นางรูธ 1 – TNCV & HCV

Thai New Contemporary Bible

นางรูธ 1:1-22

นาโอมีกับรูธ

1สมัยที่ผู้วินิจฉัยปกครองอยู่เกิดการกันดารอาหารขึ้นในแผ่นดินนั้น ชายคนหนึ่งจากเบธเลเฮมในเขตยูดาห์กับภรรยาและบุตรชายสองคนจึงไปอาศัยอยู่ในดินแดนโมอับระยะหนึ่ง 2ชายคนนั้นชื่อเอลีเมเลค ภรรยาของเขาชื่อนาโอมี และบุตรชายสองคนชื่อมาห์โลนและคิลิโอน พวกเขาเป็นชาวถิ่นเอฟราธาห์จากเบธเลเฮมในเขตยูดาห์ พวกเขาย้ายไปอาศัยอยู่ที่โมอับ

3ต่อมาเอลีเมเลคสามีของนาโอมีสิ้นชีวิต เหลือนาโอมีกับบุตรชายทั้งสอง 4พวกเขาแต่งงานกับหญิงชาวโมอับ คนหนึ่งชื่อโอรปาห์ อีกคนหนึ่งชื่อรูธ หลังจากที่พวกเขาอาศัยอยู่ที่นั่นราวสิบปี 5ทั้งมาห์โลนและคิลิโอนก็สิ้นชีวิต จึงเหลือแต่นาโอมี

6เมื่ออยู่ในโมอับ นางได้ข่าวว่าองค์พระผู้เป็นเจ้าทรงเสด็จมาช่วยเหล่าประชากรของพระองค์โดยประทานอาหารแก่พวกเขา นาโอมีกับลูกสะใภ้ทั้งสองก็เตรียมตัวเดินทางจากโมอับกลับบ้าน 7นางกับลูกสะใภ้สองคนออกจากถิ่นที่อยู่ และเริ่มเดินไปตามเส้นทางที่จะกลับไปยังดินแดนยูดาห์

8แล้วนาโอมีกล่าวกับลูกสะใภ้ทั้งสองว่า “ลูกทั้งสองกลับบ้านไปหาแม่ของลูกเถิดนะ ขอองค์พระผู้เป็นเจ้าทรงสำแดงความเมตตาแก่เจ้าที่ได้จงรักภักดีต่อแม่และสามีผู้ล่วงลับ 9และขอองค์พระผู้เป็นเจ้าทรงอวยพรให้ลูกได้ออกเรือนแต่งงานใหม่”

แล้วนางก็จูบลาลูกสะใภ้ทั้งสองและทั้งสองก็ร่ำไห้สะอึกสะอื้น 10และกล่าวกับนางว่า “เราจะไปกับแม่ ไปหาญาติของแม่”

11แต่นาโอมีตอบว่า “กลับบ้านเถิดลูกเอ๋ย จะไปกับแม่ทำไม? แม่จะมีลูกชายที่จะให้เป็นสามีของเจ้าได้อีกหรือ? 12กลับไปบ้านของลูกเถิด แม่เองก็แก่ชราเกินกว่าจะมีสามีอีก ถึงแม้แม่จะคิดว่ายังมีหวังที่จะได้สามีในคืนนี้และมีลูกชาย 13ลูกจะรอให้เขาโตขึ้นมาหรือ? ลูกจะไม่แต่งงานเพื่อคอยเขาหรือ? อย่าเลยลูกเอ๋ย แม่มีความขมขื่นมากยิ่งกว่าลูกเสียอีก เพราะองค์พระผู้เป็นเจ้าเองทรงกระทำให้แม่ทุกข์ยาก!”

