เฉลยธรรมบัญญัติ 19 – TNCV & HCV

Thai New Contemporary Bible

เฉลยธรรมบัญญัติ 19:1-21

เมืองลี้ภัย

(กดว.35:6-34; ฉธบ.4:41-43; ยชว.20:1-9)

1เมื่อพระยาห์เวห์พระเจ้าของท่านทรงทำลายชนชาติต่างๆ ในดินแดนซึ่งพระองค์กำลังจะประทานแก่ท่าน เมื่อท่านขับไล่พวกเขาออกไปและตั้งถิ่นฐานในบ้านเมืองของเขาแล้ว 2จงเลือกเมืองสามแห่งในดินแดนซึ่งพระยาห์เวห์พระเจ้าของท่านกำลังประทานแก่ท่าน 3จงสร้างทางไปยังเมืองเหล่านี้และแบ่งดินแดนซึ่งพระยาห์เวห์พระเจ้าของท่านประทานเป็นกรรมสิทธิ์นั้นออกเป็นสามส่วนเพื่อผู้ที่ฆ่าคนจะหนีไปลี้ภัยที่นั่น

4ต่อไปนี้คือกฎเกี่ยวกับผู้ที่ทำให้คนตายแล้วหนีไปเมืองลี้ภัยเพื่อเอาชีวิตรอด คือผู้ที่ทำให้คนตายโดยไม่เจตนา ไม่ได้วางแผนการร้ายมาก่อน 5ยกตัวอย่างเช่นชายคนหนึ่งเข้าไปตัดไม้ในป่ากับเพื่อนบ้าน ขณะที่เหวี่ยงขวาน หัวขวานกระเด็นออกมาถูกเพื่อนบ้านถึงแก่ความตาย เขาสามารถหนีไปยังเมืองลี้ภัยแห่งใดแห่งหนึ่งในสามเมืองนี้และได้รับการคุ้มครอง 6ถ้ามีเพียงเมืองเดียวอาจจะไกลเกินไป ทำให้ญาติของผู้ตายตามล้างแค้นเขาได้ทัน เขาจะถูกฆ่าทั้งๆ ที่ไม่น่าจะต้องตาย ในเมื่อสิ่งที่เกิดขึ้นนั้นเป็นอุบัติเหตุ 7ด้วยเหตุนี้ข้าพเจ้าจึงสั่งให้ท่านตั้งเมืองสามแห่งนี้ขึ้น

8หากพระยาห์เวห์พระเจ้าของท่านทรงขยายอาณาเขตของท่านตามที่ทรงสัญญาด้วยคำปฏิญาณไว้กับบรรพบุรุษของท่าน และประทานดินแดนทั้งหมดที่ทรงสัญญาไว้ 9เนื่องจากท่านเชื่อฟังบทบัญญัติทั้งปวงซึ่งข้าพเจ้าแจ้งท่านในวันนี้ คือรักพระยาห์เวห์พระเจ้าของท่านและดำเนินในทางของพระองค์เสมอ เมื่อนั้นจงกำหนดเมืองลี้ภัยขึ้นอีกสามแห่ง 10จงทำอย่างนี้เพื่อเลือดของผู้บริสุทธิ์จะไม่ต้องหลั่งลงบนดินแดนซึ่งพระยาห์เวห์พระเจ้าของท่านประทานให้ท่านเป็นกรรมสิทธิ์ และเพื่อท่านจะไม่มีความผิดฐานทำให้เลือดตกยางออก

11แต่หากผู้ใดเกลียดชังเพื่อนบ้าน และซุ่มดักคอยเล่นงาน และฆ่าเขา แล้วหนีเข้าไปในเมืองลี้ภัยไม่ว่าแห่งใด 12บรรดาผู้อาวุโสประจำเมืองของเขาจะส่งคนมาจับกุมตัวเขาและนำเขากลับมามอบให้แก่ผู้แก้แค้นแทนผู้ตายเพื่อประหาร 13อย่าสงสารเขาเลย จงขจัดความผิดจากการหลั่งโลหิตของผู้ที่ไม่มีความผิดออกไปจากอิสราเอล เพื่อท่านจะอยู่อย่างร่มเย็นเป็นสุข

14อย่าโยกย้ายหลักเขตของเพื่อนบ้านซึ่งบรรพบุรุษปักไว้ในดินแดนซึ่งพระยาห์เวห์พระเจ้าของท่านประทานเป็นกรรมสิทธิ์

พยาน

15อย่าตัดสินคดีผู้ใดเมื่อมีพยานเพียงปากเดียว แต่ละคดีจะต้องมีพยานยืนยันสองสามปาก

16ถ้าผู้ใดเป็นพยานมุ่งร้ายกล่าวโทษอีกผู้หนึ่งว่าประกอบอาชญากรรม 17ทั้งคู่ต้องมายืนอยู่ต่อหน้าองค์พระผู้เป็นเจ้าต่อหน้าปุโรหิตและตุลาการซึ่งประจำหน้าที่ขณะนั้น 18ตุลาการจะต้องไต่สวนอย่างถี่ถ้วน หากพิสูจน์ได้ว่าพยานโกหก เป็นพยานเท็จกล่าวร้ายพี่น้องของเขา 19โทษทัณฑ์ซึ่งเขาตั้งใจจะให้ตกแก่พี่น้องจะตกที่เขาเอง ท่านจะต้องขจัดความชั่วร้ายออกไปจากหมู่พวกท่าน 20แล้วประชาชนอื่นๆ ที่ได้ยินเรื่องนี้จะขยาดกลัว และจะไม่มีใครกล้าทำชั่วอย่างนี้ในหมู่พวกท่านอีก 21อย่าสงสารเขาเลย ชีวิตแทนชีวิต ตาแทนตา ฟันแทนฟัน มือแทนมือ และเท้าแทนเท้า

