استر 1 – PCB & HCV

Persian Contemporary Bible

استر 1:1‏-22

ملكه وشتی بركنار می‌شود

1‏-3خشايارشا، پادشاه پارس، بر سرزمين پهناوری سلطنت می‌كرد كه از هند تا حبشه را در بر می‌گرفت و شامل ۱۲۷ استان بود.

او در سال سوم سلطنت خود، در كاخ سلطنتی شوش جشن بزرگی بر پا نمود و تمام بزرگان و مقامات مملكتی را دعوت كرد. فرماندهان لشكر پارس و ماد همراه با اميران و استانداران در اين جشن حضور داشتند. 4در طی اين جشن كه شش ماه طول كشيد، خشايارشا تمام ثروت و شكوه و عظمت سلطنت خود را به نمايش گذاشت.

5پس از پايان جشن، خشايارشا برای تمام كسانی كه در شوش زندگی می‌كردند، فقير و غنی، ميهمانی هفت روزه‌ای در باغ كاخ سلطنتی ترتيب داد. 6محل ميهمانی با پرده‌هايی از كتان سفيد و آبی تزيين شده بود. اين پرده‌ها با ريسمانهای سفيد و ارغوانی كه داخل حلقه‌های نقره‌ای قرار داشتند از ستونهای مرمر آويزان بود. تختهای طلا و نقره روی سنگفرشهايی از سنگ سماک، مرمر، صدف مرواريد و فيروزه قرار داشت. 7از كرم پادشاه، شراب شاهانه فراوان بود و در جامهای طلايی كه شكلهای گوناگون داشت، صرف می‌شد. 8پادشاه به پيشخدمتهای دربار دستور داده بود ميهمانان را در نوشيدن آزاد بگذارند، پس ايشان به دلخواه خود، هر قدر كه می‌خواستند شراب می‌نوشيدند.

9در همان هنگام، ملكه وشتی هم برای زنان دربار ضيافتی ترتيب داده بود.

10در آخرين روز ميهمانی، پادشاه كه از باده‌نوشی سرمست شده بود، هفت خواجهٔ حرمسرا يعنی مهومان، بزتا، حربونا، بغتا، ابغتا، زاتر و كركس را كه خادمان مخصوص او بودند احضار كرد. 11او به آنان دستور داد ملكه وشتی را كه بسيار زيبا بود با تاج ملوكانه به حضورش بياورند تا زيبايی او را به مقامات و مهمانانش نشان دهد. 12اما وقتی خواجه‌سرایان فرمان پادشاه را به ملكه وشتی رساندند، او از آمدن سرباز زد. پادشاه از اين موضوع بسيار خشمناک شد؛ 13‏-14اما پيش از آنكه اقدامی كند، اول از مشاوران خود نظر خواست، چون بدون مشورت با آنها كاری انجام نمی‌داد. مشاوران او مردانی دانا و آشنا به قوانين و نظام دادگستری پارس بودند و پادشاه به قضاوت آنها اعتماد داشت. نام اين دانشمندان كرشنا، شيتار، ادماتا، ترشيش، مرس، مرسنا و مموكان بود. اين هفت نفر جزو مقامات عالی رتبهٔ پارس و ماد و از اميران ارشد مملكتی بودند. 15خشايارشا از ايشان پرسيد: «در مورد ملكه وشتی چه بايد كرد؟ زيرا از فرمان پادشاه كه به او ابلاغ شده، سر باز زده است. قانون چه مجازاتی برای چنين شخصی تعيين كرده است؟»

16مموكان خطاب به پادشاه و اميران دربار گفت: «ملكه وشتی نه فقط به پادشاه بلكه به اميران دربار و تمام مردم مملكت اهانت كرده است. 17هر زنی كه بشنود ملكه وشتی چه كرده است، او نيز از دستور شوهرش سرپيچی خواهد كرد. 18وقتی زنانِ اميرانِ دربارِ پارس و ماد بشنوند كه ملكه چه كرده، آنان نيز با شوهرانشان چنين خواهند كرد و اين بی‌احترامی و سركشی به همه جا گسترش خواهد يافت. 19بنابراين، اگر پادشاه صلاح بدانند، فرمانی صادر كنند تا در قوانين ماد و پارس كه هرگز تغيير نمی‌كند ثبت گردد و بر طبق آن فرمان، ملكه وشتی ديگر به حضور پادشاه شرفياب نشود. آنگاه زن ديگری كه بهتر از او باشد به جای وی به عنوان ملكه انتخاب شود. 20وقتی اين فرمان در سراسر اين سرزمين پهناور اعلام شود آنگاه در همه جا شوهران، هر مقامی كه داشته باشند، مورد احترام زنانشان قرار خواهند گرفت.»

21پيشنهاد مموكان مورد پسند پادشاه و اميران دربار واقع شد و خشايارشا مطابق صلاحديد او عمل كرد 22و به تمام استانها، هر يک به خط و زبان محلی، نامه فرستاده، اعلام داشت كه هر مرد بايد رئيس خانهٔ خود باشد.

Hindi Contemporary Version

एस्तेर 1:1-22

रानी वश्ती की पदच्युति

1राजा अहषवेरोष के शासनकाल में, जिसका साम्राज्य हिंद देश1:1 हिंद देश सिंधु नदी के पास का क्षेत्र से कूश1:1 कूश नील नदी का ऊपरी क्षेत्र तक 127 राज्यों तक विस्तीर्ण था, 2जब वह राजधानी शूशन में अपने राज सिंहासन पर विराजमान था, 3अपने शासनकाल के तीसरे वर्ष में उसने अपने समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए एक विशिष्ट उत्सव का आयोजन किया. फारस एवं मेदिया के सेनापति, सारे सांसद एवं राज्यपाल इस भोज में उसके साथ शामिल हुए.