14แล้วทั้งสามคนก็ร้องไห้ด้วยกันอีก จากนั้นโอรปาห์จึงจูบลาแม่สามีและกลับไป แต่รูธยืนกรานจะอยู่กับนาโอมี

15นาโอมีกล่าวกับนางว่า “ดูซิสะใภ้อีกคนก็กลับไปหาญาติและพระของเขา เจ้าก็ควรกลับไปด้วย”

16แต่รูธตอบว่า “อย่าคะยั้นคะยอให้ลูกทิ้งแม่ไปเลย แม่ไปไหนลูกจะไปด้วย แม่อยู่ที่ไหนลูกจะอยู่ด้วย ญาติของแม่จะเป็นญาติของลูก และพระเจ้าของแม่จะเป็นพระเจ้าของลูกด้วย 17แม่ตายที่ไหนลูกจะตายที่นั่นด้วย และขอให้ถูกฝังอยู่ในที่เดียวกัน ถ้าลูกยอมให้มีอะไรมาแยกเราจากกันนอกจากความตาย ขอองค์พระผู้เป็นเจ้าทรงจัดการกับลูกอย่างหนัก” 18เมื่อนาโอมีเห็นว่ารูธตั้งใจแน่วแน่ที่จะไปด้วยก็เลิกรบเร้านาง

19หญิงทั้งสองจึงเดินทางมายังเบธเลเฮม ทั่วทั้งเมืองพากันแตกตื่นเมื่อเห็นนางทั้งสองมา พวกผู้หญิงถามกันว่า “นี่นาโอมีจริงๆ หรือ?”

20นางตอบว่า “อย่าเรียกฉันว่านาโอมี1:20 แปลว่า อภิรมย์ เช่นเดียวกับข้อ 21เลย เรียกฉันว่ามารา1:20 แปลว่า ขมเถอะ เพราะว่าองค์ทรงฤทธิ์ทำให้ชีวิตของฉันขมขื่นมาก 21ฉันมีทุกอย่างครบบริบูรณ์เมื่อจากเมืองนี้ไป แต่องค์พระผู้เป็นเจ้าทรงนำฉันกลับมามือเปล่า ทำไมจึงเรียกฉันว่านาโอมี? ในเมื่อองค์พระผู้เป็นเจ้าทรงทำให้ฉันปวดร้าวและองค์ทรงฤทธิ์ทำให้ฉันต้องประสบเคราะห์กรรม”

22ช่วงเวลาที่นาโอมีและรูธลูกสะใภ้ชาวโมอับจากโมอับมาสู่เบธเลเฮมนั้นตรงกับต้นฤดูเกี่ยวข้าวบาร์เลย์

Hindi Contemporary Version

रूथ 1:1-22

नावोमी के पति और पुत्रों की मृत्यु

1प्रशासकों के शासनकाल में सारे देश में एक अकाल पड़ा. यहूदिया के बेथलेहेम नगर का एक व्यक्ति अपनी पत्नी तथा पुत्रों के साथ मोआब देश में प्रवास करने के लिए चला गया. 2इस व्यक्ति का नाम एलिमेलेख, उसकी पत्नी का नाम नावोमी, तथा उसके पुत्रों के नाम मह्‍लोन तथा किल्‍योन थे. ये यहूदाह के बेथलेहेम के इफ्ऱथ परिवार से थे.

3कुछ समय बाद एलिमेलेख की मृत्यु हो गई. अब नावोमी अपने पुत्रों के साथ अकेली रह गई. 4उनके पुत्रों ने मोआब देश की ही युवतियों से विवाह कर लिया. एक का नाम था ओरपाह और दूसरी का रूथ. मोआब देश में उनके लगभग दस वर्ष रहने के बाद, 5मह्‍लोन तथा किल्‍योन की मृत्यु हो गई. अब नावोमी अपने दोनों पुत्रों तथा पति के बिना अकेली रह गई.

नावोमी के प्रति रूथ की निष्ठा

6यह पता पड़ने पर कि याहवेह ने अपनी प्रजा को भोजन देकर उनकी सुधि ली है, नावोमी ने अपनी दोनों बहुओं के साथ मोआब देश से यहूदिया को लौट जाने का विचार किया. 7तब जहां वह रह रही थी वह स्थान छोड़कर अपनी बहुओं के साथ यहूदिया के मार्ग पर चल पड़ीं.

