โยนาห์ 1 – TNCV & HCV

Thai New Contemporary Bible

โยนาห์ 1:1-17

โยนาห์หนีจากองค์พระผู้เป็นเจ้า

1พระดำรัสจากองค์พระผู้เป็นเจ้ามาถึงโยนาห์บุตรอามิททัยว่า 2“จงไปยังนีนะเวห์นครใหญ่ เทศนาตักเตือนกรุงนั้นเพราะความชั่วช้าของเขากระฉ่อนขึ้นมาต่อหน้าเรา”

3แต่โยนาห์หนีจากองค์พระผู้เป็นเจ้ามุ่งหน้าไปยังเมืองทารชิช เขาเดินทางไปที่ยัฟฟาและพบเรือที่จะไปเมืองนั้น จึงจ่ายค่าโดยสารแล้วขึ้นเรือจะไปทารชิช เพื่อหนีจากองค์พระผู้เป็นเจ้า

4แล้วองค์พระผู้เป็นเจ้าทรงบันดาลให้เกิดพายุใหญ่เหนือทะเล พายุโหมกระหน่ำจนเรือแทบจะอับปางอยู่รอมร่อ 5ลูกเรือทั้งหมดกลัวมาก ต่างก็ร้องเรียกให้เทพเจ้าของตนมาช่วย และโยนสินค้าทิ้งไปเพื่อให้เรือเบาลง

ส่วนโยนาห์นอนหลับสนิทอยู่ในห้องข้างในเรือ 6นายเรือไปหาเขาและพูดว่า “ท่านหลับอยู่ได้อย่างไร? จงลุกขึ้นมาอ้อนวอนให้พระเจ้าของท่านช่วย! เผื่อพระองค์จะทรงพระกรุณา เราจะได้รอดตาย”

7แล้วลูกเรือทั้งหลายพูดกันว่า “ให้เรามาจับสลากดูว่าใครเป็นตัวการทำให้เกิดภัยพิบัติครั้งนี้” เขาจึงจับสลากกันและสลากนั้นตกแก่โยนาห์

8เขาก็ถามโยนาห์ว่า “บอกเรามาเถิดว่าใครเป็นต้นเหตุสร้างความเดือดร้อนให้เราในครั้งนี้? ท่านทำอะไร? มาจากที่ไหน? อยู่ประเทศอะไร? เป็นคนชาติไหน?”

9โยนาห์ตอบว่า “ข้าพเจ้าเป็นชาวฮีบรู นับถือพระยาห์เวห์พระเจ้าแห่งฟ้าสวรรค์ผู้ทรงสร้างทะเลและแผ่นดิน”

10พวกเขาฟังแล้วตกใจมากและถามว่า “ท่านทำอะไรลงไป?” (พวกเขารู้ว่าโยนาห์หลบหนีองค์พระผู้เป็นเจ้ามา เพราะโยนาห์เล่าให้ฟังก่อนหน้านี้แล้ว)

11ทะเลยิ่งปั่นป่วนขึ้นทุกทีๆ พวกเขาจึงถามโยนาห์ว่า “เราควรทำอย่างไรกับท่านดีทะเลจึงจะสงบ?”

12โยนาห์ตอบว่า “จับข้าพเจ้าโยนลงทะเลเถิด แล้วทะเลก็จะสงบ ข้าพเจ้ารู้ว่าที่เกิดพายุรุนแรงครั้งนี้ก็เพราะข้าพเจ้าผิดเอง”

13คนเหล่านั้นพยายามกรรเชียงพาเรือเข้าฝั่ง แต่ทำไม่ได้ เพราะทะเลยิ่งปั่นป่วนมากขึ้นไปอีก 14พวกเขาจึงร้องทูลต่อองค์พระผู้เป็นเจ้าว่า “โอ องค์พระผู้เป็นเจ้าขออย่าให้พวกเราต้องตายเพราะเอาชีวิตชายผู้นี้เลย อย่าให้เราต้องรับโทษที่ฆ่าคนที่ไม่มีความผิดเลย ข้าแต่องค์พระผู้เป็นเจ้า เพราะพระองค์เองทรงกระทำไปตามที่ทรงเห็นชอบ” 15แล้วพวกเขาก็จับโยนาห์โยนลงจากเรือ ทะเลที่ปั่นป่วนก็สงบราบเรียบ 16คนทั้งหลายจึงยำเกรงองค์พระผู้เป็นเจ้ายิ่งนัก เขาถวายเครื่องบูชาแด่องค์พระผู้เป็นเจ้าและถวายปฏิญาณต่อพระองค์

17แต่องค์พระผู้เป็นเจ้าทรงใช้ปลาใหญ่มากลืนโยนาห์เข้าไป และโยนาห์อยู่ในท้องปลาสามวันสามคืน

Hindi Contemporary Version

योनाह 1:1-17

योनाह का भागना

1याहवेह का यह वचन अमितै के पुत्र योनाह के पास पहुंचा: 2“उठो और उस महानगर नीनवेह को जाओ और उसके निवासियों के विरुद्ध घोषणा करो, क्योंकि उनकी दुष्टता मेरी दृष्टि में आ गई है.”

