बूढ़े हो चुके थे. उन्हें इसकी सूचना दी जा चुकी थी कि अपने पुत्र इस्राएल के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं और वे उन स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध भी करते थे, जिन्हें मिलाप तंबू के प्रवेश पर सेवा के लिए नियुक्त किया जाता था. एली ने अपने पुत्रों से कहा, “तुम ये सब क्यों कर रहे हो? तुम्हारे इन सभी बुरे कामों की ख़बरें मुझे सभी के द्वारा मिल रही हैं. मेरे पुत्रो, यह गलत है. आज याहवेह की प्रजा में तुम्हारे किए हुए कामों की ख़बर जो फैली है, वह ठीक नहीं है. यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिए परमेश्वर द्वारा विनती संभव है; मगर यदि कोई याहवेह ही के विरुद्ध पाप करे, तब उसकी विनती के लिए कौन बाकी रह जाता है?” मगर एली के पुत्रों को उनके पिता का तर्क अस्वीकार ही रहा, क्योंकि याहवेह उनके प्राण लेने का निश्चय कर चुके थे.

इस समय बालक शमुएल बढ़ता जा रहा था. उस पर याहवेह की कृपादृष्टि तथा लोगों का प्रेम बना था.

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