8मार्ग में नावोमी ने अपनी बहुओं से कहा, “तुम दोनों अपने-अपने मायके लौट जाओ. याहवेह तुम पर वैसे ही दयालु हों, जैसी तुम मृतकों तथा मुझ पर दयालु रही हो. 9याहवेह की कृपादृष्टि में तुम्हें अपने-अपने होनेवाले पति के घर में सुख-शांति प्राप्‍त हो.”

तब नावोमी ने उनको चूमा और वे फफक-फफक कर रोती रहीं. 10उन्होंने नावोमी को उत्तर दिया, “नहीं, हम आपके साथ, आपके ही लोगों में जा रहेंगी.”

11किंतु नावोमी ने उनसे कहा, “लौट जाओ मेरी पुत्रियो, तुम भला क्यों मेरे साथ जाओगी? क्या अब भी मेरे गर्भ में पुत्र हैं, जो तुम्हारे पति बन सकें? 12लौट जाओ मेरी पुत्रियो, अपने घर लौट जाओ, क्योंकि मेरी आयु वह नहीं रही, कि मैं दोबारा विवाह कर सकूं. यदि मैं यह भी कहूं कि मुझे आशा है, यदि मैं आज रात विवाह कर गर्भधारण भी कर लूं, 13तो क्या तुम उनके युवा होने का इंतजार करोगी? तो क्या तुम तब तक विवाह न करोगी? नहीं, मेरी पुत्रियो, मेरे हृदय का दुःख बहुत ही गहरा है, क्योंकि स्वयं याहवेह मेरे विरुद्ध हो गए हैं!”

14तब वे दोबारा फफक-फफक कर रोने लगीं; फिर ओरपाह ने अपनी सास को चूमा, और उनसे विदा हो गई, किंतु रूथ ने अपनी सास को न छोड़ा.

15नावोमी ने रूथ से कहा, “सुनो, तुम्हारी जेठानी तो अपने लोगों तथा अपने देवताओं के पास लौट गई है. तुम भी अपनी जेठानी के समान लौट जाओ.”

16किंतु रूथ ने उसे उत्तर दिया, “आप मुझे न तो लौट जाने के लिए मजबूर करें और न आपको छोड़ने के लिए, क्योंकि आप जहां भी जाएंगी, मैं आपके ही साथ जाऊंगी और जहां आप रहेंगी, मैं वहीं रहूंगी. आपके लोग मेरे लोग होंगे तथा आपके परमेश्वर मेरे परमेश्वर; 17जिस स्थान पर आप आखिरी सांस लें, मैं भी वहीं आखिरी सांस लूं, और वहीं मुझे भी मिट्टी दी जाए. अब यदि मृत्यु के अलावा मेरा आपसे अलग होने का कोई और कारण हो, तो याहवेह मुझे कठोर से कठोर दंड दें.” 18जब नावोमी ने यह देखा कि रूथ उनके साथ जाने के लिए दृढ़ निश्चयी है, तब उन्होंने रूथ को मजबूर करने की और कोशिश न की.

19तब वे आगे चलते-चलते बैथलेहम पहुंच गई. जब उन्होंने बेथलेहेम नगर में प्रवेश किया, उन्हें देख नगर में उत्तेजना की लहर दौड़ गई. अचंभे में स्त्रियां पूछने लगीं, “कहीं यह नावोमी तो नहीं?”

20“मत कहो मुझे नावोमी1:20 नावोमी अर्थ मेरी खुशी! मारा1:20 मारा अर्थ कड़वा कहो मुझे, मारा! उसने उत्तर दिया, क्योंकि सर्वशक्तिमान ने मेरे जीवन को कड़वाहट से भर दिया है. 21मैं यहां से तो भरी पूरी गई थी, किंतु याहवेह मुझे यहां खाली हाथ लौटा लाएं हैं. तब मुझे नावोमी क्यों पुकारा जाए? जब याहवेह ने ही मुझे यह दंड दिया है, तथा सर्वशक्तिमान द्वारा ही मुझ पर यह मुसीबत डाली गई है.”

22इस प्रकार नावोमी मोआब देश से अपनी बहू रूथ के साथ, जो मोआब की रहनेवाली थी, लौट आई. बेथलेहेम नगर में यह जौ की कटाई का समय था.