4यह भोज 180 दिन चलता रहा, जिसमें राजा ने अपना राजसी वैभव, समृद्धि एवं संपत्ति का प्रदर्शन किया. 5जब इस काल का अंत हुआ, राजा ने राजधानी शूशन में उपस्थित समस्त प्रजा के लिए; चाहे वह सामान्य हो अथवा विशिष्ट, राजमहल के उद्यान के आंगन में सात दिनों का एक विशेष भोज आयोजित किया. 6इस स्थल को सफेद तथा बैंगनी वस्त्रों का उत्कृष्ट सन के पर्दे बैंजनी डोरियों द्वारा चांदी की छड़ों से लटकाकर सजाया गया था. ये छड़ें संगमरमर के स्तंभों पर लगी थी. वहां सोना एवं चांदी के आसन सजाए गए थे इस स्थल को संगमरमर के खंभों, अमूल्य रत्नों तथा अमूल्य पत्थरों से गढ़ा गया था. 7दाखमधु सोने के विभिन्‍न प्रकार के बर्तनों में परोसी जा रही थी. राजकीय दाखमधु राजा के बड़े भंडार में से बहुतायत से परोसी जा रही थी. 8पेय परोसने के विषय में आज्ञा थी कि किसी को इसके पीने के लिए मजबूर न किया जाए क्योंकि राजा ने राज कर्मचारियों को यह आज्ञा दी थी कि वे वही करें जैसा हर एक बुलाए गए लोग चाहते है.

9रानी वश्ती ने भी राजमहल की स्त्रियों के लिये अहषवेरोष के राजमहल में भोज दिया था.

10सातवें दिन जब राजा दाखमधु से मस्त था उसने महूमान बिज़था हरबोना बिगथा अबगथा ज़ेथर तथा करकस नामक सात खोजों को 11आदेश दिया कि रानी वश्ती को राजा के सामने उसके राजसी मुकुट के साथ प्रस्तुत किया जाए, शासकों एवं समस्त उपस्थित अतिथियों के सामने उसके सौंदर्य का प्रदर्शन करे, रानी वश्ती अति सुंदर थी. 12किंतु रानी वश्ती ने खोजों द्वारा दिए गए राजा के इस आदेश को अस्वीकार कर दिया. इस पर राजा क्रोधित हो उठा, क्रोध उसके अंदर भड़कने लगा.

13तब राजा अपने समय के अनुसार अपने उन ज्ञानियों से बोला जो न्यायशास्त्र एवं नियम के विशेषज्ञ थे 14इन ऊंचे पदों पर थे: करषना, शेतार, अदमाता, तरशीश, मेरेस, मरसेना, तथा ममूकान. ये सात फारस तथा मेदिया के ऐसे प्रधान थे जो साम्राज्य में ज़रूरी थे, उनके लिए राजा की उपस्थिति में प्रवेश आसान था.

15राजा ने इनसे पूछा, “नियम के अनुसार अब रानी वश्ती के साथ क्या किया जाना सही होगा, क्योंकि उसने खोजों द्वारा दी गई राजा अहषवेरोष की आज्ञा नहीं मानी है?”

16ममूकान ने राजा एवं अधिकारियों के सामने साफ किया, “रानी वश्ती का यह काम राजा के विरुद्ध अपराध है, मतलब यह समस्त अधिकारियों, राजा अहषवेरोष के राज्यों के समस्त लोगों के विरुद्ध एक बड़ा अपराध है. 17क्योंकि रानी के इस काम की सूचना समस्त स्त्रियों को मिल जाएगी, जिसका परिणाम यह होगा, वे सभी अपने-अपने पतियों के प्रति घृणा के साथ व्यवहार करेंगी, क्योंकि तब वे यह विचार करने लगेंगी, ‘राजा अहषवेरोष का आदेश था कि रानी वश्ती उनके सामने लायी जाए, किंतु वह उनके सामने नहीं आई.’ 18फारस एवं मेदिया की स्त्रियों ने आज रानी के जिस व्यवहार के विषय में सुन लिया है, राजा के हाकिमो से वैसा ही व्यवहार करेंगी. इससे उनमें बहुत घृणा एवं क्रोध उत्पन्‍न हो जाएगा.

19“यदि राजा को यह उपयुक्त लगे, वह एक राजाज्ञा प्रसारित कर दें जिसे फारस एवं मेदिया के नियमों में लिख दिया जाए कि कभी इस नियम को बदला न जा सके, कि अब कभी भी रानी वश्ती राजा अहषवेरोष की उपस्थिति में प्रवेश न करे, तब रानी वश्ती का राजकीय पद किसी अन्य को जो वश्ती से अधिक योग्य हैं उसे प्रदान कर दें 20जब राजा के द्वारा प्रसारित आज्ञा उनके संपूर्ण साम्राज्य में सुनाई जाएगी तब सब स्त्रियां अपने पतियों का आदर करने लगेंगी, विशेष अथवा सामान्य, सभी अपने-अपने पतियों का सम्मान करने लगेंगी.”

21राजा एवं शासकों के लिए यह परामर्श स्वीकार्य था, तब राजा ने ममूकान के प्रस्ताव के अनुरूप ही कार्य पूरा किया. 22तब उसने राजा के समस्त राज्यों में पत्र प्रेषित किए, हर एक राज्य में उसी की अक्षर के अनुरूप तथा हर एक जाति को उसी की भाषा में कि अपने-अपने परिवार में हर एक पुरुष घर का मुखिया हो तथा वह अपने जाति की भाषा बोला करे.