Псалтирь 38 – NRT & HCV

New Russian Translation

Псалтирь 38:1-14

Псалом 38

1Дирижеру хора, Идутуну38:1 Ср. 1 Пар. 16:41, 42.. Псалом Давида.

2Я сказал: «Я буду следить за своими путями

и язык удерживать от греха,

буду обуздывать уста,

пока нечестивые предо мною».

3Но когда я был нем и безмолвен,

и даже о добром молчал,

усилилась моя скорбь,

4и сердце мое загорелось.

Пока я размышлял, вспыхнул огонь,

и тогда я сказал своими устами:

5«Покажи мне, Господи, кончину мою

и число моих дней скажи;

дай мне знать, сколь жизнь моя быстротечна.

6Да, Ты дал мне дней лишь на ширину ладони;

мой век как ничто пред Тобой.

Поистине, всякая жизнь – лишь пар. Пауза

7Поистине, всякий человек подобен тени:

напрасно он суетится,

копит, не зная, кому все это достанется.

8И теперь, Владыка, чего ожидать мне?

Надежда моя в Тебе.

9Избавь меня от всех моих беззаконий,

не предай безумцам на поругание.

10Я молчу; я не открываю уст,

потому что Ты это сделал.

11Отклони от меня удары Свои;

гибну я от ударов Твоей руки.

12Ты коришь и наказываешь людей за грех;

Ты губишь сокровища их, как губит моль.

Поистине, всякий смертный – лишь пар. Пауза

13Услышь молитву мою, Господи;

внемли моему крику о помощи;

не будь безмолвен к моим слезам.

Ведь я скиталец у Тебя,

чужеземец, как все мои предки.

14Отступи от меня, чтобы мне вновь улыбнуться,

прежде чем я уйду и меня не станет».

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 38:1-22

स्तोत्र 38

दावीद का एक स्तोत्र. अभ्यर्थना.

1याहवेह, अपने क्रोध में मुझे न डांटिए

और न अपने कोप में मुझे दंड दीजिए.

2क्योंकि आपके बाण मुझे लग चुके हैं,

और आपके हाथ के बोझ ने मुझे दबा रखा है.

3आपके प्रकोप ने मेरी देह को स्वस्थ नहीं छोड़ा;

मेरे ही पाप के परिणामस्वरूप मेरी हड्डियों में अब बल नहीं रहा.

4मैं अपने अपराधों में डूब चुका हूं;

एक अतिशय बोझ के समान वे मेरी उठाने की क्षमता से परे हैं.

5मेरे घाव सड़ चुके हैं, वे अत्यंत घृणास्पद हैं

यह सभी मेरी पापमय मूर्खता का ही परिणाम है.

6मैं झुक गया हूं, दुर्बलता के शोकभाव से अत्यंत नीचा हो गया हूं;

सारे दिन मैं विलाप ही करता रहता हूं.

7मेरी कमर में जलती-चुभती-सी पीड़ा हो रही है;

मेरी देह अत्यंत रुग्ण हो गई है.

8मैं दुर्बल हूं और टूट चुका हूं;

मैं हृदय की पीड़ा में कराह रहा हूं.

9प्रभु, आपको यह ज्ञात है कि मेरी आकांक्षा क्या है;

मेरी आहें आपसे छुपी नहीं हैं.

10मेरे हृदय की धड़कने तीव्र हो गई हैं, मुझमें बल शेष न रहा;

यहां तक कि मेरी आंखों की ज्योति भी जाती रही.

11मेरे मित्र तथा मेरे साथी मेरे घावों के कारण मेरे निकट नहीं आना चाहते;

मेरे संबंधी मुझसे दूर ही दूर रहते हैं.

12मेरे प्राणों के प्यासे लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाया है,

जिन्हें मेरी दुर्गति की कामना है; मेरे विनाश की योजना बना रहे हैं,

वे सारे दिन छल की बुरी युक्ति रचते रहते हैं.

13मैं बधिर मनुष्य जैसा हो चुका हूं, जिसे कुछ सुनाई नहीं देता,

मैं मूक पुरुष-समान हो चुका हूं, जो बातें नहीं कर सकता;

14हां, मैं उस पुरुष-सा हो चुका हूं, जिसकी सुनने की शक्ति जाती रही,

जिसका मुख बोलने के योग्य नहीं रह गया.

15याहवेह, मैंने आप पर ही भरोसा किया है;

कि प्रभु मेरे परमेश्वर उत्तर आपसे ही प्राप्‍त होगा.

16मैंने आपसे अनुरोध किया था, “यदि मेरे पैर फिसलें,

तो उन्हें मुझ पर हंसने और प्रबल होने का सुख न देना.”

17अब मुझे मेरा अंत निकट आता दिख रहा है,

मेरी पीड़ा सतत मेरे सामने बनी रहती है.

18मैं अपना अपराध स्वीकार कर रहा हूं;

मेरे पाप ने मुझे अत्यंत व्याकुल कर रखा है.

19मेरे शत्रु प्रबल, सशक्त तथा अनेक हैं;

जो अकारण ही मुझसे घृणा करते हैं.

20वे मेरे उपकारों का प्रतिफल अपकार में देते हैं;

जब मैं उपकार करना चाहता हूं,

वे मेरा विरोध करते हैं.

21याहवेह, मेरा परित्याग न कीजिए;

मेरे परमेश्वर, मुझसे दूर न रहिए.

22तुरंत मेरी सहायता कीजिए,

मेरे प्रभु, मेरे उद्धारकर्ता.