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 19:1-21

शरण शहर संबंधित विधान

1जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर जनताओं को नाश करेंगे, जिनकी भूमि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं, जिस भूमि से तुम उन्हें दूर कर दोगे, और उनके नगरों और घरों में जा बसोगे, 2तुम्हें उस देश में, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें अधिकार करने के उद्देश्य से दे रहे हैं, अपने लिए तीन नगर अलग कर देने होंगे. 3तुम्हें अपने लिए मार्गों का निर्माण करना होगा. तुम पूरे भाग को, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें संपत्ति के रूप में प्रदान करेंगे, तीन भागों में बांटोगे, जिससे की हत्यारा पलायन कर यहां शरण ले सके.

4उस व्यक्ति के लिए, जो पलायन कर इन नगरों में आश्रय लेता है, कि वह जीवित रह सके, विधान यह है: यदि किसी व्यक्ति से अपने साथी की हत्या जानबूझकर नहीं होती, जिसके हृदय में उस साथी के प्रति घृणा नहीं थी. 5उदाहरणार्थ, जब कोई व्यक्ति अपने साथी के साथ कुल्हाड़ी ले वन में लकड़ी काटने गया हो, वह लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी का वार करता है और उसी समय कुल्हाड़ी बेंट से निकलकर उस साथी को जा लगती है, और उसकी मृत्यु हो जाती है, वह व्यक्ति पलायन कर इनमें से किसी एक नगर को चला जाए, कि उसके प्राण सुरक्षित रह सकें. 6नहीं तो, हत्या का बदला लेनेवाला क्रोध में उसका पीछा करे और मार्ग लंबा होने के कारण उसे पकड़कर उसकी हत्या ही कर डाले-जबकि वह मृत्यु दंड के योग्य नहीं था, क्योंकि उसके मन में मृतक के प्रति कोई बैर था ही नहीं. 7तब मेरा यह आदेश है, तुम्हें अपने लिए इस उद्देश्य से तीन नगर अलग करना ज़रूरी है.

8यदि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारी सीमा का आवर्धन करें; ठीक जैसी प्रतिज्ञा उन्होंने पूर्वजों से शपथ के साथ की थी, और वह तुम्हें वे सारे देश दे देते हैं, 9यदि तुम सावधानीपूर्वक इस पूरा आदेश का पालन करते हो, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूं—याहवेह, अपने परमेश्वर से प्रेम करो और हमेशा उन्हीं की नीतियों का पालन करते रहो—तो तुम इन तीन नगरों के अलावा तीन अन्य नगर भी शामिल कर लोगे. 10परिणामस्वरूप तुम्हारे देश में, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास-स्वरूप प्रदान कर रहे हैं, तुम पर मनुष्य हत्या का दोष न आ पड़े और तुम्हारे बीच में किसी निर्दोष को मृत्यु दंड न दे दिया जाए.

11मगर यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के प्रति बैर के कारण घात लगाकर बैठकर उस पर प्रहार करके उसकी मृत्यु हो जाती है, तब वह इनमें से किसी एक नगर को पलायन कर जाता है, 12तब नगर के पुरनिए उसे वहां से लेकर मृत्यु दंड के लिए हत्या का बदला लेनेवाले को सौंप देंगे. 13तुम उस पर ज़रा भी कृपा नहीं करोगे. तुम्हें इस्राएल राष्ट्र में से निर्दोष की हत्या को शुद्ध करते हुए उसका दोष दूर करना है, कि तुम्हारा भला हो.

14उस देश में, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास के रूप में दे रहे हैं, कि तुम इस पर अधिकार कर लो, तुम अपने पड़ोसी की उन सीमा-चिन्हों के साथ छेड़-छाड़ नहीं करोगे, जो पहले ही उनके पूर्वजों द्वारा तय की जा चुकी थी.

गवाही के नियम

15किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी भी पाप के काम या पाप के बारे में सिर्फ एक व्यक्ति का गवाह होना स्वीकार नहीं हो सकता; एक बात की पुष्टि के लिए दो या तीन गवाहों की ज़रूरत होती है.

16यदि कोई झूठा गवाह उठकर किसी पर किसी गलत काम का आरोप लगाए, 17तो दोनों विवादी याहवेह के सामने और उन पुरोहितों और न्यायाध्यक्षों के सामने उपस्थित होंगे, जो उस अवसर पर न्यायी होंगे. 18न्यायाध्यक्ष बारीकी से पूछताछ करेंगे और यदि यह मालूम हो जाए, कि वह झूठा गवाह है और उसने अपने भाई पर झूठा आरोप लगाया है, 19तब तुम उसके साथ वही करोगे, जो उसके भाई के प्रति उसकी मंशा थी. अपने बीच की बुराई तुम इसी तरह से निकालोगे. 20बाकी लोग यह सुनकर डर जाएंगे और ऐसी स्थिति तुम्हारे बीच फिर कभी न होगी. 21इस विषय में कृपा दिखाई न जाए: प्राण का बदला प्राण से, आंख का आंख से, दांत का दांत से, हाथ का हाथ से, पैर का पैर से किया जाए.