3पर योनाह याहवेह की उपस्थिति से भागने के उद्देश्य से तरशीश जाने के लिए योप्पा जा पहुंचा. वहां उसे एक पानी जहाज़ मिला, जो तरशीश जाने पर था. किराया देने के बाद, वह पानी जहाज़ में चढ़ गया कि वह याहवेह की उपस्थिति से भागकर वह दूसरे यात्रियों के साथ तर्शीश पहुंच सके.

4तब याहवेह ने समुद्र पर एक प्रचंड आंधी चलाई, और सतह पर ऐसा भयंकर तूफान उठा कि पानी जहाज़ के टूटने की स्थिति उत्पन्‍न हो गई. 5सब नाविक भयभीत हो गए और हर एक अपने-अपने देवता को पुकारने लगा. और वे पानी जहाज़ में लदी हुई सामग्री को समुद्र में फेंकने लगे ताकि जहाज़ का बोझ कम हो जाए.

किंतु इस समय योनाह जहाज़ के निचले भाग में जाकर गहरी नींद में पड़ा हुआ था. 6जहाज़ का कप्‍तान उसके पास गया और उसे जगाकर कहा, “तुम ऐसी स्थिति में कैसे सो सकते हो? उठो और अपने ईश्वर को पुकारो! संभव है कि तुम्हारा ईश्वर हम पर कृपा करे और हम नाश होने से बच जाएं.”

7तब नाविकों ने एक दूसरे को कहा, “ऐसा करें, हम चिट्ठी डालकर यह पता करें कि किसके कारण हम पर यह विपत्ति आई है.” तब उन्होंने चिट्ठी डाली और चिट्ठी योनाह के नाम पर निकली. 8इस पर उन्होंने योनाह से पूछा, “हमें बता कि हम पर यह विपत्ति किसके कारण आई है? तू क्या काम करता है? तू कहां से आ रहा है? तू किस देश और किस जाति का है?”

9योनाह ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं एक इब्री हूं और मैं उस याहवेह, स्वर्ग के परमेश्वर की आराधना करता हूं, जिन्होंने समुद्र तथा भूमि की सृष्टि की है.”

10यह सुनकर वे भयभीत हो गए और उन्होंने योनाह से कहा, “तुमने यह क्या कर डाला?” (क्योंकि योनाह उन्हें यह बता चुका था कि वह याहवेह की उपस्थिति से भाग रहा था.)

11इस पर उन्होंने योनाह से पूछा, “अब हम तुम्हारे साथ क्या करें कि हमारे लिये समुद्र शांत हो जाए?” क्योंकि समुद्र की लहरें और भी उग्र होती जा रही थी.

12योनाह ने कहा, “मुझे उठाकर समुद्र में फेंक दें. तब समुद्र शांत हो जाएगा. क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारे ऊपर यह बड़ा तूफान मेरे ही कारण आया है.”

13फिर भी, नाविकों ने जहाज़ को तट तक ले जाने की बहुत कोशिश की. पर वे सफल न हुए, क्योंकि समुद्र पहले से और उग्र होता जा रहा था. 14तब उन्होंने ऊंचे स्वर में याहवेह को यह कहकर पुकारा, “हे याहवेह, इस व्यक्ति का प्राण लेने के कारण, कृपया हमें नाश न होने दें. हमें एक निर्दोष को मारने का दोषी न ठहराएं, क्योंकि आपने वही किया है, जो आपको अच्छा लगा.” 15तब उन्होंने योनाह को उठाकर समुद्र में फेंक दिया और उग्र समुद्र शांत हो गया. 16इससे उन व्यक्तियों ने याहवेह का बहुत भय माना, और उन्होंने याहवेह के लिए एक बलि चढ़ाई और मन्‍नतें मानीं.

योनाह की प्रार्थना

17याहवेह ने एक विशाल मछली ठहरायी थी, जिसने योनाह को निगल लिया, और योनाह उस मछली के पेट में तीन दिन और तीन रात रहा.