Псалтирь 42 – NRT & HCV

New Russian Translation

Псалтирь 42:1-5

Псалом 42

1Оправдай меня, Боже,

вступись в мою тяжбу с народом безбожным,

от лживых и злобных спаси меня.

2Ты – Бог, крепость моя.

Почему Ты отверг меня?

Почему я скитаюсь, плача,

оскорбленный моим врагом?

3Пошли Свой свет и истину –

пусть они меня направляют;

пусть приведут на святую гору Твою,

к месту, где Ты обитаешь.

4Тогда приду я к Божьему жертвеннику,

к Богу радости и веселья моего.

Буду славить Тебя на арфе,

Боже, мой Бог.

5Что унываешь, моя душа?

Зачем тревожишься?

Возложи надежду на Бога,

ведь я еще буду славить Его –

моего Спасителя и Бога.

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 42:1-11

द्वितीय पुस्तक

स्तोत्र 42–72

स्तोत्र 42

संगीत निर्देशक के लिये. कोराह के पुत्रों की मसकील42:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द गीत रचना.

1जैसे हिरणी को बहते झरनों की उत्कट लालसा होती है,

वैसे ही परमेश्वर, मेरे प्राण को आपकी लालसा रहती है.

2मेरा प्राण परमेश्वर के लिए, हां, जीवन्त परमेश्वर के लिए प्यासा है.

मैं कब जाकर परमेश्वर से भेंट कर सकूंगा?

3दिन और रात,

मेरे आंसू ही मेरा आहार बन गए हैं.

सारे दिन लोग मुझसे एक ही प्रश्न कर रहे हैं,

“कहां है तुम्हारा परमेश्वर?”

4जब मैं अपने प्राण आपके सम्मुख उंडेल रहा हूं,

मुझे उन सारी घटनाओं का स्मरण आ रहा है;

क्योंकि मैं ही परमेश्वर के भवन की ओर अग्रगामी,

विशाल जनसमूह की शोभायात्रा का अधिनायक हुआ करता था.

उस समय उत्सव के वातावरण में जय जयकार

तथा धन्यवाद की ध्वनि गूंज रही होती थी.

5मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो?

क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो?

परमेश्वर पर भरोसा रखो,

क्योंकि यह सब होने पर मैं पुनः उनकी उपस्थिति

के आश्वासन के लिए उनका स्तवन करूंगा.

6मेरे परमेश्वर! मेरे अंदर खिन्‍न है मेरा प्राण;

तब मैं यरदन प्रदेश से तथा हरमोन,

मित्सार पर्वत से

आपका स्मरण करूंगा.

7आपके झरने की गर्जना के ऊपर से

सागर सागर का आह्वान करता है;

सागर की लहरें तथा तट पर टकराती लहरें

मुझ पर होती हुई निकल गईं.

8दिन के समय याहवेह अपना करुणा-प्रेम प्रगट करते हैं,

रात्रि में उनका गीत जो मेरे जीवन के लिए परमेश्वर को संबोधित

एक प्रार्थना है, उसे मैं गाया करूंगा.

9परमेश्वर, मेरी चट्टान42:9 अर्थात् आश्रय से मैं प्रश्न करूंगा,

“आप मुझे क्यों भूल गए?

मेरे शत्रुओं द्वारा दी जा रही यातनाओं के कारण,

क्यों मुझे शोकित होना पड़ रहा है?”

10जब सारे दिन मेरे दुश्मन

यह कहते हुए मुझ पर ताना मारते हैं,

“कहां है तुम्हारा परमेश्वर?”

तब मेरी हड्डियां मृत्यु वेदना सह रहीं हैं.

11मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो?

क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो?

परमेश्वर पर भरोसा रखो,

क्योंकि यह सब होते हुए भी

मैं याहवेह का स्तवन करूंगा.